कॉग्निटिव डिसोनन्स (Cognitive Dissonance) मेरा एक प्रिय विषय रहा है, क्योंकि कई सारी समस्याएँ इस की परिप्रेक्ष्य में समझ आती हैं। इस विषय पर मैंने ७ अगस्त २०१५ को एक विस्तृत फ़ेसबुक पोस्ट लिखी थी जिसकी लिंक पोस्ट के अंत में दी है।
कॉग्निटिव डिसोनन्स को बहुतही संक्षेप में अगर समझना है तो
१) अपनी भूल को भूल मानने से साफ इन्कार करना।
२) अपनी बात को सही ठहराने अंटशंट तर्क कुतर्क देना।
३) संख्या का सहारा लेना – इतने लोग क्या मूर्ख हैं?
४) भूल दिखानेवाले का व्यक्तिगत अपमान करना – व्यंग्य काटने से ले कर “तुम्हारी वो औकात नहीं कि तुम हमें कुछ बता सको, अपनी औकात में रहो वरना बहुत पछताओगे” – टाइप की धमकियाँ देना।
५) मुद्दा क्रमांक ४, धमकी होती है जिसके बाद सामूहिक हिंसा का सहारा लिया जाता है। अक्सर हिंसा के चलते कोई समझाने के चक्कर में नहीं पड़ता जिसके गलत लाभ लिए ही जाते हैं और उनपर गर्व भी किया जाता है। यह समझाने के चक्कर में न पड़ने को ले कर एक गुजराती कहावत है जिसका अर्थ है कि “सिंह से कौन कहे तेरे मुंह से बदबू आ रही है ?”
कॉग्निटिव डिसोनन्स की वो मूल पोस्ट, म्लेच्छ समाज के युवाओं की मानसिक अवस्था को लेकर एक विश्लेषण का प्रयास था। आज सात वर्षों बाद जब यू ट्यूब पर कई सारे एक्स मु चैनल्स देखता हूँ और वहाँ उन एक्स मु लोगों से सवाल जवाब करने आते लोगों की बातें सुनता हूँ, यही प्रतीत होता है कि मेरा विश्लेषण अपनी जगह १००% सही था।
विशेष याद है साहिल / निसार से जुड़े कुछ एपिसोड। वो एक बहुत ही well mannered और ठंडक से बात करता युवा है जो कभी भी आपा नहीं खो बैठता, हाइपर नहीं होता। जानकार तो है ही, कभी तबलीगी दाई भी रहा है तो बिल्कुल असलीवाले अरबी अंदाज में आयत पढ़ लेता है जो उससे सवाल करनेवालों को नहीं आता, और असल में साहिल की योग्यता को स्थापित करता है। लेकिन सवाल ले आनेवाले लोगों के कॉग्निटिव डिसोनन्स की क्या ही कहें।
महिलाओं से बात करते समय वो अक्सर सेक्स स्लेवज जिनको लौंडी कहा जाता है, उनकी बात करता है। अधिकतर महिलायें उससे सहमत होती हैं कि किसी नारी को लौंडी बनाया जाना गलत है और वो यह कभी भी पसंद नहीं करेगी कि कोई उनके साथ भी वैसा ही सुलूख करें। लेकिन फिर डट जाती हैं कि उनके श्रद्धेय और श्रद्धेय के साथी ऐसा नहीं करते होंगे। और जब उसके भी १००% सही सबूत दिए जाते हैं तब भी उसे गलत नहीं कहती लेकिन कहती है कि तुम्हारी बात को हम थोड़े ही मानेंगे, हम खुद रिसर्च करेंगे तब फिर कभी बात करेंगे।
और चर्चा से हट जाती हैं।
एक अधेड़ महिला ने तो बालिका से अधेड़ पुरुष के विवाह के बारे में यहाँ तक कहा था कि अगर यह स्थिति उसकी अपनी बेटी पर भी गुजरती है और उसके साथ कुछ अनहोनी भी हो तो भी उसे कोई शिकायत नहीं रहेगी क्योंकि वो इसे ईश्वरीय व्यवस्था मानती है और इसपर संदेह करना पाप मानती है।
कुल मिलाकर बात इतनी है कि कॉग्निटिव डिसोनन्स का प्रेशर कुकर काफी खदबदा रहा है।

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