अभी बिहार में गौनाहा (चंपारण) के एक केस का नोट्स ले रहा था। एक ऐसा व्यक्ति जो बिना बच्चों के मर गया, दिल्ली में मार्केटिंग का काम करने वाला एक युवक उसे अपना बाप बता रहा है। जबकि इस मार्केटिंग का काम करने वाले बंदे का बाप जिन्दा है।
सोचिए यह समाज कहां जा रहा है? मार्केटिंग वाले युवक की एक छोटी सी प्यारी बीटिया है, जो यह सब देख समझ रही है। पैसों के लिए बाप बदलने वाले प्रकरण के बाद वह युवक सिर्फ अपनी बेटी नहीं, मुझे लगता है अपने बाप की नजर में भी गिर गया होगा, जिसने जीते जी पैसों के लिए अपने बाप को मार दिया और एक मरे हुए आदमी को अपना बाप बना लिया।
पिछले दिनों जमीन विवाद में भू माफियाओं द्वारा बिहार के दरभंगा में एक ही परिवार के तीन लोगों को जिन्दा जला दिया गया था। लेकिन वह नृशंस हत्या अखबारों के स्थानीय संस्करण में छप कर रहा गया। अलग मिथिला राज्य मांगने वाले सारे नेता ना जाने उन दिनों कहां अंडर ग्राउंड थे। बीच शहर में तीन लोगों को जिन्दा जला दिया जाना, शहर में कोई प्रतिक्रिया ना हो। इसका मतलब यही हुआ कि वह शहर मुर्दा लोगों का शहर है। जो अपने स्वार्थ के लिए जागने का अभिनय करता है।
ऐसी घटनाएं बिहार में इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि कुछ लोग थाना, अंचल, प्रखंड, अनुमंडल सब जगह सक्रिय हैं और अपनी मर्जी का निर्णय भी वहां से ले आते हैं। बहरहाल बिहार में बढ़ती ऐसी घटनाएं हम जैसों को चिन्ता में डाल रही है और सच कहूं तो कई बार लगता है कि बुला रही है।