Home विषयऐतिहासिक हमने विदेशी नक़ल के चक्कर में भारतीय संस्कृति खोयी

हमने विदेशी नक़ल के चक्कर में भारतीय संस्कृति खोयी

Ashish Kumar Anshu

by Ashish Kumar Anshu
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हमने विदेशी प्रभाव में आकर जो भी अपना था उसे धीरे धीरे खत्म किया। आयुर्वेद, ज्योतीष, तंत्र जैसे विषयों पर बीते सौ सालों में सरकारी संसाधनों की सहायता से कितना अध्ययन हुआ कोई बता सकता है? योग को स्थापित करने से पहले यह झूठ फैलाना पड़ा कि इसका हिन्दूओं से कोई विशेष लेना-देना नहीं है। जैसा पहले हम होली और छठ के लिए कहते रहे हैं। ना जाने हमारा समाज किस हीन भावना (inferiority complex) में जी रहा है!

यहां शराब का जिक्र अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा। शराब की लाॅबी की ताकत से कौन अनभिज्ञ है? बिहार से लेकर गुजरात सरकार तक को अस्थिर करने के लिए ये लाॅबी समय-समय पर सक्रिय नजर आती है। फिर शराब के समर्थक कहते हैं कि शराब पर प्रतिबंध नहीं लग सकता। शराब पर प्रतिबंध लगाएंगे तो नकली शराब बिकने लगेगी।!

इस देश में सैकड़ों किस्म की शराब बनती रही है। जिस शराब को देसी कहकर हम हिकारत की नजर से देख रहे हैं। वह थोड़ा सुधार के बाद सस्ती और टिकाऊ शराब बन सकती है। पूर्वोत्तर भारत में तैयार होने वाली कई शराब ऐसी है, जिसे हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेकर जा सकते हैं। लेकिन इस दिशा में हम कभी सोच ही नहीं पाते।

स्टार्ट अप इंडिया, भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। लेकिन हम भारतीय इस योजना की मूल भावना को ही नहीं पकड़ पाए और कोई भी नई दूकान खोल कर उसे स्टार्ट अप का नाम दे दिया।

किसी में थोड़ी वैज्ञानिक चेतना हो और शोध परक बुद्धी हो तो इस देश में बहुत कुछ किया जा सकता है। एक लंबी लड़ाई गांजा (marijuana) को लेकर लड़ी जानी चाहिए कि उसे प्रतिबंधित क्यों किया गया? इसलिए क्योंकि उसका उत्पादन हमारे किसान कर सकते हैं?

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