अभी अभी The Kashmir Files देखकर वापस आया हूँ .. इसके वर्णित सभी घटनाएँ मुझे मालूम हैं क्योंकि मैंने कहीं न कहीं पढ़ा है .. परन्तु पर्दे पर उसको हर artist के जीवन्त कर दिया …
32 साल पहले आतंकियो ने कश्मीरी हिंदुओं को तीन विकल्प दिए गए थे .
Ralive (convert to Islam)
Taliv. ( leave the valley )
ya Galive. ( or die)
और फिर वहाँ मौत का नंगा नाच हुआ. महिला हो या पुरुष, जस्टिस हो या वकील , लेखक या कवि , लोगों को चुन चुन कर मारा गया . आज भी मारा जा रहा है .
सोचिए क्या तंत्र था और है मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में कि इन तीन शब्द ( Raliv, Galiv ya Galiv) पर ये लोग चुप्पी मार कर बैठ गए . इनहोने सिर्फ़ AFSPA , अनंतनाग को इस्लामाबाद बोलना या ये बताना कि सेना कश्मीर में मानवाधिकारो का हनन करती है दिखाया,जो असल में अलगाववादियों और आतंकियों की ही बोली थी.
जिस मस्तक पर हिंदू तिलक लगाता था वहाँ पर आतंकियों ने गोली मारी थी. कश्मीर घाटी में हुई हर एक हत्या या हत्याकांड के दोषी केवल आतंकी ही नही थे वो भी थे जिनकी ज़िम्मेदारी थी कि वो दुनिया को सच बताए. लेकिन ना केवल वो सच छिपा गए बल्कि भर भर के जूठ फैलाया और आतंक और अलगाव की मदद की.
सच और संघर्ष थक सकता है लेकिन हारता नही है. 32 वर्षों बाद ही सही जिन आतंकियों ने ऊपर लिखे तीन विकल्प दिए थे उनके कफ़न में ये तीन विकल्प तीन कीलें बन कर ठुकेगी.
फ़िल्म देखिए और समझिए कश्मीर में क्या हुआ था और आज भी क्या हो रहा है !