उत्तर प्रदेश के छठे चरण के मतदान के बाद जब मेरे परम राजनीतिक और वैचारिक विरोधी जिनमें स्थापित मीडिया से लेकर विपक्षी पार्टियों के नेता-उपनेता-चवन्नी छाप नारेबाज तक शामिल हैं… वे भी 270-280 सीटों के आसपास के बहुमत से भाजपा सरकार की वापसी के लगातार फोन, इनबॉक्स और सन्देश भेज रहे।
तो हमने भी फैसला किया कि पिछले 6 महीने से लगातार और पहले चरण के मतदान के बाद से हर चरण के बाद अपनी कही बात को एक बार फिर दुहरा दूँ :
भाजपा की वर्तमान सत्ता 2017 के मुकाबले बढ़ी सीटों के साथ उत्तर प्रदेश में वापस आ रही है।
हॉं.. मेरी कही उस बात में कोई अन्तर नहीं है कि जीतने वाले अच्छी खासी भाजपा भावी विधायकों की वह संख्या है जिसने मतदाता की पाँच गाली की कीमत पर अपने पक्ष में एक वोट पाया है।
उत्तर प्रदेश की अगली विधानसभा के बारे में आकाशवाणी : भाजपा से जीतने वाले अधिसंख्य विधायक अब संख्या यानी नंबर्स से ज्यादा कुछ भी नहीं। ऐसे सभी रीढ़विहीन केवल भाजपा के सिंबल यानी चुनाव चिन्ह पर वोट पा रहे हैं।
ऐसा क्यों हुआ या हो रहा है इसे समझने के लिए मैं फिर बार-बार कही अपनी बात दुहराता हूँ : यह चुनाव मतदाता, जनता खुद लड़ रही है, भाजपा संगठन, उसके नेता चुनाव लड़ने और प्रचार में जनता से मीलों पीछे रहे हैं।
(#अवनीश पी. एन. शर्मा)