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उ.प्र. चुनाव को लेकर भविष्यवाणी

by Swami Vyalok
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उ.प्र. चुनाव को लेकर भविष्यवाणी करने की जल्दी और गलती नहीं करनी चाहिए। ये काम उन्हीं पर छोड़ दीजिए जो NCR के डेढ़ कट्‌ठे में महदूद होकर खुद को नेशनल चैनल कहते हैं। भाजपा छोड़कर जाने वालों की झड़ी देखकर भी कुछ निर्णयात्मक कहना जल्दबाजी होगी। याद रखें कि भाजपा निवर्तमान विधायकों का टिकट काटने में क्रूरता की हद तक निष्ठुर है और यह भी एक खुला-रहस्य था कि इस बार उ.प्र. में कम से कम तीन अंकों तक यह संख्या पहुंचेगी।
अस्तु, चुनाव को लेकर यह पहला निरीक्षण:
–टीवी को छोड़कर चुनाव में कहीं गर्मी नहीं है। एंटरटेनमेंट चैनल वाले इस चुनाव में भी वही गलती कर रहे हैं, जो बंगाल चुनाव में भी की थी। वहां वे लोग भाजपा को सरकार बनाते घोषित कर चुके थे। भाजपा ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया भी, लेकिन हुआ क्या…ये हम सभी ने देखा।
–अखिलेश 4 साल 10 महीने सोते रहे हैं। सपा का ढांचा बिखर चुका है। शिवपाल के साथ आने से थोड़ा बहुत डैमेज-कंट्रोल हो सकता है, लेकिन एक महीने की सक्रियता बनाम 5 साल की जमीनी उपस्थिति मायने रखती है। भाजपा हरेक दिन चुनावी मोड में रही है।
—अखिलेश 47 से बहुत दम लगाएंगे तो 100 तक पहुंच जाएंगे। बाकी राजभर, शिवपाल, रावण आदि-इत्यादि मिल कर दहाई तक सीटें ले आएं तो बहुत होगा।
—कांग्रेस आइसीयू से आगे की दुर्दशा में है। प्रियंका भले ही AAP स्टाइल में चुनाव लड़ रही हैं (सिविल सोसाइटी और अरबन नक्सलों के सहारे) पर वह भूल रही हैं कि उ.प्र. में दिल्ली का स्वार्थी मिडिल क्लास या पंजाब का खाया-पीया-अघाया वर्ग नहीं रहता है, न ही यह ज.ने.वि. छात्रसंघ का चुनाव है। कांग्रेस अगर 2-3 सीटें भी जीत जाए तो प्रियंका उसे ऐतिहासिक सफलता मान खुश हो सकती हैं। यहां नून-तेल और चना भारी पड़ेगा, गुरु।
–बहनजी की जितनी सीटें और जो वोटर्स हैं, वे बिल्कुल पक्के हैं। उनको नजरअंदाज मत कीजिए।
–राम मंदिर कौन कहता है कि मुद्दा नहीं है? काशी कॉरिडोर या देव-दीपावली ऐसे मसले हैं, जिनको बड़े प्यार से हिंदुओं की धमनी में इंजेक्ट कर दिया गया है।
–जिस स्तर का ध्रुवीकरण है और अखिलेश के लगुए-भगुए जितनी मेहनत कर रहे हैं, भाजपा को जितवाने के लिए, आश्चर्य नहीं कि इस बार भी भाजपा पिछली बार का प्रदर्शन दुहरा ले जाए।
और, आज की तारीख में चुनाव हो तो भी 250 सीटें तो भाजपा की कहीं नहीं गयीं।
विशेष: अगर आप टेढ़ी नाक, दादी जैसी नाक इत्यादि की सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर ‘गील’ हैं तो यह पोस्ट आपके लिए नहीं है।

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