Home लेखक और लेखराजीव मिश्रा कॉलेज और activism: भाग 1

कॉलेज और activism: भाग 1

राजीव मिश्रा

by राजीव मिश्रा
343 views
Seattle शहर के दक्षिण में एक छोटा सा पब्लिक कॉलेज है जिसका नाम है The Evergreen State College. कुछ रिपोर्ट के हिसाब से ये देश के 10 सर्वाधिक liberal कॉलेजों में से एक है। मई 2017 में इस कॉलेज में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे शिक्षा जगत और राजनीति को हिला कर रख दिया। पोस्ट थोड़ी लंबी हो सकती है, कृपया धैर्य से पूरा पढ़ें।
हर साल इस कॉलेज में एक दिन Day of Absence मनाया जाता है जब कॉलेज के अश्वेत विद्यार्थी, प्रोफेसर, स्टाफ, आदि कैंपस से अनुपस्थित रहते हैं। ये प्रथा 1970 से चलती आ रही है। ऐसा करके अश्वेत स्टाफ और स्टूडेंट समाज में अपना योगदान याद दिलाते हैं। लेकिन 2017 में सत्ता परिवर्तन और ट्रम्पेन्द्र चच्चा के आने बाद ये तय हुआ कि इस साल से Day of Absence का स्वरूप बदला जाए। निर्णय ये लिया गया कि इस साल अश्वेत स्टाफ और स्टूडेंट कैंपस में ही रहेंगे और श्वेत फैकल्टी और स्टूडेंट कैंपस से अनुपस्थित/बाहर रहेंगे।
इस निर्णय को लेकर एक बायोलॉजी प्रोफेसर Bret Weinstein ने फैकल्टी को एक ईमेल लिखकर इस नये नियम को लेकर अपनी असहमति जताई। उन्होंने लिखा कि ऐसा करने से स्वेच्छा से अनुपस्थित रहने में और किसी को अनुपस्थित रहने के लिए बोलने में बहुत अंतर है। उनका ये भी कहना था कि जो श्वेत स्टूडेंट या प्रोफेसर उस दिन कॉलेज आते हैं, उन्हें गलत समझा जाएगा। उन्होंने कॉलेज के भविष्य के बारे में अपनी चिंता प्रकट की। (कॉलेज में solidarity-building के नाम पर faculty को जबर्दस्ती एक काल्पनिक नाव में बिठा कर साथ पतवार चलाने को बोला जाता था। बैकग्राउंड में लहरों और नगाड़ो की आवाज चलती रहती थी।)
Day of Absence के कुछ दिन बाद अश्वेत स्टूडेंट्स का एक ग्रुप Weinstein के ऑफिस में घुस आता है और उन्हें भला-बुरा बोलने लगता है। भाषा की मर्यादा के कारण मैं actual शब्द नहीं लिख रहा। स्टूडेंट्स उन्हें श्वेत होने के कारण ‘प्रिविलेज्ड’ कहते हैं और कॉलेज से निकल जाने की धमकी देते हैं। बात बढ़ते देख कुछ स्टूडेंट्स ने पुलिस को फोन भी किया लेकिन स्टूडेंट्स ने पुलिस को अंदर घुसने नहीं दिया।
देखते-देखते protestors की सँख्या बढ़ती चली गई और वो कॉलेज के adminstrative building के सामने नारे लगाने लगे और प्रेसिडेंट George Bridges पर चिल्लाने लगे। प्रोटेस्टर्स ने कैम्प्स में उपस्थित पुलिस Stacy Brown को भी बुलाने को कहा और ये माँग रखी कि वो अपना हथियार अलग रखकर आयें। Stacy ने सादे कपड़ों में मीटिंग में आईं जहाँ उन्हें भी गाली गलौज का सामना करना पड़ा।
इन सबके बीच प्रोटेस्टर्स ने कॉलेज के सभी रास्तों को बंद कर दिया और किसी का अंदर आना आया बाहर जाना कठिन हो गया। प्रोटेस्टर्स लगातार Weinstein को नौकरी से निकालने की माँग कर रहे थे। जो प्रोफेसर भी Weinstein के समर्थन में थोड़ा भी बोलता, उसे चिल्लाकर चुप करा दिया जाता। Bridges ने प्रोटेस्टर्स से उनकी डिमांड पूछी तो प्रोटेस्टर्स ने लिस्ट थमाई जिसमें campus में bias training की अनिवार्यता और होमवर्क टाइम पर न करने की छूट भी थी। दूसरी तरफ बाकी के प्रोस्टेस्टर्स दूसरे स्टाफ लोगों पर चिल्लाये जा रहे थे और उनपर white supremacy फैलाने का आरोप लगा रहे थे।
उसी रात कॉलेज के एक मीडिया प्रोफेसर ने कैंपस कम्युनिटी को एक ईमेल लिखा जिसमें उन्होंने प्रोटेस्ट का समर्थन किया और कहा कि स्टूडेंट्स बिल्कुल वही कर रहे हैं जो उन्होंने बच्चों को सिखाया है। अगले दिन पुलिस को ये खबर मिली की प्रोटेस्टर्स कैंपस के पुलिस डिपार्टमेंट बिल्डिंग को निशाना बनाने वाले हैं। ऊपर से संयम बरतने का आर्डर पाकर पुलिस ने चौकी खाली कर दी और बाहर से cctv से निरीक्षण करने लगे। जिन प्रोफेसर लोगों ने Weinstein का समर्थन किया था उन्हें ऑनलाइन indirect धमकियाँ मिलने लगी। Weinstein ने सुरक्षा कारणों से उस quarter बस एक क्लास लेकर कैंपस छोड़ दिया।
कुछ महीनों बाद कॉलेज के करीब एक चौथाई फैकल्टी ने एक चिट्ठी पर हस्ताक्षर किये जिसपर लिखा था कि Weinstein ने स्टूडेंट्स को भड़काया है और उनपर जाँच बैठनी चाहिये। कॉलेज के कई एम्प्लॉयी ने भी कॉलेज के ऊपर ये आरोप लगाया कि कॉलेज भेदभाव को बढ़ावा देता है। सितंबर 2017 को प्रोफेसर Weinstein ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
********
PS: ये सभी जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है। अगर कहीं कुछ modify करना हो तो कृपया उचित reference देकर अवगत कराएं।

Related Articles

Leave a Comment