डर किसका है ,योगी जी का या जेसीबी का , आप ही बताएं :-
आज उत्तर प्रदेश से मेरे एक मित्र मिलने के लिए पधारे, उन्होंने एक बड़ा मजेदार किस्सा सुनाया।
उनके क्षेत्र में एक बड़ी नाली खोदने का ठेका हुआ। ठेकेदार को उसके लिए एक जेसीबी मशीन की आवश्यकता थी। अपनी आवश्यकता के अनुसार उसने एक जेसीबी मशीन किराए पर बुलवाई ।
अन्दर संकरी रोड पर आते समय जेसीबी के ड्राइवर ने एक ऑटो को टक्कर मार दी । जिससे ऑटो डैमेज हो गया। ऑटो वाले ने थाने में f.i.r. कर दी, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जेसीबी को थाने में खड़ा करवा लिया।
अब शुरू होती है सबसे मजेदार बात । मेरे मित्र के पड़ोस में एक समाजवादी पार्टी के छुटभैए नेता रहते हैं , हाजी साहब। इन हाजी साहब ने स्थानीय स्कूल की जमीन पर कब्जा कर एक 14 भैंसों का तबेला बना रखा था। अपनी फॉर्चूनर गाड़ी खड़ी करने के लिए एक शेड भी बना रखा था।
स्थानीय लोगों ने उन्हें सूचित किया कि थाने में जेसीबी आ गई है। वे भागे भागे थाने गए । टी आई से संबंध वैसे भी खट्टे थे। कुछ समय पूर्व ही छोटे बेटे ने सरेंडर किया था और जेल चला गया था। अतः वे बाहर से ही जेसीबी देखकर तुरंत वापस आ गए।
आनन-फानन में शाम तक भैंसों का तबेला हटा लिया। चारे पानी के लिए पक्के होदे बनाए गए थे । उन्हें भी तोड़ दिया गया। ट्रैक्टर ट्रॉली से भूसा गोबर सब हटा कर पूरी जगह समतल कर दी गई। भैंसे कहीं दूसरी जगह शिफ्ट कर दी। फॉर्च्यूनर का शेड भी हटा लिया।
3 दिन बाद ठेकेदार ने अदालत से जेसीबी को छुड़वा लिया और नाली खोदने का काम शुरू कर दिया।
यह किस्सा नहीं सत्य घटना है।
यदि कानून का इकबाल व्याप्त कराना हो तो मुखिया योगी जी की तरह ही चाहिए। और साथ मे चाहिए जेसीबी !!!!