आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों में पंजाब का हिन्दू और गैर जट सिख मतदाता एक बार फिर सिद्ध करने जा रहा है कि वह जहां रहेगा राजनैतिक सत्ता उसकी होगी।
पंजाबी हिन्दू और गैर जट सिख मतदाता पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसा करके दिखा चुका है जब उसने खालिस्तानी कंधों पर सवार होकर सत्ता पर कब्जा करने चले शहरी माओइस्ट केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को रोक दिया और अमरिंदर सिंह को वोट किया।
अमरिंदर सिंह इस बार भी चुनाव में हैं…. इसका पता पंजाबी हिंदुओं को है। इस बार कैप्टन किसके साथ जा रहे इसका भी पता पंजाबी हिन्दुओं को है।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और इमरान खान के छोटे भाई नवजोत सिद्धू का आखिरी ठिकाना खालिस्तानी मानसिकता के गिरोह ही होने हैं.. वो चाहे कांग्रेस में रह कर हो या खालिस्तानी कांधे के शौकीन केजरीवाल के साथ जा कर हो।
देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा दलित आबादी रखने वाले पंजाब में जट सिख अल्पसंख्यक हैं। जट सिख लगातार अल्पसंख्यक होने के साथ ही सामाजिक-राजनैतिक तौर पर अप्रभावी होते गए क्योंकि उनका मन पंजाब की उर्वरा कृषि जमीनों का खून चूसने की कीमत पर कनाडा के वीजा और उनकी नई पीढ़ी का मन उड़ते पंजाब में लगा रहा, जिसके वे खुद जिम्मेदार हैं।
ये यूँ ही नहीं हो रहा कि अकाली के सुखबीर बादल हिन्दू मन्दिरों पर माथा टेक रहे। ये भी यूँ ही नहीं हो रहा कि पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री चन्नी पंजाब से लगायत राजस्थान तक के हिन्दू मंदिरों की सैर कर रहे। सौ बात की एक बात कि पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री चन्नी पंजाब में ब्राम्हण कल्याण बोर्ड तक बना डाले।
पंजाब में हिन्दू-गैर जट सिख मतदाता जहां जा रहा राजनैतिक सत्ता उसकी आ रही है… क्योंकि पंजाब की राजनीतिक सत्ता पर कब्ज़ा किये रहने की आदत वाले मुट्ठीभर बुर्जुआओं के सामने अब बहुसंख्यक सर्वहारा तन कर आ रहा है।
इसलिए : सिंघासन खाली करो कि जनता आती है।
(#अवनीश पी. एन. शर्मा)