Home विषयजाति धर्म पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी अभिनेत्री/मॉडल नादिया अली

पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी अभिनेत्री/मॉडल नादिया अली

by Ashish Kumar Anshu
932 views
पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी अभिनेत्री/मॉडल नादिया अली के संघर्ष को अमेरिकन पत्रकार अरोरा स्नो ने मुस्लिम पॉर्न स्टार का सेक्सुअल क्रूसेड लिखा. नादिया अली उस वक्त अचानक चर्चा में आई जब उसने ‘वूमेन ऑफ मिड्ल ईस्ट’ नाम से एक पॉर्न/एडल्ट वीडियो की. इस वीडियो का जबर्दस्त तरीके से दुनिया भर के मुसलमानों ने विरोध किया. पाकिस्तान में इसे प्रतिबंधित किया गया. जबकि यह कोई पहला पॉर्न एडल्ट वीडियो नहीं था, न ऐसी फिल्मों में काम करने वाली नादिया पहली नायिका है. वास्तव में मुस्लिम समाज की आपत्ति इस फिल्म में नादिया के काम करने को लेकर थी भी नहीं. उनकी आपत्ति और दुनिया भर में हो रहे विरोध की वजह हिजाब बना, जिसे पहन कर नादिया ने फिल्म में परफॉर्म किया है. फिल्म में शूटिंग के दौरान नादिया के बदन पर जब अंतःवस्त्र तक उतर चुका होता था, नादिया अपने शरीर पर हिजाब की हिफाजत करती थी. यही बात हिजाब के पक्ष में आम तौर पर खड़े रहने वाले दुनिया भर के इस्लाम प्रेमियों को पसंद नहीं आई. नादिया का जबर्दस्त तरीके से विरोध हुआ .बताया जाता है कि नादिया अली के इस अतिशय हिजाब प्रेम के पीछे एक कारण है. एक बार नादिया को हिजाब उतारने की वजह से नीच और वेश्या कहा गया था.
उसके बाद से ही नादिया ने हिजाब न उतारने का फैसला लिया. नादिया के अनुसार- ‘हिजाब का आपके चरित्र से कोई ताल्लूक नहीं होता.’ नादिया ने डेली बिस्ट को दिए साक्षात्कार में बताया था कि ‘ मैं वूमेन ऑफ द मिडल ईस्ट का हिस्सा बनकर गौरवान्वित हूं. यह वीडियो पूरी दुनिया में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की लड़ाई को निर्णायक बनाने में मददगार होगा.’ वीडियो के प्रोडक्शन से जुड़ी केली मेडिसन के अनुसार – ‘मुस्लिम महिलाओं को खुद को खुलकर अभिव्यक्त करने की आजादी मिलनी चाहिए और उन पर धर्म, राजनीति और पितृसत्ता के स्त्री विरोधी कानूनों को मानने का प्रतिबंध लगाकर उनकी आजादी नहीं छीनी जानी चाहिए.‘ नादिया अली भी कहती हैं, ‘ मैं जो भी कर रहीं हूं. वह महिलाओं के आन्दोलन का हिस्सा है. मैं चाहती हूं कि दूसरी महिलाओं के जीवन से जुड़े मुद्दे पर स्टैन्ड लेने में उनके लिए मैं कुछ मददगार बनूं. मैं पॉर्न फिल्म करते हुए भी कैमरे के सामने सिर को स्कार्फ से ढंक कर खुद को एक उदारवादी मुस्लिम महिला के किरदार में रखती हूं.‘ फेनपेज.इट के द्वारा पॉर्न फिल्म देखने वालों का एक सर्वेक्षण धार्मिक आधार पर किया गया था. उस सर्वेक्षण के मुताबिक मुसलमान दुनिया में सबसे अधिक संख्या में पॉर्न फिल्मों के शौकिन पाए गए.
मुस्लिम देशों में पॉर्न फिल्में देखने में अव्वल नम्बर पाकिस्तान का है. उसके बाद इजिप्ट, इरान, मोरक्को, सउदी अरब, तुर्की का नंबर आता है. चार घंटे की यह फिल्म पिछले साल रिलीज हुई थी. फिल्म को बनाने वाली प्रोडक्शन कंपनी का नाम, पॉर्न फायडलिटी है. जिसके मालिक पति-पत्नी रियान मेडिसन और केली मेडिसन हैं. फिल्म का वितरक जूसी एंटरटेनमेन्ट है. मिक डॉट कॉम फिल्म की तारीफ़ करते हुए लिखता है- पहली बार किसी मुस्लिम महिला को एक फिल्म में एक साथ सेक्सी और सशक्त दिखाया गया है.‘ नादिया फिल्म में कई अलग-अलग किरदारों में नजर आती हैं. अरब की वशीभूत पत्नी, सेक्सी बेले डांसर, तस्करी की शिकार हुई वेश्या. केली मेडिसन के अनुसार वे फिल्म में नादिया को सिर्फ बुर्के में दिखाकर कोई औसत फिल्म नहीं बनाना चाहती थीं. केली के अनुसार उसके एडल्ट वीडियों में उसका फेमिनिज्म भी है. बकौल केली- वीडियों में जहां एक तरफ उसकी सामाजिक टिप्पणी से दर्शक वाकिफ होंगे वहीं साथ- साथ उसकी सामाजिक प्रतिबद्धता का भी अनुमान होगा.वैसे ‘वूमेन्स ऑफ मिड्ल ईस्ट’ पर चाहे जितना बबाल काटा गया हो, लेकिन कई अमेरिकन पोर्नोग्राफी पत्रिकाएं सालों से हिजाब में पोर्नोग्राफी तस्वीर छापती रहीं हैं. टेक्सास विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सिराजी हिजाब का समर्थन करते हुए कहती हैं कि ‘ कई फिल्में और पत्रिकाएं इस तरह दिखाती हैं कि जो लड़की हिजाब में है, वह पीड़िता है.
मुसलमान पुरुष ने उसे सताया है. वह पुरुषों द्वारा दबाई गईं हैं. वे अपने पति की देखरेख में एक गुलाम की हैसियत से रहती हैं. ये हिजाब के अंदर ऐसी छुपी हुई महिलाएं हैं जो अपने आकाओं के सामने खुद को प्रस्तुत करने में आनंद लेती हैं.‘ प्रोफेसर सिराजी मानती हैं कि यह मुस्लिम महिलाओं का पश्चिमी स्टिरियोटाइप प्रचार है.‘वूमेन ऑफ मिड्ल ईस्ट’ का प्रचार यह कहते हुए भी किया गया कि यह एडल्ट वीडियो मुसलमान महिलाओं की इस स्टिरियोटाइप छवि को गलत साबित करेगा. एडल्ट वीडियो में एक मुसलमान महिला को हिजाब के अंदर अधिक ताकतवर और प्रभावी बनाकर पेश किया गया है. इस एडल्ट वीडियो पर लिखते हुए एक जगह यह बताया गया है कि अपने पुरुष पार्टनर के ना चाहते हुए भी हिजाब में मौजूद महिला कार की चाभी निकाल लेती है. इससे वीडियो में नादिया के सशक्त किरदार को समझा जा सकता है. एडल्ट वीडियो को बनाने वालों का दावा है कि इस पूरे वीडियो को शूट करते हुए इस बात का विशेष ख्याल रखा गया है कि इसे देखते हुए इस्लाम की गलत छवि देखने वालों की नजर में ना बने. चरित्रों को दिखाते हुए इस्लाम की छवि का विशेष तौर पर ख्याल रखा गया है. एडल्ट वीडियो के केन्द्र में एक मुस्लिम महिला है, जिसके जीवन के सेक्सुअल पहलू को फिल्माना इस एडल्ट वीडियो की कहानी है.
नादिरा अली की एडल्ट वीडियो की कहानी किसी मुस्लिम महिला की दुख की कहानी नहीं है. यह हार्डकोर पॉर्न वीडियो है. इस एडल्ट वीडियो की चर्चा पूरी दुनिया में सिर्फ इस वजह से हुई क्योंकि नादिया ने इस वीडियो में हिजाब पहना है. इस वीडियो के मार्फत उन अमेरिकन विद्वानों को नादिया यह संदेश देने में सफल रही है कि हिजाब के अंदर रहकर भी कोई महिला बोल्ड हो सकती है. हिजाब का मतलब सिर्फ गुलामी नहीं है. अब हिन्दी में लिखने-पढ़ने और सोचने वाले स्त्रीवादी पुरुष-महिलाओं की प्रतिक्रिया का इंतजार है. वे नादिया द्वारा देह मुक्ति से स्त्री मुक्ति की तरफ बढ़ाए गए इस कदम को मुस्लिम महिलाओं की मुक्ति का आख्यान मानती हैं या नहीं ? जैसे कि प्रोफेसर सिराजी मानती हैं- ‘’बहुत सी स्त्रीवादी मुस्लिम महिलाएं इसलिए हिजाब/निकाब/बुर्का को पसंद करती हैं क्योंकि वे अपने सेक्सुआलिटी का प्रदर्शन सरे बाजार नहीं करना चाहती. यह समझना गलत है कि सभी महिलाएं इसलिए हिजाब पहनती हैं क्योकि उन पर परिवार की तरफ से दबाव होता है. ‘ हिजाब गुलामी का प्रतीक है’, यह पश्चिमी देशों द्वारा फैलाई गई अफवाह मात्र है.‘’
यदि प्रोफेसर सिराजी का दिया गया यह तर्क मान लिया जाए कि हिजाब पहनना या नहीं पहनना मुसलमान स्त्री की मर्जी है. ऐसे में यदि कोई मुस्लिम महिला हिजाब/बुर्का के विरोध में लिखती है तो मुस्लिम मर्दो का बहुमत उनके विरोध में क्यों खड़ा हो जाता है ? जैसे बहुत से मर्दों ने हिजाब के पक्ष में लिखने की आजादी ले ली है, वैसे ही कुछ महिलाओं को वे हिजाब के खिलाफ लिखने की आजादी क्यों नहीं देते ? नादिया के मामले में दिलचस्प यह है कि वह दुनिया की ऐसी अकेली मुस्लिम महिला होगी जिसका विरोध हिजाब उतारने के लिए नहीं बल्कि हिजाब पहनने के लिए किया गया. एडल्ट वीडियो में उसने अपने बदन का एक एक कपड़ा उतार फेंका ऐसे में उसका विरोध इसलिए है, क्योंकि जब उसने सारे कपड़े उतार दिए फिर हिजाब क्यों नहीं उतारा. इसकी वजह नादिया अली को बचपन में मिली वह सीख ही रही होगी, जो उसके अंदर तक जा धंसी थी. ‘हिजाब उतारने वाली लड़कियां वेश्या होती हैं.’ संभव है कि उसने ऐसे समाज से जो अपनी लड़कियों को आजादी नहीं देता, बगावत का यह नायाब तरीका चुना हो. जहां नादिया अली का समाज कह रहा है कि हिजाब, उतारो लेकिन वह अपने ‘सेक्सूअल क्रूसेड’ में इसके लिए तैयार नहीं है.
आशीष कुमार ‘अंशु’
फुटनोट: (यह आलेख स्त्री काल पर 09 मई 2016 को प्रकाशित हुआ था। हिजाब पर चले नए विवाद में यह लेख एक बार फिर प्रासंगिक हो गया है। एक बार पुन: इसे सोशल मीडिया पर आप सबके साथ साझा कर रहा हूं। यह आलेख कॉपी राइट फ्री है। इसका जैसे चाहें उपयोग करें। इच्छा हो तो लेखक का नाम दें। आप यदि लेखक के नाम की जगह अपने नाम से भी इसे साझा करते हैं तो लेखक को कोई आपत्ति नहीं है)

Related Articles

Leave a Comment