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पानी की भरी बोतल

लघु कथा : रिवेश प्रताप सिंह

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गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। गाड़ी में पानी की तमाम बोतलें थी। लेकिन पानी!! किसी भी बोतल के तलहटी में नहीं था। खैर! पानी जीवन है इसलिए एक ढाबे पर रुककर दो बोतल पानी खरीदा।
आपको मालूम कि पानी की बोतल‌ टिकाने के लिए कार के फाटक में एक विशेष जगह बनी होती है। मैंने भी उपयुक्त जगह में पानी से भरी बोतल को सम्मान से टिकाना चाहा…
लेकिन वहां तो पहले से मौजूद खाली बोतल ने मेरा पुरजोर विरोध किया। तभी मेरे बराबर में बैठे मित्र ने चिढ़कर कहा- “शीशे से बाहर फेंकिए इसको! आप भी कबाड़ का मोह करने लगते हैं।”
खैर! मैंने भी बोतल चूमकर शीशे के बाहर फेंका…
और कमाल यह कि बोतल फेंकते ही एक कबाड़ी उसे अपने बोरे में भरकर आगे बढ़ चला और मैं पानी की भरी बोतल के साथ लखनऊ।

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