” खुशी खुशी कर दो विदा, दुलारी बेटी राज करे ..”
विवाह की रस्में हँसी खुशी रोते गाते कब बीत गयी पता न चला.! अब विदाई की रस्म होने वाली थी पर मैं अब अपने फ्रेंड्स के साथ खिलखिलाकर हँस रही थी..!
मम्मी भावुक थी पर रात को इतनी रो चुकी थी जिससे उसकी आंखें एकदम लाल हो चुकी थी और अब अश्रु ही नहीं निकल रहे थे ,
मम्मी मुझे खिलखिलाते हुए देखकर मेरे गालों को छूकर बोली ; ए शचि.. !
ए बुलबुल ..!
बेटा अब तुम्हारी विदाई हो रही है ..थोड़ा रो ले शचि ..!!
मैं जल्दी से बोली : मम्मी रात को रोई तो थी अब कौन सी दूर जा रही हूँ , यही तो है घर ..!
( जिन बच्चों का बहुत अधिक दुलार से पालन पोषण होता है वो बच्चे उदंड और चंचल हो जाते हैं , उनकी उम्र तो बढ़ती जाती है पर बात की गंभीरता उन्हें बहुत बाद में समझ आती है। मैं वही बिगड़ैल बेटी हूँ अपने मम्मी पापा की जो कभी कभी बातें तो बहुत बुद्धिमानी की करने लगती है पर सच तो यह है गलती करना, चंचलता उदंडता , जल्दी गंभीरता को न समझना यह मेरी जीवन शैली में शामिल हो गया है , वजह शायद यह है कि मुझे इतने ज्यादा प्यार करने वाले लोग हैं मुझे माफ़ कर ही देंगे, मेरी हर समस्या का समाधान कर ही देंगे)
मम्मी इतनी अधिक भावुक थी कि उसका गला भर आया और वो रुंधे गले से बोली ; शचि ..! पापा से नहीं मिलोगी ..!!!!!
मम्मी के लहजे में न जाने क्या बात थी जिससे मेरा कलेजा जोर से धक्क कर गया, हृदय की धड़कन कुछ ज्यादा ही जोर से धड़कने लगी।
ऐसा लगा जैसे मैं अपनी बहुत ही कीमती चीज़ खोने जा रही ,मेरा गला सूखने लगा ..! ।और मैं मम्मी से पानी माँगते हुए बोली ..!
मम्मी ..!! पापा ..!! पापा कहाँ हैं मम्मी .!
दिखाई नहीं दे रहें हैं, मम्मी पापा कहाँ हैं..?
भैया बुलाओ पापा को ..!
सब लोग पापा को खोजने लगे पर पापा कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे..पापा को न देख पाने की वजह से अब मुझे जोर जोर से रोना आना शुरू हो गया था..!
अब मेरी आँखें खुद ब खुद अश्रुओं से भरती चली जा रही थी और मैं अब खुद का रोना रोक नहीं पाई और रोते हुए मम्मी से बोली : मम्मी ..! पापा कहाँ गए .. ?
मैं जा रही हूँ और पापा ही दिखाई नहीं दे रहे हैं..! भैया पापा मिले क्या ..!!!
भैया बोले अभी तो आधे घंटे पहले यहीं थे फिर न जाने कहाँ चले गए…?
तभी बुआ की लड़की आयी और बोली ; दीदी ..! मामा .. मम्मी के पास बैठकर रो रहें हैं ,मम्मी और आपके मामा भी मामा को चुप करा रहे हैं पर रोते हुए कह रहे हैं कि मैं शचि को विदा नहीं कर पाऊंगा , मेरे प्राण निकल जाएंगे..!
अब मैं सुध बुध खो गयी , खुद को जोर जोर से रोने से नहीं रोक पाई और पापा की ओर चल पड़ी ..!
जहां कमरे में देखती हूँ पापा जमीन पर पड़े गद्दे पर लेटे हैं और अपने चेहरे को तौलिए से ढके हुए हैं ..!
मैं पापा को ऐसे देखकर रोते हुए बोली ; पापा मैं जा रही हूँ..!
पापा झट से उठ खड़े हुए और बोले ; अरे विदाई का मुहूर्त बीत जाएगा यहां क्यों लेकर इसे आ गयी ..! ये बात पापा बिना मेरी तरफ देखे मम्मी से बोले ;
चलो ..! चलो ..! चलो सब कोई बाहर ..
मैं पापा को गले लगाकर खूब जोर से रो पड़ी तो पापा भी रुंधे गले से बोले ; ज्यादा नहीं रोते शचि, मेरी गुड़िया .! तबियत खराब हो जाएगी न ..! रात भर जागी हो ,ज्यादा नहीं रोते न बेटा . !
ऐसा कहकर पापा मेरे आँसू पोंछकर प्यार से दुलारते हुए रुंधे गले से रोते हुए मुझे अपने हृदय से लगाये हुए घर से बाहर निकले ।
जब कार के पास पहुँचे तो मुझे जोर से रोना आ गया और मैं पापा से लिपटकर फिर रोने लगी । अब पापा की आंखों से तेजी से आँसू निकल रहे थे पर पापा बार बार कोशिश करके अपना रोना रोक रहे थे जिससे उनका चेहरा सिकुड़ता चला जा रहा था और इस कारण से आँसू और भी तेजी से निकलने लगे।
पापा भरे गले से बुदबुदाते हुए बोले ; मुझे समझ ही नहीं आया ,वक्त कितनी तेजी से बीत गया “मेरी शचि इतनी जल्दी बड़ी हो गयी”
फिर पापा मुझसे कहते हैं ; शचि . ! बुलबुल ,बच्चा. .! अब कार में बैठो बेटा मुहूर्त बीता जा रहा है फिर पापा मुझे कार में बैठाकर घर के अंदर चले जाते हैं..!
मैं समझ गयी थी कि पापा फिर मेरे लिए किसी कमरे में बैठकर रोयेंगे..!
मेरी आँखों में तो आँसू ही नहीं आ रहे थे पर मम्मी जब बोली : “शचि पापा से नहीं मिलोगी ” तब मैं खुद को रोक न पाई…
10 कदम भी दूर मेरा ससुराल नहीं है पर पापा के आंसुओं ने मुझे सबकुछ भुला दिया और मुझे लगा जैसे मैं विदा होकर बहुत दूर जा रही हूँ..!

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