आज सरसों का तेल 200₹ लीटर पार गया। किसान का सरसों भी 9500₹ कुंतल की कीमत पर बिक रहा है।
आज से महज 8-10 पहले जब भी महंगाई बढ़ती थी तो उस अनुपात में किसान की कमाई में कोई बढ़त नहीं हुआ करती थी। सारी बढ़ी कीमत मंडी माफियाओं, आढ़तियों, वायदा कारोबारियों, कमीशन एजेंटों की जेब तक पहुंच कर गुम हो जाया करती थी।
मालूम होना चाहिए कि 200₹ लीटर सरसो के तेल कीमत के समय किसान की जेब में पहुँच रहा यह 9500₹ प्रति क्विंटल सरसो… दरअसल वेल्थ ट्रान्सफर है यानी समृद्धि का बंटवारा है, बढ़ी कमाई में हिस्सेदारी है। किसानों की आय दोगुनी की तरफ बढ़ती यात्रा है।
यह भी मालूम होना चाहिए कि इन्हीं वजहों से देश में सजाया गया कथित किसान आंदोलन केवल मंडी माफियाओं, आढ़तियों और मुनाफाखोरों की महफ़िल है जिसे देश के किसानों का कोई समर्थन नहीं है।
देश के किसान का भला केवल गाल बजाने से नहीं हो सकेगा… इसलिए सन्तोष होना चाहिए कि 200 रुपये एक लीटर सरसो तेल की कीमत चुकाते समय जो कष्ट हो रहा.. वह दरअसल किसान की जेब में जा रहे 9500 रुपयों की कीमत पर है।
किसान को उसकी फसल की सही कीमत देनी ही होगी। किसानों की कमाई पर डाका डालने वाले बिचौलियों, जमाखोरों, मुनाफाखोरों की कीमतें कम करने के तरीकों पर दिमाग लगाना होगा क्योंकि एक लीटर सरसो तेल के 200 रुपयों और 9500 रुपये प्रति क्विंटल सरसो दोनों में से अब भी एक बड़ा हिस्सा इन्हीं बीच वालों के पास जा रहा है।
#अवनीश पी. एन. शर्मा)