Home राजनीति राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में पांचों टाइम मस्जिदों से होनेवाले हल्ले के बदले दोगुना हल्ला करने की घोषणा कर दी है

राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में पांचों टाइम मस्जिदों से होनेवाले हल्ले के बदले दोगुना हल्ला करने की घोषणा कर दी है

by Swami Vyalok
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राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में पांचों टाइम मस्जिदों से होनेवाले हल्ले के बदले दोगुना हल्ला करने की घोषणा कर दी है | उन्होंने कहा है कि अगर पांच दफे अजान को नहीं रोका गया, तो वह मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर लगा कर हनुमान-चालीसा बजाएंगे।

 

इस फैसले के बाकी आयामों पर मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन इतना तय है कि राज फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में कामयाब हो सकते हैं। वैसे भी, बाल ठाकरे के अंदर का धृतराष्ट्र जागता नहीं, तो उनका नालायक बेटा किसी काम का नहीं होता। पूरा मराठा मानुष जानता है कि उद्धव से राज हजार गुणा लायक हैं। (मैं उनकी राजनीति के सही-गलत होने की बात ही नहीं कर रहा। वैसे तो बाल ठाकरे की भी राजनीति देश के लिए ठीक नहीं थी) अस्तु…
महाराष्ट्र की हालत बहुत खराब है। उद्धव ने गर्त में मिला दिया है उसे। कोरोना के मिसमैनेजमेंट से लेकर संस्थागत क्षरण और धन की अबाध-अपरिमित लूट ने उसे बिल्कुल ही निष्प्रभावी सीएम बना दिया है। ऊपर से पेंग्विन का तो कहना ही क्या।
मुसलमानों की जिद, अहंकार, हठधर्मिता, अहंकार, कट्‌टरता, मूुर्खता और असहिष्णुता से देश का ताना-बाना बिगड़ा है। (होली से लेकर किसी शोभायात्रा तक पर देश के हरेक कोने में पथराव, दिल्ली की हिंसा, कर्नाटक का हिजाब-हलाल तो बस टिप ऑफ आइसबर्ग है)। मुख्य बात ये है कि इनकी जहालत से अब भारत में घबराहट सतह पर आ रही है। अपने दो-ढाई साल के शासन में उद्धव ने महाराष्ट्र को भी केरल और बंगाल की दुर्गति मुहैया करा दी है।
राज ठाकरे इसी स्पेस को भुनाने आ रहे हैं। मोदीजीवा-शाहजीवा का प्रच्छन्न सपोर्ट भी हो, तो मुझे अचरज नहीं होगा।
जैसे 1990 का दशक गोबर-प्रदेशों या बीमारू राज्यों का था, यह समय दक्षिण और मराठों का है। राजनीति के दृष्टिकोण से। यहीं से कुछ नया होगा।
बाकी, तीन-चार मोमिनों ने हेलिकॉप्टर से जाकर और दूरबीन से देखकर बता ही दिया है कि रमजान (सॉरी, अब तो वह भी रमदान हो गया) शुरू हो गया है। जनेवि में मैं भी इफ्तार का खूब इंतजार करता था, क्योंकि खाने को खूब मिलता था। एक मुसलमान दोस्त ने ये शेर भी सुनाया था। किसका था, पता नहीं…
सूरज ढलते ही रख दिए उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ,
इश्क़ का रोज़ा था और ग़ज़ब की इफ़्तारी थी ।।

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