Home नया सरकारी मुलाजिम हैं

सरकारी मुलाजिम हैं

by Nitin Tripathi
894 views
एक मित्र हैं, सरकारी मुलाजिम हैं. कुछ व्यक्तिगत वजहों से भाजपा से नाराज चल रहे थे.
कार्यालय में दो सपाई आएँ कुछ कार्य कराने. काफ़ी बत्तमीजी से बात की. बात बढ़ गई, अधिकारी तक पहुँची. अधिकारी ने मित्र को ही समझाया हटाओ बात को जाने दो. मित्र ने कहा मुझे इनका काम करने में समस्या नहीं है, कम से कम बात तो तमीज़ से करें. सपाई बोलते कि हम ऐसे ही बात करते हैं, यही हमारा तरीक़ा है. और दो महीने बाद सरकार आ रही है, यहीं इसी कुर्सी पर बैठ कर बात करेंगे. साथ में पंडित जी को थोड़ा जातीय हूल भी दिया.
बेचारे मित्र अब सबको समझा रहे हैं कि भाजपा की सरकार ही आनी चाहिए.
यह चुनाव ऐसे भी सपा जीत न रही थी. पर बीते महीने स्वयं अखिलेश यादव और सपा के कार्यकर्ताओं ने पहले ही जीत का जश्न आरम्भ कर जो धमकियाँ देना आरम्भ किया, उससे जो लोग सपा का गुंडाराज भूल चुके थे, उनकी भी यादास्त वापस आ गई.
यह पहला चुनाव मैं देख रहा हूँ जिसमें विपक्ष बिल्कुल मैदान से बाहर दिख रहा है. यदि अनहोनी न हो और भाजपा कोई ब्लंडर न करे तो आज की हालत देखते हुवे पिछली बार से ज़्यादा सीटें भी भाजपा पा सकती है.

Related Articles

Leave a Comment