एक बहन का रिश्ता देखने लड़के वालों के घर पहुंचा। लड़के के पिता बेरोजगार थे लाइफ लॉंग, लड़का अमेरिका मे था। लड़की भी अमेरिका मे ही थी। लड़के के परिवार का स्टैन्डर्ड काफी डाउन था, पर लड़का लड़की लगभग बराबर लेवल पर थे तो रिश्ता देखा जा सकता था। यद्यपि परिवार देखते हुवे मैं थोड़ा हिचक रहा था।
पंद्रह बीस मिनट की बात चीत मे जैसा होता है पूँछा गया कि कुछ दान दहेज की डिमांड। न जी बस लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद कर लें और हमे क्या चाहिए – हें हें हें। फिर आप लोग सम्पन्न हैं लड़की अमेरिका मे है तो उसके स्टैन्डर्ड के हिसाब से संकल्प तो कुछ कर ही रखा होगा। हें हें हें। बाकी आप तो जानते हैं हमे अपने लिए कुछ न चाहिए। यदि चाहिए होता तो फलाने विधायक जी कल आए थे, पचास तो कैश दे रहे थे, पर हमने कह दिया हम पैसे पर लड़के को थोड़े ही न बेचेंगे। वैसे भी आज की तारीख मे ऐसा लड़का पचास लाख से कम मे कहाँ मिलता है, कोई अहसान थोड़े कर रहे हैं। बाकी हम लोग तो पैसे की बात करते ही नहीं हैं। फलाने आए थे बोल रहे थे सफारी देंगे, हमने कह दिया क्या हम गाड़ी के भूखे हैं। अरे सफारी तो कोई भी देगा ही देगा।
उसने बैठे बैठे सत्तर पचहत्तर लाख की मांग कर डाली। लड़की की एजुकेशन, जॉब, प्रोफाइल कोई मायने नहीं रखती। उसके खुद के पास ऐसा घर न था जहां गाड़ी खड़ी कर सकें, पर बस उसे नगद चाहिए वह भी यह कहते हुवे कि हम तो कोई मांग कर ही नहीं रहे हैं।।
शो ऑफ चीप वाला। सामने एक बड़ा सा कैलेंडर लगा रखा था एबीसी फार्मा का। बाबा हमारे साथ मे थे। बाबा ने पूँछा कि कोई खास वजह इतना बड़ा कैलेंडर लगाया है। लड़के के पिता इसी प्रश्न का इंतजार कर रहे थे। बताने लगे कि उनका परिचय इनके मालिक से है। मेरा नंबर उन्होंने सेव करके रखा है। कल्पना कीजिए इतने बड़े आदमी ने मेरा नंबर अपने फोन पर सेव कर रखा है। बाबा ने बोला अच्छा, काल करके दिखाओ। सज्जन ने फुल भौकाल से नोकिया 1100 निकाल डायल किया नंबर। तीन चार बार मे काल पिक हुई, ये चालू हो गए सर सर। पीछे से बाबा ने बोला रमेश बड़े दिमाग खराब हो गए तुम्हारे, बड़े सर बने फिर रहे हो। लड़के के पिता को काटो तो खून नहीं। माइक पर हाथ रख बोलता आपको तमीज नहीं कैसे बात करनी है इतने बड़े आदमी से। तब तक उधर से कंपनी के मालिक ने बोला वो पीछे आवाज किसकी थी? बाबा ने फिर बोल रमेश अब नाम बताना पड़ेगा क्या हमें। तुरंत मालिक ने बोल, अरे पीछे से तो साहब बोल रहे हैं। बात कराओ।
फार्मा मालिक बाबा को बहुत मानता था। बाबा आयुर्वेद विभाग मे टॉप रैंक से रिटायर हुवे थे और उनकी गुड्विल इतनी अच्छी थी कि रिटायरमेंट के बीस वर्षों पश्चात भी डाबर, एबीसी फार्मा, हिमालया के मालिक / टॉप अफसर उनकी आवाज से पहचानते थे और अभी भी सम्मान वस साहब ही बोलते थे। सरकारी नौकरी मे रिटायर होने के पश्चात सम्मान समाप्त हो जाता है, बाबा को वह बीस साल बाद भी साहब बोलते थे। लड़के के पिता अब शांत हो गए।
विवाह तो हमें करना ना था। चलते चलते हमने उन्हें बोल दिया, यदि वाकई पचास लाख मिल रहे हों कहीं तो तुरंत डील क्लोज़ कर दो। नहीं तो लड़का अमेरिका मे ही कर लेगा और हाथ चबन्नी न लगेगी। बाद मे हुआ भी वैसा ही।
एक लड़का है एक लड़की। लड़के को बड़ा करते हुवे डर लगता है भारत मे कि संगत न बिगड़ जाए। लड़की को बड़ा करते हुवे हाथ पैर फूलते हैं सोंच कर कि उसे पढ़ा लिखा कर इस तरह के लालचियों के सामने रिश्ता लेकर जाना पड़ेगा। यह तो पता है कि अंततः अच्छी फॅमिली परफेक्ट मैच मिल ही जाएगा लेकिन वहाँ तक पहुँचने के लिए ऐसे ऐसे लालचियों से होकर निकलना पड़ता है कि हर लड़की के पिता के हाथ पैर फूलते हैं।

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