कल एक लड़का बहुत जोश में,किसी फिल्म का बहिष्कार कर रहा था कह रहा था कि हीरोइन ने भगवा पहनकर धर्म खतरे में डाल दिया है,और जो फ़िल्म के बारे में आम जनता को नही पता था उनको भी बता रहा था मतलब फ़िल्म के अंदर ऐसा क्या है यह देखने के लिये लोगो को उकसा रहा था,मैने कहा तुम तो पिछले महीने बोल रहे थे कि नोकरी चाहिये बेरोजगार हूँ।और अब तुम यह सब करने में व्यस्त हो।
तुम्हारे बहिष्कार से फ़िल्म फ्लॉप नही होगी फ़िल्म की और पब्लिसिटी बढ़ जाएगी।।
उसने कहा दीदी,किसी ने मुझसे कहा धर्म खतरे में है।
इसलिये फ़िल्म का बायकॉट करना जरूरी है।
मैंने कहा जो ध र्म एक फ़िल्म से खतरे में आ सकता है
उसमे रहकर तुम सुरक्षित कैसे हो सकते हो।जिस धर्म के लोग एक सवाल करने मात्र से सयंम खो देते हों वह तुम्हारे साथ भाईचारा कैसे निभाएंगे?तुम्हारे बच्चो की सुरक्षा वह ध र्म कैसे करेगा?
सवाल छोड़ रही हूं जवाब मिल जाएं तो अपने बच्चों को बता देना।।
कुछ गन्दी मानसिकता के लोग।, लेखक भगवा को किसी पार्टी का ट्रेड मार्क बता कर अपने आपको दुसरो को संतुष्ट करना चाहते है पर यह लोग किसी रंग से धर्म को जोड़कर कैसे देख सकते है दरअसल ऐसे लोग सिर्फ एक जाती विशेष को ही खास समझते और मानते आये है और बाकी के लोगो का धर्म जाती उनके लिए कुछ भी नहीं खुद को सनातनी और हिन्दू बताने वाले ये लोग क्या हमें यह बता सकते है की कैसे भगवा रंग से या किसी मुस्लिम के किसी फिल्म में काम करने से हिन्दू धर्म खतरे में हो गया जबकि ऐसी गलत मानस्किता वाले लोग भी जानते है की फिल्मे सिर्फ हमारे मनोरंजन का कारक है