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आप मुसीबतों से इतना घबरा चुकें है कि आपके सामने कोई रास्ता न बचा हो उसी वक्त कोई आपको बतायें कि फलानी जगह चलो वहां पर बस अपनी समस्या बता देना समाधान मिल जायेगा… हर तरफ से हार चुके इंसान को इस आसान से रास्ते को अपना कर अपनी मुसीबत से मुक्ति पा लेने में कोई आपत्ति नजर नहीं आती।
दुनिया के हर कोने में धर्म/तंत्र/जादू आधारित चमत्कार को नमस्कार करने की महती परम्परा रही है और प्रत्येक संप्रदाय या भाषा के लोगों कि ऐसे चमत्कारों में आस्था है पर धीरे धीरे तर्कशील लोगों का एक अलग गुट बना और वैज्ञानिक युग के दृष्टिकोण के आधार पर इन चमत्कारों और उन पर विश्वास करने की प्रक्रिया को ‘अंधविश्वास’ का नाम दे दिया गया।
अंधविश्वास को सीधे किसी संप्रदाय से जोड़ना बिल्कुल सही है क्योंकि आस्था के आधार पर अंध-श्रद्धा का बाजार चलाने का काम हर संप्रदाय ने किया है। किसी ने दरबार के नाम पर, तो किसी ने चंगाई सभा के नाम पर, तो किसी ने दरगाहों के पढ़े हुये पानी के नाम पर। इन्हीं चमत्कारों की आड़ में खूब पैसे कमाये जाते है और मतांतरण का धंधा भी चलता है।
“बागेश्वर धाम सरकार”
पिछले कुछ समय के लाइमलाइट में अगर कोई हिंदू संत है जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और सबसे तेजी से लोकप्रिय हुये है तो वो है मध्य प्रदेश स्थित बागेश्वर धाम के ‘धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री’
युवा अवस्था, ठेठ बुंदेलखंडी बोली, तेजस्वी मुखमंडल, चटक पहनावा, उर्जावान् व्यक्तिव, ओजपूर्ण सनातन के सम्मान नें गरजती स्वाभिमानी वाणी और सम्मोहित कर लेने वाला आकर्षक व्यक्तित्व।
उनकी वाणी और व्यक्तित्व से आकर्षित होकर उनको सुनने लाखों की भीड़ आती है और सोशल मीडिया पर भी उनके खासे फॉलोवर है जो उनको देखना सुनना पसंद करते हैं। इस अपार जनसमूह को वो केवल कथा ही नहीं सुनाते बल्कि अपनी व्यासपीठ का उपयोग व्यापक जागरूकता फैलाने में भी करते हैं।
लोगो को पहले शिकायत होती थी कोई हिंदू संत मंच से स्पष्ट आवहन क्यों नहीं करता कि बॉलीवुड के हिंदू विरोधी नैरेटिव का विरोध करो, मतांतरण का विरोध करो, सनातन पर लगने वाले अनर्गल आरोपो का विरोध करो पर जबसे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उन पर मुखर हुये है उनके विरोधियों की बाढ़ सी आ गयी है।
उनकी आक्रामकता प्रशंसनीय है और आवश्यक भी।
जब वो प्रभु राम को काल्पनिक बताने पर लच्छेदार बातें करने की जगह सीना ठोक कर कहते है कि हां हमें बुरा लगता है और हम इस पर प्रतिक्रिया देंगे, जब वो स्पष्ट तौर से लव जे हा द के विरूद्ध मुखर होते है, जब वो कहते है कि बॉलीवुड का बहिष्कार करोगे तो वो कलावा पहनने और तिलक लगाने को मजबूर हो जायेंगे, जब वो कहते है कि लड़कियों शादी उसी से करना जो सनातनी गले में माला और माथे पर तिलक धारण करता हो, जब वो कहते हैं कि तुम अर्नगल प्रलाप करोगे तो हम मुंह तोड़ जवाब भी देंगे और काम भी करेंगे तो बहुतो के कलेजे पर सांप लोट ही जाता है।
अब इसका दूसरा और बड़ा नैरेटिव समझिये। ‘मिशनरी एंगल’
पूरी दुनिया में अपनी तथाकथित विकासवादी सोच को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की हवस और अशांति का सबसे बड़ा कारक बनती जा रही मिशनरियां जोकि पूरे विश्व में घूम घूम कर हर धर्म के लोगों को ईसाई बना देना चाहती है और इसके लिये हर स्थानीय कानून का बेजा उल्लंघन करके बेलगाम धर्म परिवर्तन करा रही है वो किसी भी अन्य धर्म की जागरूकता को बर्दाश्त नहीं कर पातीं।
अब चूंकि मामला भारत का है तो जाहिर कि वे हिंदू संतो और परंपराओं पर सबसे ज्यादा आक्रामक रहेंगी। इनको फंड और रिसोर्स की कोई कमी नहीं है तो इनका सबसे आसान टारगेट है पिछड़े क्षेत्र के गरीब लोग। शिक्षित और धवाढ्य वर्ग पर भी ये अपने जाल फेंकते है पर उन्हें लालच से अधिक अपनी वास्तविकता के प्रति हीनभाव से ग्रसित कर ब्रेनवॉश करके अपनी विचारधारा से जोड़ते है।
ये कितने फोकस्ड है अपने काम को लेकर उसके लिये आप याद कीजिये कैसे अंडमान के सेंटीनल द्वीप पर एक अमेरिकन मिशनरी का उपदेशक जॉन एलन चाउ वहां के सेंटनलीज जनजाति के उन मुठ्ठीभर जीवित बचे आदिवासियों (जो संख्या में मात्र 40 थे) को क्रिश्चियन बनाना चाहता था जो पूरी तरह से बाहरी दुनियां से कटे हुये थे और आज भी खेती तक करना नहीं जानते, हमारी कोई प्रचलित भाषा नहीं जानते, आज भी आदिमानवों की तरह शिकार करके खातें है।
आप याद कीजिये अप्रत्यक्ष तौर पर फिल्मों में कैसे शिखा रखने वाले का, पारंपरिक वस्त्र पहनने वाले का मजाक बनाया जाता है। कुछ बड़ी कंपनियां कैसे आपके पारंपारिक मिष्ठान की जगह कुछ मीठा हो जाये के नाम पर चॉकलेट खाने को रिश्तों में मजबूती लाने का स्टेप बताती है। कैसे पेटा को होली-दीवाली पर जानवरों को होने वाला कष्ट दिखता है पर पूरी दुनियां में परोसे जा रहे जानवरों के मांस पर, और खून बहा कर मनाते जा रहे त्योहार पर कोई आपत्ति नहीं होती।
ऐसे ही धनबल, राजनैतिक बल और कॉर्पोरेट बल का प्रयोग करके ये मिशनरीयां किसी भी नैरेटिव को बनाती है फिर प्रमोट करतीं है और स्वयं को वैचारिक तौर पर स्थापित कर ले जातीं है।
चंगाई सभा।
चमत्कारिक दरबार और हिंदू मान्यताओं की खिल्ली उड़ाने वाले लोग कभी इनकी चंगाई सभाओं पर क्यों कुछ नहीं बोल पातें?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर आरोप लगते ही Dainik Bhaskar और The Lallantop जैसे बड़े मीडिया संस्थान सीधा उनको भूमाफिया, अंधविश्वास फैलाने वाला बताकर खबर छापने और स्टोरी बनाने लग जाते है। टाइटल होता है ‘बागेश्वर वाले बाबा की पूरी कुंडली’
क्या इस तरह के टाइटल से ये कभी किसी ई साई पास्टर की स्टोरी बना सकतें है? किसी मु स्लि म मौ ला ना की स्टोरी बना सकतें है? बेजा धर्मांतरण पर इन्होंने कितनी स्टोरी करी है और वो विडियो कितने लोगों तक पहुंचे? कभी ये उन धर्मांतरित लोगो के पास जाकर उनके धर्म परिवर्तन का कारण समझ कर उस पर कोई विडियो क्यों नहीं बनाते? जब सुप्रीम कोर्ट और सरकार लगातार धर्मांतरण पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे है उस वक्त मीडिया के एक बड़े हिस्से की भूमिका कहाँ गायब है?
श्याम मानव
इनके बारे में पढ़ा तो मालूम हुआ ये किसी अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष है। अरे सर आप महाराष्ट्र से है आपको बॉलीवुड की फिल्मों में फिल्माया जा रहा अंध विश्वास नजर नहीं आता है जोकि पूरी दुनिया में ब्रॉडकास्ट होता है लोग देखते है? चंगाई सभा जिसमें हो रही नौटंकी देखकर ही हंसी छूट जाती है उसको कभी 30 लाख वाला ऑफर नहीं दिये? बयान दिये है कि सनातन संस्था युवको का ब्रेनवॉश कर रही है। अच्छा जी ठीक! फिर जो मौ ल वी कर रहे है या इन चंगाई सभाओं में हो रहा है वहां कोई ब्रेनवॉश या अंध‌श्रद्धा नजर नहीं आती आपको? ऐसे तो ये भेदभाव परक नीति से किसी के मोहरे ही नजर आ रहे है।
मेरा स्पष्ट मत है कि जिस प्रकार ईसाई मिशनरीयां देश के पिछड़े, अशिक्षित वर्ग को चमत्कार और लालच दिखा- लुभाकर मतांतरित करतीं है उस पिछड़े वर्ग के पास धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पहुंचना सभी को बड़ा चुभ रहा है।
बागेश्वर आने वाली भीड़ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ताकत है और उन लोगों को बस इनकी छवि बिगाड़ कर ही छितराया जा सकता है तो इनके विरूद्ध पेड नैरेटिव चला दो कि ये श्याम मानव से डरकर भाग गयें, भू-माफिया है आदि आदि। कोई बड़ी बात नहीं कल को इनके पास भक्त बन कर आयी कोई महिला इनपर यौन शोषण का आरोप भी चस्पा कर दे।
धू़र्त लोगो की धूर्ततापूर्ण कृत्यों के जवाब में दरबार लगते रहने चाहिये वरना लोग चंगाई सभा और दरगाहों में अपनी समस्या का हल खोजने पहुंचनें लगेंगे। जनता जो चाहती है उसे वो अपने धर्म में मिलने लगे तो वो दूसरी जगहों का रूख क्यों करेगी?
एक बात स्पष्ट है बागेश्वर सरकार कोई काम हिंदू विरोध में नहीं कर रहे, विरोधियों पर आक्रामक है और उनके पास चमत्कार जैसी दिखने वाली कोई वस्तु है जो अधिसंख्य लोगों को आकर्षित करती है। वही लोग इनके फॉलोवर है और इनकी बातों में विश्वास करते हैं इनके आवाहनो पर अमल करते हैं। जब तक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सनातन के सम्मान में मुखर है हमें उनका सम्मान, समर्थन करते ही रहना होगा वरना हम नैरेटिव की लड़ाई में उतना ही पीछे हो जायेंगे जितना 20 वर्ष पहले थे।
बाकी बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को भी एक सलाह है कि वे बेशक जागरूकता फैलाये, अपने नैरेटिव को स्थापित करें पर अति वाचालता से बचें। किसी भी महिला भक्त से अकेले में मिलने से बचें और विवादों से जितना हो सके दूर रहें। बाकी उन्हें इन आरोपों से घबराने और श्याम मानव जैसों को जवाब तक देने की आवश्यकता नहीं है यदि कोई कानूनी मामला बनता भी है तो आप सर्वश्रेष्ठ वकीलों की फौज खड़ी कर देने में सक्षम है तो इनको एंटरटेन करने जैसा कोई तुक नहीं बनता है।

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