हमारे यहाँ फ़िल्म इंडस्ट्री में टीवी कलाकारों को बेहद तिरछी नजरों से देखा जाता है। या यूं कहें उन्हें कलाकार समझा ही नहीं जाता है।
वैसे नब्बे के दशक के बाद टेलीविजन इंडस्ट्री गर्त में चली गई। अपने बेहूदे कंटेंट की वजह से, बाकी इसमें कोई दो राय नहीं है। कि आज भी टेलीविजन इंडस्ट्री लोगों का मनोरंजन कर रही है। भले ही कंटेंट के नाम पर वाहियात ही क्यों न सही।
जब कोई टेलीविजन इंडस्ट्री से कलाकार फिल्मी पर्दे की दौड़ में शामिल होता है। तो उसे कुछ समझा ही नहीं जाता। अगर किसी फिल्म में उन्हें किरदार दिए जाते है। तो जूनियर आर्टिस्ट वाले, मतलब बस दे दिया।
वर्ल्ड सिनेमाई पटल पर फ़िल्मी पर्दे से ज्यादा टेलीविजन की धाक है। वहाँ फिल्मी पर्दे के लिए टेलीविजन की राह से होकर गुजरना पड़ता है। प्रियंका चोपड़ा को ही ले लो। ख़ैर,
अगर कायदे से देखें। तो कुछ टेलीविजन कलाकारों के आगे, कई मशहूर फ़िल्मी हीरो का करियर कुछ भी अवकात नहीं रखता है। आज मैं जिस टेलीविजन कलाकार की बात करने जा रहा हूँ। उनपर ‘देवों के देव महादेव’ का आशीर्वाद है। क्योंकि शिव की सहमति से ही उन्होंने शिव को टेलीविजन पर उतारा है।
लोगों की नजरों में शिव का एक अलग ही चेहरा पेश किया है। यूँ तो कई और कलाकार शिव की शरण में आए है। लेकिन महादेव का ‘मोहित रैना’ से कुछ ज्यादा लगाव रहा है। मोहित भी महादेव की भक्ति में इतना रम गए। कि महादेव के तीस रूपों को पर्दे पर उतार दिया। जो भारतीय सिनेमाई इतिहास में पहली दफा हुआ था।
मोहित रैना तीन वर्ष महादेव की शरण में पड़े रहे। और इतना कुछ पा गए। कि अच्छे अच्छे कलाकारों को पूरे करियर में भी नहीं मिल पाता।
शिव से बड़ा प्रेमी कौन है ब्रह्मांड में?
यकीनन कोई नहीं…
शिव से बड़ा त्यागी कौन है ??
यकीनन कोई नहीं…..
मोहित ने प्रेमी शिव को करीब से जाना। प्रेमी शिव के अलावे, महादेव, महाकाल, नटराज, नीलकंठ,जलन्धर, जट्टा, वीरभद्र, काल भैरव, अर्धनारीश्वर, चंद्रशेखर, दत्तात्रेय, लोहितंग, यक्ष, किरात, व्याध, आदि योगी, अघोरा, मार्तण्ड, नट भैरव, आचार्य महातप, वृषभ, लोकनाथ, भूतनाथ, पशुपतिनाथ, शम्भू, वैद्यनाथ, हर-नारायण, भोला।
शिव के हर स्वरूप को करीब से देख लिया। शिव के आगे कौन है, शिव से पहले कौन?
सब शिव है। शिव से ही सब है।
मोहित रैना के सिनेमाई सफर में शिव ही शिव है।
रैना ने अपने शिव रूपों से लोगों को इस कदर मोहित कर दिया कि बंगाली, मराठी, ओरिया, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, सात भाषाओं में इसे कन्वर्ट करना पड़ा।
कन्नड़ ने तो इसे रीमेड भी किया था। भारत के अलावे, शिव को इंडोनेशिया में भी चाव से देखा गया। महाभारत, रामायण के इतने सालों बाद देवों के देव महादेव सफलता के पायदान पर चढ़ा।
संगीतमय शिव को इतनी डिटेलिंग से लेकर आए। और प्रोडक्शन डिजाइन भी अव्वल दर्जे का रहा। संगीत तो कानों के जरिए दिल में बसा है।
शिव और माता सती के प्रेम की थीम, अद्भुत और मधुरता से बरसती है। इससे ज्यादा रोमेंटिक धुन नहीं है मेरी नजर में।
जब शिव, शिव, वाली धुन कानों में पड़ती है। घण्टों सुने जाओ। अलग ही अहसास है।
मोहित रैना कलाकार ठहरे, इसलिए फ़िल्मी पर्दे पर भाग-दौड़ कर रहे है। लेकिन शिव की छवि को तोड़ पाना भला मुमकिन होगा।
शिव से ऊपर कोई नहीं है। इसलिए शिव देवों के देव महादेव है मोहित! अब शिव छवि के ऊपर कोई दूसरा कलाकार नहीं आ सकता। यह कोरी हकीकत है। नहीं तो शिव के आराध्य श्री राम की छवि लिए अरुण गोविल, श्रीकृष्ण नीतीश भारद्वाज से ही पूछ लें।
आप शिव में रहो।
आपने शिव को बेहद अंदर से बाहर निकाला है। अद्भुत। मोहित आप मेरे हमेशा फेवरेट रहेंगे।

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