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मोदी लहर खत्म और विपक्ष की हवा शुरू…

ओम लवानिया

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मोदी लहर ख़त्म! दरअसल, ये शिगूफा उद्धो के चाणक्य संजय राउत ने छेड़ा है क्योंकि भाजपा कर्नाटक हार गई है। ऐसा 2014 के बाद से अक्सर होता आया है, देश के किसी भी कोने में विपक्ष कोई चुनाव जीतकर आए, तब जीत के आंकलन में लिखा जाता है मोदी लहर खत्म और विपक्ष की हवा शुरू…
2018 याद हो।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भाजपा के हाथ से छूट गए और कर्नाटक भी अधूरा ही पकड़ में था। कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी के कंधे पर हाथ रखकर भाजपा की बची उम्मीदों पर पतीला लगा दिया था। राहुल को नायक के तौर पर पेश किया गया।
बड़े राज्यों के छूटने के बाद राजनीतिक पंडित व चुनावी विश्लेषक 2019 को कठिन डगर बतलाने लगे थे। तिस पर भारतीय राजनीति के केंद्र उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने गोरखपुर, फूलपुर का उपचुनाव जीतकर विपक्ष की उम्मीदों को बल दे डाला था।
2019 लोकसभा नतीज़े निकले तो विपक्षियों को अंडर करंट लगा और जितने गठबंधन चुनाव पूर्व बने थे। सब बिखर गए और 2024 की प्लानिंग में जुट गए…
2023 में कर्नाटक निकलते ही पुनः वही बहस शुरू हो गई और 2024 लोकसभा के ब्लू प्रिंट भी छपने लगे है। अरे, भिया अगले लोकसभा चुनाव को लड़ो, जो भी रणनीति बनाई है उसे शिद्दत से लागू कर दो। चाहे लिटिश बाबू फॉर्मूला है या संजय राउत के सूत्र है या फिर सबसे बड़े चाणक्य शरद राव हो। सबकुछ झोंक दो, बशर्तें चेहरा घोषित करके मैदान में उतरना, ताकि मतदाता के सामने विकल्प चुनने की स्वतंत्रता हो। जितने भी पीएम उम्मीदवार हो, सबने घोषित कर दो, कि फलाँ पश्चिम बंगाल, फलाँ बिहार, फलाँ महाराष्ट्र तो फलाँ तेलंगाना…फिर सुपर पीएम उम्मीदवार भी बतलाना, जो इन सभी को लीड करेगा।
कोई कर्नाटक से भी पीएम उम्मीदवार हो। फिर न कहना हमने कर्नाटक से तो उम्मीदवार उतारा ही नहीं, वरना मोदी को पटखनी दे देते। देश में किसकी लहर है और कौन हवा बहा रहा है। नतीज़े साफ कर देंगे।
भारतीय राजनीति में चतुर राजनीतिज्ञ की सूची बनेगी न, तो मोदी नेतृत्व करेंगे। क्लियरली अव्वल होंगे, मैंने बात लिखी है न, उसमें मोदी का राजनीतिक सन्यास तक नफ़ा-नुकसान शामिल है।
13 मई 2023 के दिन कर्नाटक में कांग्रेस जीत रही थी। उधर, दिल्ली में सीबीआई निदेशक के चयन के लिए पीएम मोदी, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी बैठक कर रहे थे और प्रवीण सूद को चुन लिया गया।
प्रवीण सूद कर्नाटक में डीजीपी पद पर कार्यरत थे।
डीके शिवकुमार की कई दफा टकराव हुआ और कांग्रेसी नेता ने सूद के लिए नालायक शब्द उपयोग में लिया था और कांग्रेस के सत्ता में आने पर कार्यवाही ही धमकी भी दी थी। मज़े की बात, एजेंडेधारी वेब पोर्टल के सूत्र में कहा है कि अधीर रंजन ने विरोध दर्ज किया था। लेकिन बहुमत में प्रवीण सूद का चुनाव हो गया।
और हां, 2024 में नतीज़े क्या रहेंगे, वक्त बतलाएगा।
लेकिन आप अपनी हवा बनाने में दांव पेंच खेल रहे हो और प्लान बना रहे है। तो मोदी भी चुप न बैठें है, उनके तरकश में भी ख़ूब तीर होंगे। गुजरात में भी मोदी लहर खत्म बतलाते थे, 2017 में तो गज़ब जाल बुना था। फिर भी मोदी लहर खत्म न हुई, मंद अवश्य पड़ी थी। 2022 में ऐसी लौटी कि सब हैरान रह गए।
मोदी अपने चुनाव और गुजरात को कभी हल्के में नहीं लड़ते है। अब उत्तर प्रदेश भी जुड़ गया है। 2014 के बाद भाजपा 24-7 चुनावी मोड़ में रहती है। यक़ीनन भाजपा के कोर वोटर्स में नाराजगी है, लेकिन उसे भी सुधारा जाएगा। कर्नाटक से विश्वास जीतने की मुहिम छोड़कर, जो विश्वास में है उन्हें पुनः अटल विश्वास में लिया जाएगा…

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