किरण राव को जानते है! बहुतेरे नहीं जानते होंगे।
आमिर खान की पूर्व द्वितीय पत्नी है और सिनेमा के नजरिये से देखें तो लगान, साथिया, मानसून वेडिंग, स्वदेश की पहली असिस्टेंट डायरेक्टर व धोबी घाट की निर्देशिका है।
वर्तमान में लापता लेडीज टाइटल में फ़िल्म आ रही है इसके निर्देशन में किरण राव का नाम दर्ज है।
बाक़ी आमिर खान से शादी के बाद निर्माता बन गई थी।
इसके अलावा कुछ अधिक बायो नहीं है। न होगी…क्योंकि सिस्टम से बड़े कद का साथ मिल गया तो असिस्टेंट से निर्माता व निर्देशक बन गई। टैलेंट के नाम पर कुछ न है। निसंदेह सिस्टम अपने समर्थकों का पूर्ण समर्थन करती है। इसलिए ये निष्ठावान बनकर रहते है।
धोबी घाट सरीखे आर्ट कंटेंट पहले खूब बने है, उन्हें ही पॉलिश करके परोस दिया और फ़िल्म फेस्टिवल से कुछ अवार्ड खरीद लिए हो गई, गंभीर फ़िल्म मेकर…लेडीज लापता में ऑडिएंस लापता रहेगी, तलाशती नजर आएंगी। हालांकि इसमें भी नैरेटिव या कहे एजेंडा ही होगा।
चूंकि फ़िल्म आ रही है तो प्रमोशनल इवेंट्स रखें गए है। तो विधु विनोद चोपड़ा की पत्नी कम तथाकथित समीक्षक अनुपमा चोपड़ा के यूटुब चैनल ‘द कंपेनियन’ पर इंटरव्यू दिया। स्वाभाविक था कि अनुपमा कुछ ऐसा सवाल करेंगी, यक़ीनन किरण राव पब्लिसिटी के लिए जबाव भी देंगी।
सवाल में भी तय है।
फाइल्स, स्टोरी और गदर-2 को इन लोगों ने कट्टरपंथी सूची में श्रेणीबद्ध किया है। इन तीन फिल्मों ने सिस्टम के औद्योगिक क्षेत्र को सुलगा रखा है, स्टोरी, फाइल्स 200 करोड़ पैन इंडिया रही है और गदर-2, 500 करोड़ के साथ स्टिल काउंटिंग में है। ये लोग अपने दर्द को किसी न किसी तरह छुपाएंगे। छिपा रहे है, न सीर ने भी तीनों फिल्मों का लेप लगाया है शायद कुछ राहत मिली हो।
किरण राव कहती है कि कट्टरपंथी फिल्में कमाती है तब दुःख होता है। फिल्में समाज को मैसेज देने वाली होनी चाहिए।
यक़ीनन, दुःख होना लाजमी है पिछले वर्ष लाल सिंह बुरी तरह लाल हुई थी। उसके निर्माण से किरण राव भी जुड़ी हुई थी, निर्माता थी। इन्हें पलटकर पूछना चाहिए, कि बहुसंख्यक समाज के श्रद्धा भाव यानी पूजा-पाठ से डेंगू और मलेरिया फैलने का मैसेज देकर किसे खुश करना चाहती थी।
दरअसल, इनके दर्द से पुख्ता मोहर लग जाती है कि सिस्टम दरक रहा है। उसके हथकंडे निष्प्रभावी हो चले है। बैक टू बैक बॉलीवुड से तीनों फिल्मों पर कटाक्ष बतलाता है, कितनी नफरत भरी हुई है।
सिस्टम ने गदर-2 के पैरेलल ओएमजी-2 को ख़ूब प्रचारित किया, लेकिन दर्शकों के आगे एक न चली।
सिस्टम अर्थात सत्ता समझें, भले सरकार विपरीत है। लेकिन कार्य के हाव-भाव कमोबेश वही है। दर्शकों के जगने से इनकी हालत पतली हो चली है। रिएक्शन सामने आ रहे है।
अनिल शर्मा को न सीर चिचा और राव को बधाई गिफ्ट देनी चाहिए, फोकट में पब्लिकसिटी मिल रही है। ख़ैर।
Written By – Om Lavaniya “Film City News Specialist