हिंदू, आक्रांता जातियों से परास्त जरूर हुये लेकिन उनकी सीखने की क्षमता जबरदस्त रही।
यूनानी लेकर आये तर्कशास्त्र व ज्योतिष और ब्राह्मणों ने उनका ज्योतिष व तर्कशास्त्र उनके ही गले बांध दिया।
शक व कुषाण-रकाबें व लॉन्ग बूट लाये, हमने ढीली धोती को चूड़ीदार पाजामे से रिप्लेस करके फुर्ती बढ़ा ली।
हूण फुर्तीले घुड़सवार लाये , हमने उन्हें हाथियों से घेरना सीख लिया।
अरब ऊंटों का रिसाला लाये, हमने चकरम और अर्रा से उन्हें खदेड़ दिया।
तुर्क मंजनिक व अर्रादा लाये, हमने दुर्गों को पत्थर का बना दिया।
मुगल तोप लाये, मानसिंह काबुल से तोपचियों को बंदी बना लाये।
औरंगजेब ने तीस लाख की सेना महाराष्ट्र में झोंक दी, मराठों ने पहाड़ों का उपयोग किया।
अंग्रेजों ने आधुनिक फौज खड़ी कर राज किया, नेताजी ने उसी फौज से आजाद हिंद फौज खड़ी कर ली।
लेकिन साला ये समझ नहीं आता कि भारत में ऐसा कौन सा आक्रांता आया था जो हिंदुओं को वेदों में बम और रॉकेट बनाने की लंबी लंबी फैंकना सिखा गया।
मुझे लगता है ये किसी ‘अंदर वाले’ का ही काम है।\
written By – देवेन्द्र सिकरवार