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हम लिबरल तो बन ही सकते है

by अमित सिंघल
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पिछले सवा वर्ष में न्यू यॉर्क सिटी में लगभग एक लाख 15 हजार अनियमित माइग्रेंट (भारत में “घुसपैठिया” शब्द का प्रयोग किया जाता है) आ गए है। इनमे से कोई भी हवाई यात्रा से सीधे न्यू यॉर्क एयरपोर्ट पर नहीं उतरा है। सभी माइग्रेंट ने अमेरिका-मेक्सिको के बॉर्डर से अमेरिका में प्रवेश किया था – बिना किसी वीजा के।
अधिकतर माइग्रेंट दक्षिण अमेरिकी के देशो से आते है और सीमा पर स्थित अमेरिकी राज्य टेक्सास में प्रवेश करते है और टेक्सास एवं सीमावर्ती राज्यों में सेटल हो जाते है। पिछले वर्ष लगभग 28 लाख लोगो ने अमेरिका की दक्षिणी सीमा अनियमित रूप से पार करके राष्ट्र में प्रवेश किया था।
राष्ट्र्पति बाइडेन का डेमोक्रेटिक प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प, जो रिपब्लिकन पार्टी से है, के वैचारिकी विरोध के कारण ऐसे अनियमित प्रवेश पर कड़ा एक्शन नहीं ले रहा है।
दक्षिण के टेक्सास एवं फ्लोरिडा के गवर्नर रिपब्लिकन पार्टी से है। ऊपर से, इन राज्यों के गवर्नर को न्यू यॉर्क जैसे लिबरल राज्यों के डेमोक्रेटिक गवर्नर एवं मेयर से माइग्रेंट के मानवाधिकारों पर लेक्चर भी सुनना पड़ता था। यह सभी लिबरल राज्य ऐसे सभी माइग्रेंट को फ्री का ठिकाना, भोजन, नौकरी की व्यवस्था, एवं कुछ वित्तीय सहायता देने के पक्ष में थे और सीमवर्ती रिपब्लिकन राज्यों को ऐसी सुविधाएं ना देने के लिए आलोचना करते थे।
अतः टेक्सास के गवर्नर, ग्रेग एबट, तथा फ्लोरिडा के गवर्नर, रोन डेसांटिस, – दोनों रिपब्लिकन है – ने निर्णय लिया कि वे उन सभी माइग्रेंट को फ्री में बस द्वारा 2500 किलोमीटर दूर स्थित उत्तर के लिबरल डेमोक्रेटिक राज्यों जैसे कि न्यू यॉर्क, शिकागो, फिलाडेल्फिया या फिर निकट स्थित कैलिफोर्निया में भेज देंगे।
माइग्रेंट भी प्रसन्न थे कि इन सभी राज्यों में उनका स्वागत होगा, बढ़िया सुविधाऐं भी मिलेगी।
शुरू में न्यू यॉर्क सिटी ने ऐसे सभी माइग्रेंट का विशाल हृदय से स्वागत किया। उन्हें फ्री का ठिकाना, भोजन, स्वास्थ्य इत्यादि की व्यवस्था दी। लेकिन कुछ ही समय में इनकी संख्या एक लाख पार कर गयी। ऊपर से, सैकड़ो माइग्रेंट को न्यू यॉर्क सिटी के अति धनाढ्य मोहल्लो – अपर ईस्ट एवं अपर वेस्ट – में भी ठहराया गया।
कुछ ही समय में न्यू यॉर्क सिटी के डेमोक्रेटिक मेयर – जो अश्वेत है – ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि इन एक लाख माइग्रेंट की देख-भाल के लिए सिटी को लगभग 35000 करोड़ रुपए (4 बिलियन डॉलर) प्रति वर्ष की आवश्यकता होगी।
मेयर ने बार-बार बाइडेन सरकार से माइग्रेंट के लिए अधिक धन और वर्क परमिट की मांग की जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बाइडेन ने अधिक कार्यवाई ना करके सिटी को “फेल” कर दिया है।
माइग्रेंट के द्वारा उत्पन्न चुनौतियों एवं वित्तीय बोझ के कारण न्यू यॉर्क, इलिनोइस (जहाँ शिकागो शहर है) और मैसाचुसेट्स राज्यों के नेताओं ने आपातकाल की घोषणा कर दी है और बाइडेन सरकार से संसाधन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
भारत में भी कुछ यही स्थिति है। जब तक रेलवे प्लेटफार्म पर रातो-रात “मुर्दे” गाड़ दिए जाते है, तब तक हमें क्या? हमारा क्या? हमारे हाते में तो नहीं गाड़े ना !
जब तक सांप्रदायिक दंगे, नक्सली हिंसा, आतंकी हमले “कहीं और” हो रहे है, हम लिबरल तो बन ही सकते है।

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