- पिनाक(शिव धनुष )को भगवान राम ने भंग कर दिया।
- द्वारिका (कृष्णा नगरी ) समुद्र के भीतर समा गई।
- सुदर्शन (विष्णु जी का शस्त्र )अगले सामर्थ्यवान (जो उसे धारण कर सकेगा )के आने तक भूतल में चला गया।
यही तीन क्यों, ऐसा अनेकों उदाहरण हैं। असल में सृष्टि में कुछ भी अनश्वर नहीं है। हर निर्जीव और सजीव का यहाँ रहने का एक उद्देश्य है और जब वो उद्देश्य पूरा हो जाता है तो वस्तु और जीव दोनों वापस चले जाते हैं।
वो महान पिनाक, जिसका उल्लेख विष्णु पुराण और शिव पुराण दोनों में है, क्या वो प्रत्यँचा चढ़ाने मात्र से टूट जायेगा! वास्तविकता मात्र इतनी है कि देवी सीता द्वारा श्री राम के चयन में अपनी भूमिका को पूरा करते ही उसका उद्देश्य समाप्त हो गया था इसलिए उसे वापस लौटना ही था। शबरी और पिनाक दोनों ही अपनी -अपनी जगह प्रतीक्षारत थे।
द्वारिका, सुदर्शन और ऐसे अनेकों उदाहरणों के साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ। कहने का आशय मात्र इतना है कि समस्याओं से घबराइए मत क्यूँकि अगर आप इस वक्त दुनिया में हैं तो इसका अर्थ ये है कि आप किसी ना किसी कारण से इस प्रकृति/संसार के लिए अभी भी उद्देश्यपूर्ण हैं।
अनगिनत चीजें रोज नष्ट हो रही, कितने पेड़ रोज काटे जा रहे, कितने पहाड़ ढह रहे, कितनी नदियाँ लुप्त हो रहीं, कितने ही व्यक्ति रोज प्राणों से जा रहे हैं लेकिन बावजूद इसके अगर हम और आप अभी भी जीवित हैं तो इस जीवन का उत्सव मनाइये।
खुश रहिये क्यूँकि आप अभी भी प्रकृति के लिए उपयोगी हैं।