Home लेखकMann Jee ब्रज इतिहास – भाग 3

ब्रज इतिहास – भाग 3

by Mann Jee
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अहमद शाह अब्दाली ने जब हिन्दुस्थान में १७५७ में आक्रमण किया था तब नाम का मुग़ल बादशाह था आलमगीर द्वितीय। दिल्ली लूट कर अब्दाली बल्लभगढ़ किले की ओर बढ़ा। नजीब उद दौल्ला और जहाँ खान को बीस हज़ारी फ़ौज के साथ इसने ब्रज पर आक्रमण करने के लिए भेजा। आग और तलवार के साथ आगे बढ़ने के निर्देश थे – किसी को नहीं बक्शना था । हर काफिर के सर पर पांच रुपये का इनाम था।

मथुरा की रक्षा में राजकुमार जवाहर सिंह पांच हज़ार सैनिक और किसानो के साथ मौजूद थे – चौमुहा गांव के पास। २८ फरवरी १७५७ को नजीब और जहाँ खान की फ़ौज से इन लोगो ने नौ घंटे मोर्चा लिया – तीन हज़ार सैनिक और किसान खेत रहे। एक मार्च की सुबह जहाँ खान ने मथुरा में प्रवेश किया। होली के अवसर पर शहर में केवल तीर्थ यात्री और पुजारी पण्डे मौजूद थे । होली इन सब के खून से खेली गयी – पूरे शहर में आग लगा दी गयी – जैसे एक बड़ा अलाव जल रहा हो। सब मंदिर लूटे गए – पत्थर की मूर्तिया तोड़ तोड़ कर सड़को पर फेंकी गयी। केवल मोमिन बाशिंदे बक्शे गए – उन्हें अपने पहचान कपडे खोल कर दिखानी पड़ी और वो सब बच गए।

हर बैरागी और सन्यासी के कटे मुंड के मुख में एक गाय का कटा सर ठूंसा गया और रस्सी से दोनों सर बाँध दिए गए। इतना खून बहा कि सात दिन यमुना जी का जल रक्त रंजित रहा – उसके बाद पीला पानी शेष रहा। ६ मार्च को यही खेल वृन्दावन में खेला गया -लाशो के ढेर – कोई चल भी ना पाए इन लाशो में। हवा भी ऐसी कि साँस लेने में तकलीफ हो। १५ मार्च को अब्दाली भी मथुरा आ पंहुचा और महावन में डेरा जमाया। अब केवल गोकुल के मंदिर शेष थे । केवल दो मील दूर।

अब तक देश भर से नागा बैरागी साधू गोकुल में एकत्रित होने शुरू हो चुके थे । चार हज़ार नागा बाबायो ने गोकुल की रक्षा का जिम्मा लिया। दो हज़ार बाबायो ने अपना बलिदान दिया लेकिन अफ़ग़ान फ़ौज को खदेड़ दिया – इतने अब्दाली के लोग मारे कि अब्दाली को लगा गोकुल – जहा कोई दौलत नहीं है – उधर जाना व्यर्थ है। इस तरह से गोकुल की रक्षा दो हज़ार नागा बाबाओं ने अपने प्राण दे कर की। गोकुल नाथ की प्रतिमा की रक्षा इसी तरह से हुई थी !

<P.

ब्रज इतिहास आगे भी जारी है

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