वह विभोर है साधना के इस द्वार पर उपस्थित हो कर। हिमालय सा शिखर , शिखर की अनुभूति में गदगद है। साधना के स्वर का एक साधक आज अचानक साधु-साधु बोलने लगता है। ध्यान अब सरल हो गया है। जिस…
दयानंद पांडेय
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अपराधदयानंद पांडेयमुद्दाराजनीतिलेखक के विचारलेखकों की चुटकीसामाजिक
केजरीवाल शराब बेच रहे थे , नीतीश कुमार सेक्स !
by दयानंद पांडेय 240 viewsअनपढ़ या पढ़े-लिखे का सेक्स चेतना से कुछ लेना-देना नहीं होता , इंजीनियरिंग की डिग्री लिए हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतनी सी बात भी नहीं जानते। इस मामले में भाषा या पढ़ाई-लिखाई के कोई मायने नहीं होते। एक…
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सरकार बिहार में बदली है। पर दहशत में गोरखपुर है। गोरखपुर में तमाम डाक्टर दहशत में हैं। व्यवसाई दहशत में हैं। अपहरण हो जाने के भय की आग में धधक रहे हैं यह लोग। बस एक तेजस्वी यादव और उन…
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जाति धर्मदयानंद पांडेयमुद्दाराजनीतिसामाजिक
आरक्षण का खेल खेलने का लाभ सरकार बनाने और समाज को प्रतिभाहीन बनाने में
by दयानंद पांडेय 305 views80 करोड़ निर्बल लोगों को मुफ्त राशन देना , उज्ज्वला के तहत मुफ़्त गैस , मुफ्त पक्का मकान , मुफ्त शौचालय देना है आप सालो-साल देते रहिए। डाक्टर , इंजीनियर आदि की पढ़ाई में भी इन की पूरी फीस माफ़…
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मेरा स्पष्ट मानना है कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार अगले 6 महीने में गिर जाएगी। न सिर्फ़ सरकार गिर जाएगी बल्कि जनता दल यू पार्टी भी टूट जाएगी। जनता दल यू को भाजपा नहीं , राजद तोड़ेगी। नीतीश…
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इतिहासकहानियादयानंद पांडेयराजनीतिसामाजिकसाहित्य लेख
अमेठी की हरी-भरी फसल और संजय गांधी
by दयानंद पांडेय 275 viewsयह क़िस्सा अमेठी का है। हुआ यह कि जब संजय गांधी ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई तो सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों में होड़ सी मच गई , अपने-अपने प्रदेश की सीट दिखाने की। कि यहां से लड़िए , यहां से…
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सोनिया गांधी और उस का बेटा राहुल गांधी आख़िर कैसे अरबपति बन गया , कोई पैरोकार बताए भी मार्ग अगर भ्रष्टाचार का चुन ही लिया हो तो यह कहने में कोई शर्म भला कैसे आए। सारा हिसाब , सारी क्रांति…
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राजेंद्र यादव ने हंस में लिखा था कि हनुमान दुनिया के सब से पहले आतंकवादी थे । ठीक ? मैं उस के विस्तार में नहीं जाना चाहता । गांधी की हत्या गोडसे ने की थी । यह एक तथ्य है…
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महिलाएं जब इश्क करती हैं तो समझ आता है पर जब इश्क पर बात करती हैं तो हंसी आती है । इश्क करने के लिए है , बतियाने के लिए नहीं । इश्क की कोई परिभाषा नहीं होती । इश्क…
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दयानंद पांडेयमीडियामुद्दालेखक के विचार
वह तब के पत्रकार थे , यह अब के पत्रकार हैं
by दयानंद पांडेय 334 viewsइंडियन एक्सप्रेस के रामनाथ गोयनका जब प्रभाष जोशी को संपादक बनाने के लिए दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में उन से मिलने के लिए अचानक पहुंचे तो प्रभाष जी के पास गोयनका जी को बैठाने के लिए सही सलामत कुर्सी…