सोनिया गांधी और उस का बेटा राहुल गांधी आख़िर कैसे अरबपति बन गया , कोई पैरोकार बताए भी
मार्ग अगर भ्रष्टाचार का चुन ही लिया हो तो यह कहने में कोई शर्म भला कैसे आए। सारा हिसाब , सारी क्रांति लेकिन नेशनल हेराल्ड का हिसाब देने में चुक क्यों जाती है ? बिना किसी व्यवसाय , बिना किसी चाकरी के घर बैठे-बैठे खरबपति बन बैठने का हिसाब अगर कोई मांग ले तो यह अकड़ आ ही जाती है। हर भ्रष्टाचारी की यही कथा है।
काश कि योगी आदित्यनाथ के हाथ यह जांच होती तो सेकेण्ड भर में यह अकड़ टूट जाती। डर भी लगता और झुकना ? अरे लेट जाने में भी देर नहीं लगती। मां-बेटे दोनों की ऐंठ और अकड़ धूल-धूसरित हो जाती। यक़ीन न हो तो मुख़्तार अंसारी , अतीक अहमद , आज़म ख़ान , विजय मिश्रा जैसों से , विकास दूबे जैसों के परिवारीजनों से पूछ लेना मुनासिब होगा।
होते हैं कुछ लोग जिन की ग़लती उन की नहीं है , उन की संरचना की है। बात जब आम की हो रही हो तो इमली की बात का ज़िक्र विषयांतर के लिए मुफ़ीद होता ही है। बात दवाई की हो रही हो तो दारु को भी दवा बता कर कूद पड़ने की बीमारी पुरानी है। इन को नहीं मालूम कि कुतर्क की अदरक हर जगह गुड नहीं होती। सोनिया गांधी और उस का बेटा राहुल गांधी आख़िर कैसे अरबपति बन गया है , उन का कोई पैरोकार ज़रा टार्च डाल कर बताए भी।