भारत एक धर्म प्रधान देश है। आस्था एवं श्रद्धा इस देश की प्राणशक्ति है। जड़ से लेकर चेतन तक हमारी आस्था एवं श्रद्धा का विस्तार है। जागरण से लेकर शयन तक की अपनी दिनचर्या का यदि हम सूक्ष्मता से निरीक्षण…
प्रांजय कुमार
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गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई। क्या वास्तव में मानस की कुछ पंक्तियों पर नए संदर्भों में मंथन की जरूरत है, या यह केवल राजनीतिक स्यापा है। प्रारब्ध ने विषय के कुछ…
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नयाऐतिहासिकप्रांजय कुमारभारत निर्माणरोजगारलेखक के विचारसामाजिकसाहित्य लेख
लिज्जत पापड़ … आप सबने कभी न कभी खाया ही होगा
by Pranjay Kumar 180 viewsफागुन का महीना चल रहा है और कुछ ही दिनों में होली आने वाली है इसलिए होली हो और पापड़ की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है इसलिए आज हम बताने जा रहे है हम सब मे मशहूर…
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इतिहासईश्वर भक्तिजाति धर्मपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रांजय कुमारप्रेरणादायकसाहित्य लेख
बलिदान की परंपरा शुरु करने वाले गुरु गोबिंद सिंह
by Pranjay Kumar 173 viewsदशमेश गुरु गोविन्द सिंह ने धर्म और राष्ट्र के लिए बलिदान हो जाने की सर्वोच्च परंपरा शुरु की। उन्होंने वर्ग-हीन, वर्ण-हीन, जाति-हीन व्यवस्था की रचना कर एक महान धार्मिक एवं सामाजिक क्रांति को जन्म दिया। गुरु गोविन्द सिंह : जब…
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चलचित्रजाति धर्मनयाप्रांजय कुमारमीडियामुद्दासामाजिक
अमिताभ बच्चन ‘पठान’ के विवाद पर बोल पड़े
by Pranjay Kumar 184 viewsबीते चौबीस घंटों में कुछ बातें पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। कभी किसी विवादित विषय पर न बोलने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन ‘पठान’ के विवाद पर बोल पड़े हैं। ये भी स्पष्ट हुआ कि अट्ठाईसवाँ कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल…
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राजनीतिइतिहासऐतिहासिकज्ञान विज्ञानप्रांजय कुमारप्रेरणादायकभारत वीरलेखक के विचारसाहित्य लेख
डॉ. बाबा साहेब भीमराव रामजी आंबेडकर
by Pranjay Kumar 180 viewsडॉ. बाबा साहेब भीमराव रामजी आंबेडकर अपने अधिकांश सभी समकालीन राजनीतिज्ञों में राजनीति की ठोस, बेहतर एवं व्यावहारिक समझ रखते थे। उसके कुछ उदाहरण देखिए — — उन्होंने 1933 में महाराष्ट्र की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि…
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चुनाव में हार-जीत होते रहते हैं। ध्येयनिष्ठ कार्यकर्त्ता चुनाव परिणामों की परबाह किए बिना देश, धर्म, संस्कृति और संगठन के लिए अहर्निश काम करते हैं। उन्हें अपना मार्ग पता है। देश, धर्म, संस्कृति व संगठन उनका अपना चयन है, इसलिए…
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पंजाब में धड़ल्ले से जारी मतांतरण का सुनियोजित धंधा और गुरु नानकदेव जी का जीवन-संदेश धर्म भारतीय संस्कृति के प्राण-तत्त्व हैं। ‘धारयति इति धर्मः’ – जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। व्यक्ति या वस्तु के मूल गुण या…
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सामाजिकपरम्पराएप्रांजय कुमारमुद्दालेखक के विचारसाहित्य लेख
अनूठा अनुपम अद्वितीय छठ पूजा | भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र
by Pranjay Kumar 156 viewsप्रश्न- भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते? मैकॉले प्रणीत शिक्षा-पद्धत्ति का दोष कहें या छीजते विश्वास का दौर हमारा मन अपने ही त्योहारों, अपने ही संस्कारों, अपनी ही परंपराओं के प्रति…
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नयाइतिहासईश्वर भक्तिजाति धर्मप्रांजय कुमारलेखक के विचार
आजीवन हिन्दू रहे गौतम बुद्ध..!
by Pranjay Kumar 336 viewsहमारे अनेक बुद्धिजीवी एक भ्रांति के शिकार हैं, जो समझते हैं कि गौतम बुद्ध के साथ भारत में कोई नया ‘धर्म’ आरंभ हुआ। तथा यह पूर्ववर्ती हिन्दू धर्म के विरुद्ध ‘विद्रोह’ था। यह पूरी तरह कपोल-कल्पना है कि बुद्ध ने…