कहते हैं एक झूठ को बार बार बोला जाए तो लोग उसे सच मान लेते हैं.
RSS तिरंगा को सम्मान नहीं देता झूठ कांग्रेस द्वारा बार बार इतनी बार बोला गया कि कहीं न कहीं एक बड़ी जन संख्या इसे थोड़ा बहुत सच मानने लगी. समस्या इतनी ही नहीं बल्कि यह भी कि 2014 के बाद जुड़े नए समर्थक जिनका पार्टी संगठन / RSS से परिचय बस सोसल मीडिया से ही है वह भी इसे सच मानने लगा. ज़्यादातर को तो यही नहीं पता कि संघ / भाजपा का संगठन अलग अलग होता है. आधों को तो यह ही नहीं पता होता कि संगठन कार्य क्या करता है वह सोसल मीडिया पर कट्टर हिंदू पोस्ट डाल ही स्वयं को कट्टर संघी कार्यकर्ता मान लेते हैं.
RSS से जो लोग जुड़े हैं उन्हें पता है कि स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस, RSS प्रभात फेरी निकलता है, राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. तिरंगे का सम्मान सबसे ज़्यादा कोई स्वयं सेवी संगठन करता है तो वह संघ ही है. निहसंदेह संघ एक समाजसेवी संगठन है तो उसका अपना ध्वज है भगवा. सारे संगठनों का होता है, समाजवादी पार्टी का अपना झंडा है, कांग्रेस का अपना है. पर इसका अर्थ यह नहीं होता कि यह तिरंगे का अपमान है.
पर बने बनाए नरेटिव को ध्वस्त करना और अपना नरेटिव स्थापित करने की मोदी जी की कला अद्वितीय है, चाहे कांग्रेस से सरदार पटेल की लीगेसी छीनना हो या बसपा से अम्बेडकर की.
आज़ादी के पछत्तरवें पर्व पर हर घर तिरंगा पर्व अद्वितीय है. सामान्य लोगों में बहुत उत्साह है, लोगों की हिस्सेदारी अभूतपूर्व दिख रही है. यह मुहिम न सिर्फ़ जनता में जोश जाग्रत कर रही है, बल्कि राजनैतिक तौर पर भी जन जन तक तिरंगे को भाजपा से एसोसियेट कर रही है. तिरंगा कांग्रेस का प्रतीक है यह फ़ेक नरेशन भी ध्वस्त हो रहा है. साफ़ सी बात है तिरंगा किसी एक का नहीं सभी सवा अरब भारतीयों का है.