थॉमस एल्वा एडिसन विख्यात अमेरिकी इन्वेंटर थे – बहुत इज़ादे एडिसन के नाम है। एडिसन के साथ काम करना बड़े गर्व की बात मानी जाती थी। एडिसन की फैक्ट्री में नौकरी मिलना टेढ़ी खीर था – आज के गूगल में नौकरी के बराबर समझ लें। एडिसन ने १४६ प्रश्ननो का एक टेस्ट बनाया था – हर किसी को ये टेस्ट ८० प्रतिशत से पास करना अनिवार्य था यदि एडिसन के साथ काम करना हो।
अमेरिकी रिपोर्टर्स को जब ये पता चला तो मीडिया में बड़ा हल्ला हुआ। एडिसन टेस्ट रैंडम फैक्ट पर था – एडिसन का कहना था मुझे ऐसे लोग चाहिए जिन्हे फैक्ट्स ज्ञात हो। फैक्ट फाइंडिंग में समय व्यर्थ करने वाले लोग प्रोडक्टिविटी कम करेंगे और ऐसे लोग नहीं चाहिए। उस ज़माने में इंटरनेट ना था जो झट से गूगल कर लिया।
खैर १९२१ में जब आइंस्टीन का अमेरिका आगमन हुआ तो एक रिपोर्टर ने एडिसन टेस्ट आइंस्टीन के समक्ष रखा। जनाब आइंस्टीन टेस्ट में फेल हो गए – ये तक ना बता पाए स्पीड ऑफ़ साउंड कितनी होती है। आइंस्टीन ने कहा – फैक्ट याद रखना कोई बड़ी बात नहीं , सीखना आना चाहिए। एडिसन और आइंस्टीन – दोनों ही दिग्गज और महान किन्तु दो अलग अलग नज़रिये। उस काल में एडिसन , निकोला टेस्ला , नेल्स बोहर सब आइंस्टीन के क्रिटिक थे – आइंस्टीन की थ्योरी के विपरीत।
पिछली पोस्ट आइंस्टीन और चच्चा पर लिखी थी – मजहबी ,कुछ राइट विन्गेर्स और सेक्युलर हिन्दू लोग बावले हो गए – गाली गलोच आदि। पोस्ट हटानी पड़ी- इतने लोग मेसेज और कमेंट कर रहे थे।एक ने भी जेहमत ना उठाई गूगल करके देख ले – विकिपीडिया पर ही सब मिल जाता। चच्चा और बब्बा प