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यूक्रेन का युद्ध जेलेंस्की की जिद

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूं कि यूक्रेन का युद्ध जेलेंस्की की जिद या गलती की वजह से शुरू हुआ, इस बात को भी सिरे से खारिज करता हूं कि युद्ध जेलेंस्की की जिद के कारण जारी है या जेलेंस्की राष्ट्रवादी हैं। कई बार कह चुका हूं, फिर कहता हूं कि यूक्रेन नाटो से जुड़ने की ओर बढ़ता या नहीं, पुतिन को यूक्रेन को अपने नियंत्रण में लेने के लिए कोई न कोई बहाना खोजना ही था, नाटो का बहाना सबसे आसान रहा, नाटो का बहाना नहीं होता तो पुतिन कोई और बहाना लेता। युद्ध जारी है तो केवल और केवल पुतिन के इगो व बर्बरता के कारण।
यूक्रेन भले ही रूस की तुलना में बहुत छोटा देश है, भले ही यूक्रेन की सामरिक क्षमता रूस की तुलना में बहुत कमजोर है। फिर भी यदि यूक्रेन के लोग पुतिन का विरोध कर रहे हैं, तो यह यूक्रेन के लोगों के साहस की बात है, यूक्रेन के लोग कायर नहीं हैं, दोगले नहीं हैं, फट्टू नहीं हैं। इस बात की गहराई को वे लोग तो कतई भी नहीं समझ सकते हैं जो थोड़ी थोड़ी समस्याओं से डरकर भागते हैं, धोखा देते हैं, झूठ बोलते हैं, फरेब गढ़ते हैं, कायर हैं।
यूक्रेन एक स्वतंत्र व संप्रभु देश है, उसे अपने बारे में निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। केवल इसलिए कि कोई पड़ोसी देश बड़ा है ताकतवर है, पड़ोसी देश में तानाशाही शासन है, इसलिए यूक्रेन को अपने बारे में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। इस बात को मैं सिरे से खारिज करता हूं।
मैं इसे रूस का फेल्योर मानता हूं कि यूक्रेन जो सोवियत-संघ का प्रमुख जन्मदाता था, को रूस यह विश्वास नहीं दिला पाया कि यूक्रेन को नाटो से नहीं जुड़ना चाहिए। यह रूस का फेल्योर है कि यूक्रेन को ऐसा लगता रहा कि यदि वह नाटो जैसी संगठन से नहीं जुड़ेगा तो उसे रूस से खतरा है। यूक्रेन जो नाटो की सदस्यता को कई बार मना कर चुका था, पुतिन के सत्ता में आने के बाद यूक्रेन को यह लगना कि उसे रूस से खतरा है, यह रूस व पुतिन का फेल्योर है। पुतिन तो कह ही रहा है कि वह यूक्रेन को देश नहीं मानता है, यही बात ही अपने आप में सबूत है कि नाटो तो फर्जी बहाना है, पुतिन यूक्रेन को नियंत्रण में लेने के लिए हमला करता ही।
भारत में बहुत लोगों को लगता है कि जेलेंस्की तय कर रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध करता रहे। नहीं बिलकुल नहीं। यूक्रेन की जो हालत है उसमें यदि आम लोग साथ नहीं हैं तो जेलेंस्की एक दिन भी नहीं टिक सकते हैं। यूक्रेन का युद्ध जेलेंस्की नहीं, यूक्रेन के आम लोग लड़ रहे हैं। जेलेंस्की केवल यूक्रेन के आम लोगों का चेहरा हैं, आत्मा आम लोगों की है। यूक्रेन तो बार बार कह ही रहा है कि यूक्रेन राजनयिक समाधान के लिए तैयार है। लेकिन चूंकि पुतिन का एजेंडा शुरू से ही कुछ और रहा है, इसलिए अहंकार में डूबा यह धूर्त व बर्बर आदमी केवल अपनी कुंठा व अहंकार के लिए यूक्रेन को पूरी तरह से कुचल देना चाहता है।
जिस तरह से भारत में बहुत लोग मेरी बातों में प्रतिक्रिया देते हैं, जिस तरह से भारत में बहुत लोग यूक्रेन को गलत व पुतिन को सही मानते हैं। उसको देखते हुए मुझे लगता है कि ये लोग यदि पैदा हुए होते जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था तब जेल में रहने के डर से, फांसी लगने के डर से, प्रताड़ना झेलने के डर से माफी मांगते रहते अंग्रेजो के तलुवे चाटते रहते, फिर खुद को बहादुर साबित करने के लिए झूठ से भरी किताबें व उपन्यास लिखते रहते।
मैं आप लोगों का नहीं जानता लेकिन मेरे पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, अंग्रेजो के शासन को नहीं स्वीकारे थे, प्रताड़ना झेले। पेड़ों पर लटका कर मिट्टी का तेल डालकर जलाकर मारे गए। फिर भी साहस नहीं हारे, लड़ते रहे।
मैं यूक्रेन के लोगों के साहस व लड़ाई के साथ हूं। मरना तो एक दिन है ही, केवल खाने हगने मूतने सोने को ही जीवन मानने व असुविधाओं से डरने की कायरता का कोई मायने नहीं। जीवन भले ही कम जिया जाए लेकिन जितना भी जिया जाए उतना साहस के साथ जिया जाए, मूल्यों के आधार पर जिया जाए। जीवन फूहड़ता, नीचता, धिक्कार व कायरता का नाम नहीं है।

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