भीड़ का क्या है, भीड़ तो भीड़ है।
हमारे पूर्वज हरिशंकर परसाई जी ने भी भीड़ पर लिखा था।
भीड़ मोदीजीवा, शाहजीवा में भी उमड़ती है, ‘दादी जैसी नाक’ वाली प्रियंका गांधी और जमानत पर चल हे राहुल गांदी में भी। भीड़ बहनजी के साथ भी है और रावण के साथ भी।
सोचता हूं, यूपी चुनाव पर एक शृंखला शुरू कर दूं। भीड़ के साथ। बहुत घूमा-बहुत देखा।
फिर, सोचता हूं, अजीत अंजुम और चित्रा त्रिपाठी, साक्षी जोशी और आरफा के गू के बीच मेरा लिखा कौन पढ़ेगा?
ऊपर से रवीश भैया का जात-पुराण है ही…।