Home विषयलेखक के विचार कल #TheKashmirFiles देखने का प्लान था

कल #TheKashmirFiles देखने का प्लान था

397 views
कल #TheKashmirFiles देखने का प्लान था. पर लंच में किसी ने रिक्वेस्ट की, शाम 5-9 बजे तक उसे रिलीव कर सकता हूँ? कुछ जरूरी काम है उसे…
मैंने उससे ब्लीप लेते हुए कहा – नहीं; काम तो मेरा भी जरूरी था पर कोई बात नहीं..
– क्या काम था?
– एक मूवी देखने का प्लान था…कोई बात नहीं, कल चला जाऊँगा.
– क्या मूवी है?
– द काश्मीर फाइल्स. हिंदी मूवी है.
– ओह, बॉलीवुड! चार घंटे की, सॉन्ग एंड डान्स.
– नहीं. रूटीन बॉलीवुड मैं नहीं देखता. यह डायरेक्टर वह सब नहीं बनाता. लास्ट फ़िल्म जो देखी थी, तीन साल पहले…इसी डायरेक्टर की थी.
– क्या है? वॉर मूवी?
– नहीं! 1990 में जिन लोगों को टेररिज्म की वजह से अपना घर छोड़ कर भागना पड़ा, उनकी कहानी है.
– तुम तो काश्मीर से नहीं हो? तुम कहाँ से हो इंडिया में?
मैंने कहा – क्या बताऊँ कि समझ जाओगे? कितनी अच्छी तरह जानते हो इंडिया को?
फिर उसे बताया – झारखंड से. फिर टाटा का नाम लेकर बताया तो उसे कुछ कॉन्टेक्स्ट समझ में आया.
उसने पूछा – अच्छा; वहाँ के लोग कैसे हैं? प्राउड एंड पेट्रियोटिक? जैसे कि यहाँ यॉर्कशायर के लोग प्राउड यॉर्कशायर मैन होते हैं…
मैंने कहा – इंडिया में प्राउड एंड पेट्रियोटिक का अर्थ प्राउड इंडियन होता है, प्राउड झारखंडी या बिहारी या पंजाबी-गुजराती होना नहीं होता. वैसे हर तरह के लोग हर जगह होते हैं. तुम पूरे इंडिया को दो तरह के लोगों में बाँट सकते हो…एक जो अपनी नेशनल आइडेंटिटी को बाकी हर आइडेंटिटी से ऊपर रखते हैं, और दूसरे जो अपनी दूसरी आइडेन्टिटीज को नेशनल आइडेंटिटी से ऊपर रखते हैं…
– और तुम कहाँ आते हो? आई गेस, पहले ग्रुप में.
– बेशक!
– ओह, सो यू आर मोडीज मैन.
मोदी का आदमी होने की यह परिभाषा पूरी दुनिया जान गई है. मैंने कहा – हाँ, यह फर्क आया है. आज अधिक से अधिक लोग अपनी नेशनल आइडेंटिटी को अन्य आइडेंटिटी से ऊपर रख रहे हैं.
उसने कहा – लेकिन क्या यह सही नहीं है कि मोदी ने यह अचीव करने के लिए हिन्दू नेशनलिज्म का सहारा लिया?
अक्सर भारतीय इस पॉइन्ट पर डिफेंसिव हो जाते हैं..पर मैं हँस पड़ा. मैंने पूछा – अच्छा, अगर तुम हिन्दू नेशनलिज्म को हटा दो तो इंडिया है क्या? अलग लैंग्वेज, अलग फ़ूड, अलग वेशभूषा, अलग ट्रेडिशन्स… हिन्दुइज्म के अलावा वह कौन सी चीज है जिससे तुम इंडिया को डिफाइन कर सकते हो?
उसने पूछा – लेकिन इससे मुस्लिम माइनॉरिटी एक्सक्लूड नहीं हो जाती?
मैंने पूछा – अच्छा; वे कहाँ एक्सक्लूड नहीं होते? वे इंग्लैंड में एक्सक्लूड नहीं होते? यह उनकी चॉइस है…उन्हें इंडियन आइडेंटिटी रखने से कोई रोक रहा है? लेकिन उनकी अपनी मजबूरी या चॉइस है… उन्हें अपनी रिलीजियस आइडेंटिटी को ही सबसे ऊपर रखना है. तो उन्हें इंक्लूड करने के लिए हम अपनी आइडेंटिटी ना रखें? तुम्हारे सामने एक आदमी दारू पीकर, लिवर खराब करके, सिरोसिस लेकर आता है…तुम उसके लिए बुरा फील करते हो, उसका इलाज करते हो…पर खुद दारू पीकर अपना लिवर नहीं खराब कर लेते जिससे कि वह एक्सक्लूडेड ना फील करे…
पहली बार मुझे एक लिबरल, लेबर सप्पोर्टर अंग्रेज़ मिला जिसने मुझे बिगोटेड, नाज़ी, रेडिकल कहे बिना मेरी बात सुनी और समझी. हालाँकि बीबीसी और गार्डियन पढ़ कर उसने जितना जाना है, उसे मोदी की नेगेटिव तस्वीर ही मिली है. लेकिन उसके मन में कहीं एक ईर्ष्या है कि काश ऐसा प्राइममिनिस्टर उसे मिला होता.
खैर! काश्मीर फाइल्स कल नहीं देख सके…आज जाएँगे. आप भी जाएँ. क्योंकि जो हुआ वह एक काश्मीरी के साथ नहीं, हिंदुओं के साथ हुआ था…हमारे साथ हुआ था.

Related Articles

Leave a Comment