दो से चार दिनों में यूक्रेन पर कब्जा कर लेने और अपनी कठपुतली सरकार स्थापित करने की पुतिन की कल्पना पूरी तरह से ध्वस्त रही। तीन हफ्तों में भी रूसी सेना यूक्रेन पर कब्जा कर पाने से बहुत दूर है, अधिक से अधिक होगा तो कीव पर कब्जा कर सकते हैं, लेकिन जैसी स्थितियां हैं उससे कीव पर कब्जा होना यूक्रेन पर कब्जा होना नहीं रहा है। यूक्रेन की लड़ाई अब यूक्रेन के आम लोग लड़ रहे हैं। पुतिन का अहंकर इतना अधिक तिलमिलाया हुआ है कि पुतिन की सेना शुरुआत के चंद दिनों को छोड़ जानबूझकर नागरिक इलाकों व भवनों पर बमबारी कर रही है। छोटे बच्चों के स्कूलों, अस्पतालों व बमबारी से बचने वाले शेल्टर्स पर बमबारी कर रही है, मिसाइल दाग रही है। बमबारी से बचने के लिए ऐसे शल्टर भी बनाए गए जो स्पष्ट रूप से नागरिक इलाकों के अंदर हैं, सैन्य इलाकों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं। यूक्रेन के अनेक शहरों में आम लोगों को डराने के लिए ताकि आम लोग रूसी सेना का विरोध करना बंद कर दें, आम लोगों का आत्मविश्वास मर जाए, इसलिए नागरिक इलाकों में क्रूरता के साथ मिसाइलें व बम गिराए जा रहे हैं।