Home राजनीति ताकि सनद रहे …. इतिहास के पन्नों से …

ताकि सनद रहे …. इतिहास के पन्नों से …

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केरल के एक वकील नेता थे जो Communist पार्टी के टिकट पर ३ बार विधायक चुने गये थे .. 1965 तक वो विधायक रहे … फिर 1968 में कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस के सिफारिश से उनको केरल उच्च न्यायालय का जज बना दिया … सभी – माने सभी मानकों को धता बताते हुए केवल ५ वर्ष बाद उनको सर्वोच्च न्यायालय का जज बना दिया गया था जबकि नियम के अनुसार भी कम से कम १० वर्ष का उच्च न्यायालय में अनुभव आवश्यक है …
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एक और अद्भुत केस है बहरूल इस्लाम का जो कांग्रेस के राज्य सभा सांसद रहे २ बार, बीच में असम से विधायक का चुनाव भी लड़े थे जो कि हार गए थे … 1972 में उनको असाम उच्च न्यायालय का जज बना दिया गया … 1980 में उन्होंने रिटायरमेण्ट ले लिया … इसके ठीक नौ महीने बाद अचानक से उनको सर्वोच्च न्यायालय का जज बना दिया गया, उन्होंने बिहार के तत्कालीन कांग्रेस CM जगन्नाथ मिश्र को भ्रष्टाचार के केस से निर्दोष का फैसला दिया …. फिर उनको बरपेटा से चुनाव लड़ने का टिकट मिला लेकिन चुनाव निरस्त हो गए … उनको फिर से राज्य सभा भेजा गया …
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1935 से कांग्रेस के सदस्य रहे, कर्नाटक के K S Hegde का भी केस है, कांग्रेस से राज्य सभा सांसद रहे दो बार, साथ ही कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकालत करते रहे, मैसूर उच्च न्यायालय के जज बनाए गए, फिर सर्वोच्च न्यायालय के जज बने .. CJI नहीं बनाए जाने के विरोध में कांग्रेस छोड़ का जनता पार्टी के सदस्य बने, बैंगलोर से चुनाव लड़े और जीते … 1984 में भाजपा से टिकट पाए और लड़े लेकिन हार गए …
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आफ़ताब आलम एक communist नेता थे फिर इन्होंने कांग्रेस जॉइन किया .. उनको गुजरात HC का जज बनाया गया और इनके सामने ही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस का मुकदमा आया था जिसमें तब के गुजरात CM नरेंद्र मोदी को लपेटा गया था .. अमित शाह को राज्य निकाला दिया था … DIG लेवल तक के पुलिसकर्मियों को जेल में डाला गया, वकील राम जेठमलानी को खुल कर इनके विरुद्ध मीडिया और अन्य मंचों पर आवाज उठाना पड़ा और कई बार कोर्ट में झगड़ा तक हुआ था .. गूगल करके देखिए इनको क्या क्या नहीं मिला था …
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इसलिए रंजन गोगोई पर उँगली उठाने से पहले बार बार सोचें .. नाम बहुत हैं – फ़ातिमा बीवी, सथासिवम, A M Thimpsay, विजय बहुगुणा, रामा जोशी, सच्चर आदि आदि ….

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