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“अतीत को खोदने का कोई मतलब नहीं है,
हम धर्मनिरपेक्ष हैं”सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग की गई है, एक ऐसा नगर जिसका नाम नालंदा के विध्वंसक का महिमामंडन करता है,अगर उसे बदलने की मांग एक भारतीय द्वारा करी जा रही है,तो मिलॉर्ड को इस मांग में अंग्रेजों की फूट डालो वाली मंशा दिखने लग जाती है,देश में इससे उबाल आ जाएगा,
देश बंट जाएगा ऐसी चिंताएं सताने लग जाती हैं।
माननीय न्यायाधीश जी,
मुझ अज्ञानी को ज़रा ये बताने का कष्ट करें..
क्या तेल अवीव में हिटलर रोड है?
क्या न्यूयॉर्क में ओसामा बिन लादेन मोहल्ला है?
क्या ताइवान में शी जिन पिंग नगर है?
क्या हम अब मुंबई के ताज होटल का नाम कसाब होटल कर दें?क्योंकि नाम से कोई दिक्कत तो होगी नहीं?चाहे वो किसी भी अतातायी का नाम क्यों न हो?
किसी महिला का बलात्कार किसी वहशी ने किया हो,और अगर उसका कभी घर बसे,और उसकी संतान हो,तो क्या वो अपनी उस संतान का नाम उस बलात्कारी वहशी के नाम पर रखना
पसंद करेगी?
जब आपसे प्रार्थना करी जाती है कि भारत में हर पंथ,हर जाति के लड़के लड़की के विवाह की आयु को 21 वर्ष कर दीजिए हुज़ूर,
तो हुज़ूर कहते हैं,
“यह तय करना संसद का काम,
हम अकेले संविधान के संरक्षक नहीं।”
जब कोई मुख्यमंत्री या उस इलाके की जनता चाहती है कि एक जेहादी आक्रांता का नाम से उनके नगर की,उनके नगर के किसी रोड की पहचान न हो तो हुज़ूर कहते हैं,”इससे देश में उबाल आएगा,इस मांग को करने से एक विशेष वर्ग को आप नीचा दिखा रहे हैं,आप एक विशेष समुदाय पर उंगलियां उठा रहे हैं
भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है और
हुज़ूर की अदालत एक धर्म निरपेक्ष मंच।”
वाह हुज़ूर वाह👏🏼
धर्म तो हुज़ूर केवल एक ही है
सनातन धर्म,भारत एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है,पर ये राष्ट्र क्यों अपने ऊपर आक्रमण करने वालों के नामों को ढो रहा है?क्यों नहीं विश्व का कोई और पंथ निरपेक्ष लोकतांत्रिक राष्ट्र ऐसा कर रहा?आप तो हर निर्णय में पश्चिमी मानसिकता घुसा देते हैं,चाहे वो पति पत्नी के बीच के संबंध हों,या चरित्रहीनता से जुड़े केस हों,चाहे दहेज से जुड़े फर्जी केस हों,या छेड़खानी या यौन अपराध से जुड़े केस,आपने कितने निर्दोषों को पश्चिमी देशों की थोपी हुई मानसिकता के कारण सजा दी और न जाने कितने घृणित अपराधियों को
“EVERY SINNER HAS A FUTURE” कह कर छोड़ दिया,आप भारतीय समाज में जो सनातन संस्कृति है,उसे अपने वोक निर्णयों से तोड़ने मरोड़ने में लगे हुए हैं,ये आप हैं,जिनके कारण भारत में ऊबाल है,ये आप हैं जिनके कारण निर्भया का मुख्य अपराधी आज खुला घूम रहा है,ये आपकी अदालतें हैं जिनके कारण गोधरा के आरोपियों को फांसी नहीं हुई,ये आप की अदालतें हैं जो पालघर के आरोपियों को बरी कर देती है,ये आपकी अदालतें हैं जो माफियाओं का पालन पोषण करती हैं,जो उनके द्वारा प्रताड़ित को न्याय से दूर रखती है,आप उन अपराधियों को दंड नहीं देते और जब सरकारें दंड देती हैं,तो आपको तानाशाही दिखने लगती है,तब आपको लोकतंत्र खतरे में दिखने लगते है,माफ कीजिएगा हुज़ूर,पर भारत में लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा आपसे है,और आपके निर्णयों से,और ये बात जानने के लिए किसी भी भारतीय को विदेशों से खरीदी लॉ की डिग्रियों और न्यायालय में व्याप्त वंश परंपरा का हिस्सा बनने की
आवश्यकता नहीं।
हुज़ूर हम वो हैं,जो फ्रस्टेट हो जाते हैं आपकी अकर्मण्यता से,आपकी सेलेक्टिव नेत्रहीनता से,जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ सनातन संस्कृति और राष्ट्र हित वाली बातों में देश का बंटवारा होते दिखता है,आपको भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह में अभिव्यक्ति की आज़ादी दिखती है और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने में माहौल खराब करना दिखने लगता है,विश्व में कितने राष्ट्र इस्लामिक हैं?विश्व में कितने राष्ट्र ईसाई धर्म को अपना राष्ट्रीय धर्म मानते हैं?विश्व में पहले नेपाल था एक मात्र हिंदू राष्ट्र वो भी चीन के प्रभाव में आकर सेक्युलर राष्ट्र बन गया और भारत जो सनातन संस्कृति का उद्गम स्थल है,उसे हिंदू राष्ट्र घोषित करने से पूरे विश्व को दिक्कत हो जाएगी?क्यों?
भारत में 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं हुज़ूर,माइनोरिटी मात्र एक पंथ नहीं है,और वो पंथ तो बिलकुल नहीं जो 12 साल की बच्ची से लेकर 52 साल की महिला तक का रेप और हत्या अपने मजहब में सिखाई बातों पर कर रहा है,और छोड़ आप उसे भी देते हैं,ऊबाल इसलिए है हुज़ूर,उबाल इसलिए भी है कि आपकी अदालतें कन्हैया लाल जैसे हजारों हिंदुओं के अपराधियों को अभी तक दंड नहीं दिलवा पाईं,फास्ट ट्रैक अदालतें अगर कोई निर्णय दे भी देती हैं तो फिर आप अड़ंगा लगाने में आगे आ जाते हैं,आपको गुनहगार को सुधरने का मौका देना चाहिए ऐसा दिखने लगता है, अरे हुज़ूर गला रेतने वालों को कैसा मौका?
ऐसे तो कल आप फौजियों को कह देंगे कि आतंकवादी जो भारतीय सीमा में घुस कर गोली बारी करते हैं,उन्हें बदले में गोली मत मारो,बंदूक साइड में रखो,हाथ में LGBTQ वाला सतरंगी झंडा लो और मोहब्बत के आगोश में उसे कस लो,वो आतंकवाद की राह छोड़ “आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं” वाला
आदमी बन जाएगा।
हुज़ूर आपके एक एक निर्णय से घर के घर उजड़ रहे हैं,
परिवारों को तोड़ने का कार्य आपके निर्णय कर रहे हैं,भारत की न्याय व्यवस्था अपराधियों के लिए सेफ हाउस बन गई है और निर्दोष लोगों को दंडित और प्रताड़ित करने की प्रणाली,ये ऊबाल किसी दिन ज्वालामुखी बनेगा और फट पड़ेगा,तब आपकी इन अदालतों और इन अदालतों में स्वयं को भगवान से ऊपर मानने वाले आप जैसे आत्ममुग्ध लोगों को समझ आएगा कि,उन्होंने क्या किया,तब अंधा न्याय होगा हुज़ूर और तब जनता देखेगी नहीं कि कौन कितना कॉन्टैक्ट्स वाला है,किसकी पुश्तें न्यायालय में न्यायाधीश की कुर्सियों को पकड़ कर बैठी हैं,किस वकील ने किस किस नेता और किस किस सेलिब्रिटी अपराधी के कितने बड़े केस लड़े हैं और आपको उचित घूस पहुंचा कर,
उन्हें अभयदान बार बार दिलवाया है।
आशा तो नहीं है आपसे कोई भी,पर जो बच्चे लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं,और भविष्य में न्यायाधीश बनने का स्वप्न देख रहे हैं,उनसे प्रार्थना करूंगा कि आप कम से कम वो गलतियां ना करें जो आपके सीनियर ने करी हैं,और जो कर रहे हैं,भारत की न्याय व्यवस्था को भारत की अखंडता और भारतीय सामाजिक ताने बाने के लिए खतरा मत बनने दें,नहीं तो समाज स्वयं दोषियों को दंडित करना आरंभ कर देगा,तब न्यायालयों की महत्ता समाप्त हो जाएगी,वो न हो,उसके लिए अभी से प्रयास आरंभ कर दें,निर्णय आपके और उन निर्णयों से निर्धारित होता,
भारत का भविष्य आपका.!
सत्यमेव जयते

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