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याद नहीं कि मेरे पिता को बीपी कब हुआ, लेकिन बीपी होने के अनेक सालों बाद लगभग 20-25 साल पहले स्ट्रोक हुआ। बीपी के कारण केवल स्ट्रोक ही नहीं हुआ, कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। बीपी पकड़ में आते ही डाक्टर ने नमक बंद करा दिया था, पिता के एक नजदीकी रिश्तेदार जो वरिष्ठ आईएएस हैं और बीपी से पीड़ित थे, उन्होंने एक स्पेशल नमक बताया जो स्वाद में नमकीन था लेकिन नमक नहीं होता था, महंगा आता था। (जैसे सुगर वाले विदआउट-सुगर वाली सुगर लिया करते हैं।)। कई दशक हो गए, नमक का सेवन न के बराबर करते हैं, हर रोज खूब दवाएं खाते हैं, समय से पहले जर्जर हो चुके हैं। लेकिन वर्षों पहले यदि मैंने जब-कभी सुझाव देने का प्रयास भी किया तो माता-पिता दोनों द्वारा या तो भीषण अपमानित किया गया या उपहास किया गया। अपने देश में बीपी ने लाखों करोड़ों लोगों की हालत बर्बाद कर रखी है। शरीर जर्जर होता है, पैसे भी खूब खर्च होते हैं, भोजन का आनंद भी नहीं ले पाते हैं तो शरीर की पुष्टि में भी प्रभाव पड़ता है। शरीर के लिए नमक बेहद जरूरी तत्व होता है।
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बीपी होते ही नमक को सबसे बड़ा राक्षस माना जाता है, नमक बंद करवा दिया जाता है। लोग सालों-साल बिना नमक का खाना खाते रहते हैं लेकिन उनका बीपी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता है, उल्टे बहुत लोगों में नमक नहीं खाने के बावजूद बीपी पर थोडा ही फर्क पड़ता है।
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जबकि यदि नमक की बजाय कार्बोहाइड्रेट/सुगर की मात्रा कम की जाए, शरीर को इंसुलिन-रेसिस्टेंस की अवस्था से बाहर निकाला जाए, तो बीपी पूरी तरह से ठीक होने की ओर बढने लगता है। बीपी होने का अधिकतर प्रमुख कारण शरीर का इंसुलिन-रेसिस्टेंस की अवस्था में पहुंचना होना होता है।
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मुझे हार्टअटैक होने के पहले तक कभी बीपी नहीं रहा। लेकिन हार्टअटैक के बाद स्थिति यह हुई कि बीपी की दवा दिन में दो बार खाने के बावजूद बीपी शायद ही कभी 150/95 से नीचे आता हो।
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आज स्थिति यह है कि साल दो-साल बाद 50 साल का होने जा रहा हूं, बीपी की दवा कई महीने पहले बंद की जा चुकी है। नमक खाता हूं, नमक की मात्रा में कोई कमी नहीं, दाल सब्जी में जो नमक होता है वह तो होता ही है, ऊपर से सलाद के साथ सेंधा नमक खाता हूं।
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इसके बावजूद मेरा बीपी दिन में अधिकतम 110/65 भी नहीं पहुंचता है। औसत 103/60 के आसपास रहता है, कभी कभार तो 98/55 तक भी पहुंचता है।
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कुछ समय पहले कई लोगों ने मुझे ज्ञान दिया कि उमर बढ़ने के साथ खून की नलिया कड़ी होती हैं, सिकुड़ती हैं, नमक नलियों को कड़ा करता है सिकोड़ता है, इसलिए उमर बढ़ने के साथ व नमक खाने से बीपी बढ़ता है।
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मेरी उमर लगभग 50 साल है, मैं नमक खाता हूं, मुझे गंभीर हार्टअटैक हो चुका है, बीपी की दवा नहीं खाता, इसके बावजूद मेरा बीपी उतना आदर्श रहता है जितना 20 साल के युवा का होना चाहिए। जबकि रोज घंटो साइकिल चलाता हूं, डंबल उठाता हूं। सुबह कई घंटे साइकिल चलाने व फिर 15 किलो के डंबल से आधा-घंटा व्यायाम करने के बावजूद बीपी 115/70 नहीं पार करता है।
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पुराने वैज्ञानिक शोधों इत्यादि के आधार पर कारकों को देखने की बजाय, आधुनिक व बेहतर वैज्ञानिक शोधों के आधार पर जानने समझने का प्रयास करना चाहिए। मिथकों व कहावतों से बहुत दूर रहना चाहिए। बीपी हो, डायबिटीज हो, फैटी लिवर हो, फाइब्रोसिस हो, जोड़ों में दर्द हो, शुरुआती ट्यूमर हो, शुरुआती कैंसर हो, और भी बहुत कुछ। यदि शरीर विज्ञान को गहराई से समझा जाए अनुसरण किया जाए तो शरीर इतना सामर्थ्यवान होता है कि बिना दवाओं के ही अपने आपको ठीक कर सकता है।
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बीपी, डायबिटीज, फैटी लिवर इत्यादि को सरलता के साथ बिना किसी चूरन, जड़ीबूटी, दवा इत्यादि के ही पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
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