सन 2000 के पहले नीदरलैण्ड् में सबसे अधिक नास्तिक रहते थे ,
उनकी नास्तिकता को यूं समझिये कि उनका मानना था कि कमाऊंगा तभी खाऊंगा , अपने कर्मों का जिम्मेदार स्वयं मैं हूँ..!
लोग अपने अपने काम में इतना उलझे कि अपराध वहां ना के करीब होने लगे, जेलों को बंद करना पड़ा पुलिस की भर्तियां कम की गई,
नीदरलैंड के लोगों का जीवन स्तर प्रथम स्थान पर रहने लगा, खुश रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ गयी।
फिर कुछ वक्त बाद वहाँ संस्था धर्म पहुँचा और एकाएक वहाँ अपराध की बढ़ोत्तरी हो गयी, आये दिन लूट पाट हत्या , हमले एकाएक बढ़ गए….
नष्ट हो गया नीदरलैंड , वहां की शांति भंग हो गयी
जेलों को पुनः खोला गया, पुलिस बल की पुनः तेजी से भर्ती होने लगी।
धार्मिक संस्थाएं वहाँ अपनी अपनी किताब लेकर पहुँच चुकी थी और लोगों को बचने के लिए बताया गया कि दो में से किसी एक धार्मिक संस्था को तुम्हें चुनना पड़ेगा अन्यथा तुम जीवित नहीं रह सकते, सुरक्षित नहीं रह सकते..!
औऱ फिर कुछ वक्त बाद तेजी से मानवीय नास्तिकों की संख्या घटकर मात्र 17% पर रह गयी और अभी नए आंकड़े नहीं आये हैं लेकिन अनुमान है मानवीय नास्तिक अब मात्र 2% बचे हैं और पशुवत धार्मिक संस्थाये तेजी से बलवान हो गयी हैं……
संस्थात्मक धर्म ने नीदरलैंड को दिया अशांति का तोहफा और आखिर जीत ही गया संस्थाओं का ईश्वर , कर लिया कब्जा उसने एक और क्षेत्र पर….
अब रात में पुलिस के गश्त की संख्या बढ़ा दी गयी है।
हर चौराहे पर पुलिस जरूर खड़ी मिलती है…..