थानेदार- क्या करता है तुम्हारा मरद? महिला- कुछ नहीं! थानेदार- “अरे! कुछ तो करता ही होगा” महिला- “साहब! वैसे तो कुछ नहीं करता लेकिन जब आप इतना जोर देकर पूछ रहें हैं तो बता ही देती हूं.. हरमपन करता है…
रिवेश प्रताप सिंह
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लेखक के विचाररिवेश प्रताप सिंहसामाजिकसाहित्य लेख
मेरी पानी की बोतल और अजनबी की प्यास
by रिवेश प्रताप सिंह 137 viewsएक दुकान पर बैठा था। जहां वेटिंग की वजह से देर तक बैठना पड़ा। मुझे प्यास महसूस हुयी। एक्टिवा में पड़ी पानी की बोतल निकाला। दो घूंट गटका… सामने एक तख्त पर रख दिया। दस मिनट बाद एक ‘प्यासे सज्जन’…
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राजनीतिमुद्दारिवेश प्रताप सिंहसामाजिकसाहित्य लेख
लोग चीते के कंठ में शेर की दहाड़ खोज रहें हैं।
by रिवेश प्रताप सिंह 127 viewsविचित्र यह कि लोग ‘बांसुरी’ की कंठ से ढोल की आवाज सुनने के लिए कान टिकाकर बैठे हैं। जी हां! लोग चीते के कंठ में शेर की दहाड़ खोज रहें हैं। उन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं कि…
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रिवेश प्रताप सिंहकहानियासच्ची कहानियांसामाजिकसाहित्य लेख
करंट लोकेशन: वशिष्ठ मुनि जी की निद्रा टूटी
by रिवेश प्रताप सिंह 259 viewsकल प्रातःकाल रेखा वशिष्ठ मुनि जी की निद्रा टूटी लगभग पांच बजे। उठते ही मुनि जी ने अपना धर्म निभाते हुए पहला कार्य किया नेट ऑन करके वाट्सएप्प मैसेजेस चेक करने का। एक विशेष मैसेज पर मुनि जी की दृष्टि…
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जाति धर्ममुद्दारिवेश प्रताप सिंहसामाजिकसाहित्य लेख
अब तो इक्का-दुक्का होंगे… लेकिन आज से…
by रिवेश प्रताप सिंह 238 viewsअब तो इक्का-दुक्का होंगे… लेकिन आज से पन्द्रह-बीस वर्ष पहले हमारी तरफ़ कचहरी के आसपास, कुछ हुनरमंद.. बहुतेरे चालबाज, ‘मज्मा’ (भीड़, हुजूम, तमाशबीनों का जमावड़ा) लगाते थे। मज्में में कुछ रहस्यमई, कुछ गुप्त, कुछ हैरतअंगेज कारस्तानियां होतीं हैं. जो आम…
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ट्रैफिक सिग्नल में प्रति लेन, एक मिनट की प्रतीक्षा की दर से प्रत्येक वाहन चालक को तीन मिनट प्रतीक्षा करनी होती है। अब मसला कुछ यूं है कि कुछ गंजे चौराहों पर अनावश्यक प्रति लेन एक मिनट दिया जा रहा…
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राजनीतिरिवेश प्रताप सिंहसामाजिक
यदि किसी नियम को मान लेने में आप अल्पसंख्यक हैं तो…
by रिवेश प्रताप सिंह 214 viewsयदि किसी नियम को मान लेने में आप अल्पसंख्यक हैं तो वहां आपकी दुर्गति होनी तय है। आज एक चौराहे पर लाल सिग्नल देखकर मैंने अपनी मोटरसाइकिल बिल्कुल किनारे रोक दी किन्तु मेरे समानांतर से बहुत लोग उस ट्रैफिक सिग्नल…
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नयारिवेश प्रताप सिंहलेखक के विचारसाहित्य लेख
कोल्डड्रिंक की कांच या पारदर्शी बोतलें हर लिहाज़ से बेहतर
by रिवेश प्रताप सिंह 187 viewsकोल्डड्रिंक की कांच या पारदर्शी बोतलें, हर लिहाज़ से बेहतर हैं। कम से कम पीते वक्त उसके गिरते स्तर तथा उसके समाप्त होने की सूचना, नंगी आंखों से मिल जाने के बाद ग्राहक तसल्ली के साथ, बोतल को ‘बोतल स्टैंड’…
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रिवेश प्रताप सिंहबाल कहानिया
बचपन गर्मियों की छुट्टिया और कॉमिक्स का कर्ज | प्रारब्ध
by रिवेश प्रताप सिंह 370 viewsग्रीष्मकालीन अवकाश में हम जैसों के लिए खेल तथा मौज हेतु जो चुनने के विकल्प होते थे… वो बहुत मामूली हुआ करते थे। यथा- गांव/नानी के घर का भ्रमण कुछ आउटडोर-इनडोर गेम तथा किराये पर कॉमिक्स! गर्मी की छुट्टियों में…
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रिवेश प्रताप सिंहलेखक के विचारसाहित्य लेख
गहरी और लोकतान्त्रिक सोच | प्रारब्ध
by रिवेश प्रताप सिंह 237 viewsएक पाठक ने लेखक की रचना पर एक लम्बी चौड़ी समालोचना भेजी। समालोचना पूर्णतः, लेखक के कलम की अनुशंसा के पक्ष में थी। लेकिन अंतिम पंक्ति में जो लिखा गया वो लेखक के लिए शोध एवं चिंतन का विषय हो…