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अल्लाह की मर्जी के बिना दुनिया में एक पत्ता नहीं हिलता। वह बड़ा ही नेकदिल है। रहमदिल वाला है। उसने पिछले तीस सालों में इस देश के अंदर जैसी स्थितियां पैदा की है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि उसने इस मुल्क में पहचान लिया है कि यहां उसको मानने वाले चाहें करोड़ों में हों लेकिन उसकी मानने वाले गिनती के रह गए हैं।
जिस तरह मोदी प्रधानमंत्री बने और जिस तरह उत्तर प्रदेश में अल्लाह की मर्जी से योगी मुख्यमंत्री बने, यह सब देखकर लगता है कि अल्लाह भी चाहता है कि एक बार देख ही लिया जाए कि यह ‘हिन्दू मुल्क’ होते कैसे हैं?
इस सवाल का जवाब कोई मौलाना—मुफ्ती देने को तैयार नहीं है कि जब उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता नहीं हिलता, क्या यह संभव था कि अयोध्याजी में विरान पड़ा मस्जिद का ढांचा गिर जाए और उसको इसकी खबर भी ना हो?
आज अयोध्याजी में श्रीराम मंदिर बन रहा है तो यह अल्लाह की मर्जी है। ज्ञानवापी मंदिर में शिवलिंग को लेकर चर्चा हो या फिर मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर जनमत का तैयार होना। सब अल्लाह की मर्जी है। उसकी मर्जी के बिना पत्ता नहीं हिलता, आप क्या सोचते हैं कि जामा मस्जिद का सिरमौर बना पत्थर यदि हल्की आंधी में गिरा है तो क्या यह सब अल्लाह की मर्जी के बिना हुआ होगा। उसने जामा मस्जिद के लिए कुछ सोच रखा है। संभव है कि यह उसका ही संकेत हो।
अल्लाह बड़ा ही रहमदिल वाला है, यदि किसी को फिरऔन की तरह यह घमंड है कि वह अल्लाह ने भारत के लिए जो तय किया है, उसे बदल सकता है। तो ऐसे लोगों को अपनी सोच पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए।
जो लोग ताजमहल और कुतुब मिनार का मामला लेकर कोर्ट तक गए हैं, क्या भारतीय मुसलमानों को लगता है कि यह सब अल्लाह से छुपा होगा। बिल्कुल नहीं। वह सब देख रहा है और सब उसकी मर्जी से हो रहा है।

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