वैसे तो हमारे यहां शिक्षा का क्या हाल है, उस पर सिवाय ईंट लेकर अपना माथा कूंच लेने के कोई उपाय नहीं, लेकिन हाल इतना बुरा है कि आसमान में गालियां देने का मन दिन में तीन-चार बार हो जाना कोई बड़ी और बुरी बात नहीं है।
मिसेज खान बच्चा जनने की मशीन बनने के पहले भी इतनी ही अहंकारी, मूर्खा, बद्दिमाग और बदतमीज-जाहिल थी। अब तो खैर, वह सर्टिफाइड है।
उनका पूर्व खानदान- यानी कपूरों का गैर-साक्षरों का है। वहां सबसे अधिक पढ़ा-लिखा रणबीर है, जो शायद 12वीं पास है, बाकी सब चौथी-पांचवीं फेल हैं। ये लोग हमारे आइकॉन हैं, हमारे आदर्श हैं, हमारे आइडियल हैं।
बहरहाल, के खान शायद आठवीं- नौवीं पास है। तो, आप हमारी शिक्षा का स्तर देखिए। अलेक्जेंडर के नाम पर खुशी देखिए…उसके बाद आंखें मटका कर, नाच कर ….मीन्स वारियर्स…कांकरर्स…लाइक तैमूर…कहना देखिए।
आपको उल्टी आ जाएगी। इस्लाम यही करता है। आप अपनी जमीन से सबसे पहले कटते हैं। जिस तैमूर ने लाखों को कत्ल किया, जो आततायी बच्चों-महिलाओं तक को नहीं बख्शता था, जिसने लाखों हिंदुओं को तलवार के घाट उतार दिया, उसका नाम अपने बेटे को देना और उस पर किसी रक्कासा की तरह नाचना…किसी भारतीय से तो संभव नहीं।
बलिहारी हमारी शिक्षा…बलिहारी के खान…।