लाल सिंह के बॉयकॉट हैशटैग पर बॉलीवुड पीके ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि एक फिल्म बनाने में बहुत मेहनत लगती है। एक एक्टर ही नहीं, बल्कि कितने लोगों के इमोशन्स जुड़े होते हैं। फिल्म देखने के बाद आप उसे पसंद कर सकते हैं और उसे नापसंद करने का भी पूरा अधिकार आपके पास है।

100 टका सच है इस बात से पूर्णतया सहमत हूँ। लेकिन…लेकिन! पीके में शिव को टॉयलट में व डरा हुआ दिखलाना। शिवलिंग पर दूध पर तंज कसना…शिव से कितने लोगों के इमोशन व श्रद्धा भाव जुड़े हुए है। मजाक उड़ाने से पहले सोचा था?

नहीं न….सोचो अब!

इमोशन हर मनुष्य के जुड़े है, आपके इमोशन…इमोशन…बाक़ी लोगों के मजाक…ये ना चोलबे।

हैशटैग से नींद उड़ी है तो फिल्म रिलीज से पहले इस तरह की चीजें हर्ट कर रही है। करेंगी ही, तभी तो कर रहे है।

मुल्क से प्यार….आप इनक्रेडिबल इंडिया के तहत देश के ब्रांड अम्बेसडर रहे, देश का ऑफिसियल चेहरा। 2015 में डर वाले वक्तव्य से वैश्विक पटल पर देश की फ़जीहत हुई। अमेरिका ने ज्ञान झाड़ा था। उस वक्त आपने नहीं सोचा था कि देश की छवि पर क्या असर होगा। आपको तो निष्पक्ष रहना चाहिए था। 135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के प्रतिनिधि चुने गए थे। 10 वर्षों तक रहे।

वाक़ई अब आपको पता नहीं चल रहा है न लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं। अतीत के कृत्यों पर वर्डिक्ट निकल कर आने आ रहा है।

करीना मईडम को दर्शक चाहिए ही नहीं, उनका साफ कहना है क्यों जाते हो हमारी फ़िल्म देखने के लिए, मत जाओ। कोई फोर्स नहीं करता…नहीं जा रहे है। दूसरी बात पूर्व में आपकी फ़िल्में 6-6 महीने टीवी पर नहीं आती थी। लोग नज़दीकी सिनेमाघरों में देख लेते थे। लेकिन आपने गौर न किया, ठग्स ऑफ ने पॉलिसी बदलकर रख दी है। शायद लाल सिंह ठग्स ऑफ के रिकॉर्ड को तोड़कर टाइम लाइन कम कर दे।

वैसे डुप्लीकेट से बेहतर ओरिजिनल है। फारेस्ट गंप देख ली है। नज़दीकी सिनेमाघरों में पैसे बर्बाद करने से अच्छा, पैसे अगले ओरिजिनल कंटेंट के लिए बचा लिए जाएं।
उस वक्त डर का माहौल न, वाक़ई में अब है

Related Articles

Leave a Comment