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भारत सरकार ने Vodafone, idea के 36% शेयर

by Nitin Tripathi
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भारत सरकार ने वोडाफ़ोन idea के 36% शेयर अक्वाइअर कर लिए. इसे लेकर कुछ लोग जान बूझ कर तो कुछ अनजाने में भ्रामक अफ़वाहें फैला रहे हैं कि एक ओर तो सरकार इग्ज़िस्टिंग सरकारी कम्पनियाँ बेंच रही है तो वहीं दूसरी ओर वोडाफ़ोन में हिस्सेदारी ख़रीद रही है. तो सबसे पहले यह समझिए, भारत सरकार ने इस डील में एक भी पैसा नहीं खर्च किया है.

एयरटेल और वोडाफ़ोन दोनो ही ज़बर्दस्त घाटे में चल रही हैं इतनी कि वह अपनी लाइसेंस फ़ीस तक नहीं चुकता कर पाई. सरकार ने समाधान दिया कि देनदारी कुछ वर्षों के लिए टाली जा सकती है, हाँ तब तक ब्याज देते रहो. एयरटेल अब यही करेगी. वोडाफ़ोन के पास ब्याज देने के भी पैसे नहीं हैं.

 

अब एक तरीक़ा तो यह कि सरकार लाठी डंडा लेकर वोडाफ़ोन की दुकाने बंद करा दे, वोडाफ़ोन के कुछेक मैनेजर को जेल भेजे जो एक दो महीने में बाहर आ जाएँगे. पर इससे सरकार के जो सोलह हज़ार करोड़ बकाया हैं, वह मिलने नहीं. इस कम्पनी में काम करने वाले हजारों लोग, लाखों दुकानदार, हज़ारों शेयर होल्डर और करोड़ों उपभोक्ता सब प्रभावित होंगे. मोबाइल से लिंक सारी अर्थ व्यवस्था छिन्न भिन्न हो जाएगी सो अलग, सैंकड़ों अरब का वह अलग नुक़सान.

 

समझदार तरीक़ा यह है कि मालिकों से बात चीत कर जितना बकाया रक़म है उसके एवज़ में उतने शेयर ले लो मुफ़्त. कम्पनी को यथावत चलते रहने दो. कम्पनी चलाने में समय के साथ धीमे धीमे यह शेयर बेंच सरकार का पैसा भी मिल जाएगा वापस, अगर मार्केट अच्छी गई तो हो सकता है जितना बकाया था उससे काफ़ी ज़्यादा ही मिल जाए. यह एक समझदार तरीक़ा होता है. इससे पूर्व spicejet भी दीवालिया हो गई थी, सरकार ने समझदारी का परिचय देते हुवे उसे बचा लिया, आज मस्त चल रही है.

 

बाक़ी फ़िर जिनका स्वभाव ही हर निर्णय की आलोचना करना है उन्हें नहीं समझाया जा सकता. पर यह एक उचित निर्णय है, अब पैसा भी मिल जाएगा और कम्पनी भी चलती रहेगी.

 

 

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