Home नया कहानी अंत होते सूर्य की आख़िरकार जिसका उदय हुआ

कहानी अंत होते सूर्य की आख़िरकार जिसका उदय हुआ

by Praarabdh Desk
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सूर्यकुमार यादव को वानखेड़े स्टेडियम में IPL का अपना पहला शतक लगाता देखने के लिए पूरा परिवार मौजूद था। वही परिवार, जिसने सूर्यकुमार यादव को 10 साल तक अंधेरों में घुटते हुए देखा। नाउम्मीदी ऐसी की दुनिया का सबसे बड़ा T-20 बल्लेबाज क्रिकेट छोड़ देना चाहता था। सूर्या ने गुजरात के खिलाफ 49 गेंदों पर 11 चौकों और 6 छक्कों की मदद से ताबड़तोड़ 103* रन बना दिया। अपने धमाकेदार प्रदर्शन से मुंबई को 27 रनों से मुकाबला जिता दिया। आज सूर्यकुमार यादव की जिंदगी की दर्द भरी कहानी पढ़िए। वह खिलाड़ी जो अगर 10 साल पहले टीम इंडिया में चुन लिया गया होता तो बात ही कुछ और होती।
12 साल पहले 20 वर्ष की उम्र में 2010 में रणजी क्रिकेट में डेब्यू के बाद रोहित शर्मा के साथ 73 रनों की मैच विनिंग पारी और मैन ऑफ द मैच का खिताब। 2011-12 के सत्र में मुंबई की तरफ से ताबड़तोड़ 754 रन। फिर लगातार घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में जलवा लेकिन टीम इंडिया में सिलेक्शन नहीं। जिस 31 साल की उम्र में बेन स्टोक्स ने वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया, उस एज में जाकर हमारे सूर्या को बीसीसीआई ने टीम इंडिया में खेलने का मौका दिया। इतने वर्षों तक सूर्यकुमार यादव घरेलू क्रिकेट में झंडे गाड़ते रहे, लेकिन चयनकर्ताओं के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। वे लगातार सूर्यकुमार यादव को दुत्कारते रहे।
जब मुंबई के तमाम दिग्गज खिलाड़ियों को रणजी प्रदर्शन के आधार पर टीम इंडिया में चुन लिया गया तो मजबूरी में सूर्या को मुंबई का रणजी कप्तान बना दिया गया। निराशा लगातार उनके भीतर घर कर रही थी और इसी बीच 2014 में शार्दूल ठाकुर से मैदान पर लड़ाई हो गई। परिणाम यह हुआ कि सूर्या ने 2015 में अचानक मुंबई की कप्तानी छोड़ दी। अब सूर्यकुमार यादव का दिल क्रिकेट ने तोड़ दिया था और वह इससे दूर जाने की सोचने लगे थे। तभी 2016 में सूर्या की शादी हुई और पत्नी देविशा ने सूर्या को पॉजिटिव रहते हुए खेल पर ध्यान लगाने को कहा। देविशा के तौर पर सूर्यकुमार यादव को बड़ा मोटिवेशन मिल गया। वह चाहती थीं कि बगैर दुनिया में अपनी चमक बिखेरे सूर्या बिल्कुल अस्त ना हो।
भारत में मान्यता है कि मां-बाप के कदमों में जन्नत होती है। जो अपने मां-बाप का सगा नहीं हुआ, वह दुनिया में किसी का नहीं हो सकता। खुद का भी नहीं.. ! सूर्या की मां सपना यादव हाउसवाइफ हैं और पिता अशोक यादव भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर। सूर्या अपनी मां से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। चाहे कैसे भी हालात हों, हर मैच से ठीक पहले वह अपनी मां को फोन करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। फिर जब मैच खत्म हो जाता है, तो सूर्या एक बार दोबारा मां को फोन करते हैं और मैदान की सारी बातें बताते हैं। कुछ वैसे ही जैसे छोटा बच्चा स्कूल जाता है और लौटकर क्लास से जुड़ा हर घटनाक्रम अपनी मां को बताता है। फिर आंचल में सर रखकर गहरी नींद सो जाता है।
सूर्या के पिता इंजीनियर हैं और वह मुंबई में भाभा रिसर्च सेंटर की कॉलोनी में रहते हैं। वहां ज्यादातर बच्चे साइंटिस्ट और इंजीनियर बन गए। जब सूर्या ने शिद्दत से क्रिकेटर बनने का निश्चय कर लिया तो आसपास के लोग मां-बाप को बहुत ताने देते थे। बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बना दीजिएगा क्या? क्यों सूर्यकुमार यादव का करियर बर्बाद करने पर तुले हैं? पढ़ाई लिखाई करवाइए जिंदगी बना लेगा, नहीं तो उम्र भर दर-दर भटकता ही रहेगा। बीसीसीआई की मेहरबानी रही कि 31 साल की उम्र तक सूर्या के परिवार वालों को जमाने की जली-कटी बातें सुननी पड़ी। हर कोई आते-जाते परिवार को सूर्या के करियर को लेकर उलाहना देता था।
सूर्या तब अपने मां-बाप की आंखों में आंसू देख कर बहुत दुखी होते थे लेकिन कुछ बोल नहीं पाते थे। मार्च 2021 में डेब्यू के बाद टीम में जगह पक्की करने के 1 साल के भीतर दुनिया का नंबर वन टी-20 इंटरनेशनल बल्लेबाज। एक कैलेंडर ईयर में साल 2022 में 1,000 से ज्यादा टी-20 इंटरनेशनल रन बनाने वाला पहला बल्लेबाज। फिर वक्त बदला और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में सूर्यकुमार यादव का प्रदर्शन खराब रहा। आलोचक टूट पड़े। सूर्यकुमार यादव को शून्यकुमार यादव कहा जाने लगा। सोशल मीडिया पर भयानक आलोचना का दौर शुरू हो गया। जिन लोगों ने जीवन में शायद ही कभी बल्ला पकड़ा होगा, वे सूर्यकुमार यादव को संन्यास की सलाह देने लगे।
IPL 2023 के शुरुआती 5 मुकाबलों में सूर्या के बल्ले से सिर्फ 67 रन आए। विरोधियों ने सूर्य अस्त होने का ऐलान कर दिया। अखिलेश सात मुकाबलों में सूर्यकुमार यादव ने सिर्फ 204 गेंदों पर 413 रन बना दिया। यह जवाब था उन लोगों के लिए, जो निराशा के दौर में सूर्यकुमार यादव के परिवार पर कीचड़ उछालते थे। अगर आपके आसपास कोई सूर्यकुमार यादव शिद्दत से मेहनत कर रहा है, तो उसका साथ दीजिए। उसे नीचा मत दिखाइए। ऐसे लोग जब जवाब देने पर आते हैं तो मुंह छिपाने के लिए जगह नसीब नहीं होती। सूर्यकुमार यादव ने बड़ी शिद्दत से वर्षों तक अपने मौके का इंतजार किया है। वह इतनी जल्दी नहीं रुकेगा। उसके बल्ले के जोर पर दुनिया का बड़े से बड़ा गेंदबाज झुकेगा।

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