Home विषयजाति धर्म देवी एक काल्पनिक कथा

अरे बड़ी क्रूर है वो तो,उसने पत्थर से सिर कूंच कूंच कर मारा है सरफराज़ मियां को,ऐसा मारा है कि सरफराज़ मियां के सर के टुकड़े उठाने पड़े पॉलिथीन में पुलिस को,कमरा भी लाल हो गया है पूरा का पूरा और वो जब बाहर निकली थी न,तो पूरी तरह सरफराज़ मियां के खून से नहाई लगी रही थी,सही बता रहे हैं भईया।और जब हम उसका चेहरा देखे तो हम भी सकपका गए,वैसे तो साला शेर भी आ जाए,तो भी न हम हिलें,पर बाप रे बाप,वो एकदम से जब बाहर आई न,चेहरे से खून टपक रहा था,तो वो देख कर हमको और पुलिस वालों को भी झटका लगा,और बताएं उसके चेहरे पर एक रत्ती का डर नहीं था,एक पर्सेंट भी गिल्ट नहीं था।एक बच्ची हो कर इतनी क्रूरता,ऐसा क्या किया था,65 बरस के बूढ़े आदमी ने इस लड़की का?”
“वही तो काहे मार दिया एक 5 वक्त के नमाज़ी को नवरात्र के पहले दिन?घोर कलियुग है भाई बता रहे हैं,आज कल के बच्चों से तो मुझे अब डर लगने लगा है,पता नहीं किस बात पर खुद को मार लें,या आपको मार दें,हद्द है मतलब।”
“इसका नाम तो देवी था न और देखो लेकिन इसने किया उल्टा,पूरा राक्षसी वाला काम,ज़रूर इसका किसी से चक्कर होगा और सरफराज़ भाईजान ने इसे समझाने की कोशिश की होगी,और इसने उन्हें मोहब्बत के नशे में मार दिया होगा,यही हुआ होगा हम जान रहे हैं ना आज की लड़कियों को,ये साली हैं ही ऐसी।”
“हम बताएं काहे मारी है?इसलिए मारी है काहे कि उसका दिमाग खराब किया गया है।ई सब मोदी योगी और संघियों की फैलाई नफ़रत का नतीजा है,ये जो सोशल मीडिया पर गिटिर पिटिर लेख पढ़ते हैं उसी का असर है,नवां नवां छटांक भर का हिंदू लौंडा लोग बड़का लेखक बने खातिर,भारत के मुसलमानों सहित दुनिया भर के मुसलमानों को राक्षस बताए फिर रहे हैं,एक लड़के का लेख पढ़ा था,हमने इतनी नफ़रत भरी थी उसके लंबे चौड़े लेख में कि पूछो मत,साला मुसलमान भाइयों की तुलना अपने काल्पनिक राक्षसों से कर रहा था,हमने तो उसकी लेख पढ़ते ही रिपोर्ट मार दिया और अपने व्हाट्स ग्रुप में भी सबको बोल दिया,रिपोर्ट मारने को,अब न कोई पढ़ेगा उसके लेख न ऐसी नफ़रत भरेगी मुसलमान भाइयों के लिए हम हिंदुओं के दिल में।और भाई जो भी हिंदू समझदार है,वो जानता है,रामायण महाभारत सब काल्पनिक कहानियां हैं बस,रोमिला थापर ने बताया है, सब मुगलों के आने के बाद लिखी गई हैं,और ये उन काल्पनिक कहानियों के चक्कर में देश बर्बाद कर रहें हैं,युवाओं का दिमाग खराब कर रहे हैं।राहुल गांधी जैसा भी है,इन दोनों से तो सही ही है,वो मोहब्बत और अमन की बात करता है,ये आज कल के कट्टर झट्टर हिंदू बात बात पर हमारे मुस्लिम भाइयों को दोष देने लगते हैं,भूल जाते हैं इस कौम ने हमें राहत इंदौरी,मुन्नवर राणा दिए,शाहरुख,सलमान,आमिर,दिलीप कुमार,जैसे काबिल कलाकार दिए,जो केवल मोहब्बत की बात सिखाते आए सालों से, मिर्ज़ा गालिब की शेरों शायरी जो तुम हम झाड़ कर लड़कियां पटाय करते थे अपनी जवानी में,वो भी इन्हीं मुसलमानों की देन है,बिरयानी से लेकर कोरमा और कोरमे से लेकर हुक्के तक सब बढ़िया चीज़ें इन्होंने ही तो दिया है,और ये कट्टर झट्टर हिंदू जलते हैं,इसलिए हर बात में मुसलमानों का ही दोष तलाशने लगते हैं,कि कैसे किसी अपराध के लिए मुसलमानों पर इल्ज़ाम लगाएं,और आज देख लो उसका नतीजा,एक 19 साल की हिंदू ब्राह्मण लड़की ने 65 साल के बुज़ुर्ग की निर्मम हत्या कर दी,
नफ़रत फैलाओगे तो ये ही होगा”
“सही कह रहें भाई,हमको भी ये ही लगता है,हम तो सोचते थे बड़ी मासूम लड़की है,अकेली अपनी मां की सेवा करती है,दो चार बार तो हम भी सोचे कि उसकी सहायता करें,पर हमारी मैडम ने मना कर दिया था,काहे कि उनको लगता था कि हमारे गले पड़ जाएंगी दोनों,हे हे हे अब हम इतने जवान लगते हैं,तो मैडम पोसेसिव हो जाती हैं,पर मैडम का टोकना ही आज हमारी जान बचा गया,नहीं तो हमारा हाल भी सरफराज मियां जैसा होता,नेकदिल आदमी था,हमको और मैडम को हर साल टिफिन भर के सेवइयां और मटन दे जाता था,कभी पैसा तक नहीं लिया उसका..”
देवी..देवी चतुर्वेदी के बारे में ये सारी बातें करने वाले कोई और नहीं,वही मोहल्ले के हिंदू थे,जहां 19 वर्षीय देवी ने अपने परिवार के साथ एक वर्ष पहले रहना शुरू किया था।देवी के पिता दशरथ चतुर्वेदी का देहांत हो गया था 145 दिन पूर्व हार्ट अटैक से और मां कल्याणी चतुर्वेदी का आधा शरीर लकवे से ग्रस्त था।पिछले 13 वर्षों से,उनके पति दशरथ और देवी ही उनकी सेवा करते थे,अब वो अपने बिस्तर पर पड़ी हैं और मीडिया ने उनके घर को घेरा हुआ है,सब उनका इंटरव्यू लेने को उतारू हैं,किसी को उनकी कंडीशन से कोई सरोकार नहीं,सरोकार है तो अपनी न्यूज़ बाइट से,भावनाएं मीडिया में कोई मायने नहीं रखतीं,हां जिसका इंटरव्यू ले रहे हैं,वो रोने लगे या कुछ ऐसा कह दे जिससे ऑडियंस रो सकती है,तो वो मायने रखता है,क्योंकि भावनाएं बिकती हैं।
और इन भावनाओं को बेचने के लिए ये मीडिया पहले सरफराज़ के घर गई,जहां कुछ कांग्रेसी और सपा के मंत्री पहले से 50 लाख का चेक लेकर पहुंचे थे,फोटोशूट चल रहा था, सरफराज़ के 8 बच्चों में से सबसे छोटे 6 साल की आयशा से मीडिया पूछ रही थी कि उसे कैसा लग रहा है,आयशा का रोता चेहरा बार बार टीवी पर घूम रहा था,और उसकी बुर्का नशी अम्मी की कही बात,चैनलों पर हर 10 मिनट पर दिखाई जा रही है”हिंदुस्तान में हम मुसलमानों पर ज़ुल्म की इंतहा हो चुकी है,हमको चुन चुन कर मारा जा रहा है,जैसे इज़रायल मार रहा है फिलिस्तीनी मुसलमानों को उसी तरह हिंदुस्तान में ये ब्राह्मण,ये भगवा धारी हिंदू,ये बजरंगदल,ये वीएचपी,ये एबीवीपी,ये संघी सब हमको मार रहे हैं,मैं दुनिया भर के मुसलमानों से गुज़ारिश करती हूं कि हिंदुस्तान में हमारे कत्लेआम को रोकने के लिए हमारी मदद करे,आज मैंने अपना शौहर खोया है,मेरे बच्चे अनाथ हो गए हैं,क्योंकि यहां का हिंदू अब नफरती हो चला है,अब हमें आमिर ख़ान की बात समझ आई वो क्यूं कहता था, कि उसे हिंदुस्तान में रहने में डर लगता है,वो सच कहता था,हिंदुस्तान का मुसलमान डरा हुआ है,इस्लाम खतरे में है,हमारी मस्जिदें,हमारे लोगों की जान खतरे में है
इस्लाम और इस्लाम को मानने वाले हम अमन पसंद मुसलमान हिंदुस्तान में अब बिल्कुल भी महफूज़ नहीं है”
ज़ुबैर ने एक्स(ट्विटर) पर देवी और उसके परिवार तथा उसके रिश्तेदारों के सारे चित्र खोज कर डाल दिए हैं,और उसके पिता को आरएसएस का मेंबर भी बता दिया है,देवी को एक मेंटली ब्रेन वॉश रैडिकल हिंदू आतंकवादी घोषित कर दिया है,और अरब मुल्कों से,ईरान से,तुर्की से मदद मांगी है भारत के मुसलमानों को फासीवादी रैडिकल हिंदुओं से बचाने के लिए,भारत में मुसलमानों के नरसंहार की थ्योरी को सही साबित करने के लिए सरफराज़ की लाश और उसके कमरे की रक्त रंजित तस्वीरें वायरल कर दी हैं।उधर रवीश कुमार ने अपने यूट्यूब चैनल पर हिंदू आतंकवाद का चेहरा बना दिया है देवी चतुर्वेदी को,कट्टर हिन्दू सोच और ब्राह्मणवाद पर कविता लिख दी है।
बॉलीवुड के सारे बड़े हिंदू एक्टर्स और एक्ट्रेसेस ने
“i am ashamed to be a Hindu” और “Spread love Not Hate” “justice for Sarfaraz” के प्ले कार्ड लेकर ब्लैक एंड व्हाइट में सेल्फी और वीडियो पोस्ट किए हैं।
जेएनयू,जामिया और अलीगढ़ में,”Hang Hindu Terrorist Devi” “ब्राह्मणवाद से आज़ादी” हिंदुत्ववाद से आज़ादी” “हिंदू आतंकवाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद”
“ये तेरी न मेरी है ये नफ़रत की देवी है” और “तुम कितने सरफराज़ मारोगे,हर घर से सरफराज़ निकलेगा”
“मोदी योगी हटाओ देश बचाओ” के नारे दिन रात लग रहे थे और मीडिया उन्हें कवर कर रहा था,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी,बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई के साथ वहां पहुंच गए थे।मीडिया का एक धड़ा,धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से देवी द्वारा की सरफराज़ की हत्या के बारे में पूछने आ गई,और उनके हिंदू राष्ट्र की मांग को इसका जिम्मेदार बनाने का प्रयास करने लगी।
इधर ओवैसी ने कह दिया,”सरफराज़ की शहादत का बदला लेंगे हम इंशाल्लाह,उस नापाक कातिल हिंदू लड़की को मैं फांसी पर जब तक नहीं चढ़वा देता तब तक मैं चैन नहीं लूंगा ये मेरे भाइयों मैं आपसे वायदा करता हूं,मैंने इसी दिन के लिए वकालत पढ़ी थी,इसी दिन के लिए संविधान पढ़ा था,और इसी दिन के लिए पाक कुरान पढ़ी थी और मेरे भाइयों मैं आपसे भी गुजारिश करता हूं कि हिंदुस्तान में अगर तुम्हें अपना हक चाहिए तो तुम कानून की पढ़ाई करो,संविधान की पढ़ाई करो और चलो मेरे साथ हिंदुस्तान के सुप्रीमकोर्ट में,वहां अगर 100 ओवैसी भी पहुंच जाएंगे इंशाल्लाह तो हम हम अपनी बाबरी भी दोबारा हासिल कर लेंगे और ज्ञानवापी भी हाथ से जाने नहीं देंगे और इस आरएसएस के फैलाए हिंदू आतंकवाद को हम जड़ से निस्तेनाबूत कर देंगे,किसी को पता भी नहीं चलेगा कि ये इस ज़मीन पर कभी रहते भी थे,अल्लाह हमारे साथ है,और हमारे बुज़ुर्ग,हमारे सरफराज़ भाईजान की कुर्बानी ज़ाया नहीं जाएगी,तो नहीं जाएगी।”
सेक्युलर हिंदू बुद्धजीवी एवं सेलेब्रिटी लेखकों और लेखिकाओं ने सरफराज़ की हत्या का ठीकरा सोशल मीडिया पर बढ़े हिंदू जागरण पर फोड़ दिया और देवी द्वारा सरफराज़ की हत्या की तुलना आईएसआईएस और हमास तथा हिजबुल्ला से कर दी।चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने देवी को इंटरनेट से इनफ्लूएंस एक मानसिक रोगी बता दिया जो आजकल के “हिंदू जन जागरण वाले माहौल” के कारण हुआ है।
इस सब के बीच देवी कहां है?
देवी है राजस्थान में जोधपुर के एक करहगाह सेल नंबर 163 में ज़मीन पर बैठी है,और उसके चेहरे पर शांति और संतुष्टि के भाव हैं,उसके पास बैठी है एक 45 वर्षीय दुर्गावती राजपूत जिनको उनके बेटे की हत्या के जुर्म में दो दिन पहले लाया गया था।
“तू तो वही है ना,जिसका वीडियो चल रहा है हर जगह?सरफराज की हत्यारी”
“हम्म वही हूं अम्मा”
“बड़ी जिगरे वाली है तू तो,मैं तो न मार पाती किसी को ऐसे,अपने नालायक बेटे को ज़हर देकर मारने के लिए मेरे तो हाथ कांप रहे थे,और तूने तो पत्थर से कूंच कूंच कर सरफराज़ के चिथड़े कर दिए,कहां से आई तेरे भीतर इतनी हिम्मत?”
“हिम्मत..हिम्मत अम्मा उस सरफराज़ चाचा ने ही दी थी,जब मैं 6 बरस की थी,और वो अपनी प्राइवेट वैन से हम सब लड़कियों को स्कूल छोड़ने जाता था,मम्मी पापा उस पर बहुत भरोसा करते थे,वहीं से मिली वो हिम्मत,दो साल से हर बार ईद पर वो टिफिन भर के सेवईं दे कर जाता था,और मुझे वैन में अपने हाथों से सेवईं खिलाता था,फिर मैं उसकी गोद में बेहोश हो जाती थी,और वो मेरे कपड़े उतार कर,मेरा हर दिन बलात्कार करता था,मेरे खून को साफ़ करके वो मुझे बेहोशी में कपड़े पहनाता था,और फिर घर छोड़ देता था,मुझे बहुत दर्द होता था,पर मम्मी पापा जॉब में इतना बिज़ी रहते थे कि रात तक जब वो लौटते थे,मुझे आया सुला देती थी,फिर एक दिन जब सरफराज़ ने मुझे खजूर खिलाए,पर शायद इस बार नशे की दवा उसने कम मिलाई,और वो वही करने लगा जो 19 दिनों से लगातार कर रहा था,और मैं हिम्मत कर चिल्लाई,उसने मेरा मुंह दबाने की कोशिश करी,पर मैंने उसका हाथ काटा और फिर चिल्लाई और वहां एक फौजी अंकल और एक आंटी आ गए और उन फौजी अंकल ने सरफराज़ को खूब पीटा और जयपुर थाने ले गए,पापा मम्मी को कॉल किया गया,और मम्मी को ऐसा शॉक लगा सुनते ही कि वो ऑफिस की सीढ़ियों से गिरी और उन्हें ब्रेन इंजरी के कारण लकवा मार गया,पापा ने मुझे और मम्मी को संभाला, केस लड़ा,10 साल वो केस चला,लेकिन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सरफराज़ को छोड़ दिया,इन 10 सालों में मुझे मोहल्ला बदलना पड़ा,स्कूल बदलना पड़ा,क्योंकि एक 6 साल की बच्ची को ये समाज एक विक्टिम के रूप में नहीं,एक अपराधी के रूप में देख रहा था,उनकी नज़रों से ऐसा लगता था कि अपराधी सरफराज़ नहीं,अपराधी ये देवी चतुर्वेदी है।उन्हीं न्याय सुनाने वाली नज़रों से मिली मुझे हिम्मत,और जब मैं शहर छोड़ कर अपने परिवार के साथ नई ज़िंदगी जीने आई,तो इस शहर में जब मुझे सरफराज़ फिर दिखा,और उसकी नज़र में वही हवस दिखी बाकी बच्चियों के लिए जिन्हें वो हमारे मोहल्ले से स्कूल,अपनी मस्जिद से मिली नई वैन में ले जाता था,तो हिम्मत करके मैंने सरफराज़ जैसे राक्षस का वध किया ताकि कोई और देवी इसकी वासना का शिकार न बने..”
“वाह बिट्टो तू तो साक्षात देवी है,भवानी है,रण चंडिका है,काली है,तूने अपने नाम को चरितार्थ कर दिया”
“पता नहीं अम्मा,अभी तो सारा देश मेरे नाम पर थूक रहा है,सारे जेहादी मेरी फोटो पर रेप करने की,और मारकर दोबारा रेप करने,मेरी लाश पर पेशाब करने की,मुझे जहन्नुम में जलाने की बात कर रहे हैं,और बाकी हिंदू चुप हैं,क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं एक मानसिक रोगी हूं,एक क्रूर अपराधी हूं,जिससे वो किनारा करना चाहते हैं,किसी को सच से मतलब नहीं अम्मा,मतलब है तमाशे से,झूठे मनोरंजन से
और वही हो रहा है,वही बन कर रह गई हूं मैं,उनके डाइनिंग रूम और उनकी चर्चाओं का विषय,उनकी नज़र में मैं कोई देवी नहीं,बस एक अपराधी हूं और सरफराज एक विक्टिम
वही जैसे 13 साल पहले था,कुछ नहीं बदला।आप बताओ आपने क्यों मारा अपनी ही औलाद को,वो भी लड़के को?”
“बेटा,मैंने तो उसे मारा,क्योंकि वो पैसों की खातिर,ईसाई बन गया था,और चाह रहा था कि मेरी बहु,मेरे पोता पोती,और मैं भी उसकी तरह ही ईसाई बन जाएं,जिससे उसे और पैसा मिले,वो पूरे गांव को ईसाई बनाने का कॉन्ट्रैक्ट ले चुका था।अब मां भवानी की भक्त मैं ये कैसे सह सकती थी?तो मार दिया,एक गंदी मछली को तालाब से बाहर निकाल दिया,दुख हुआ,पर मैं खुश हूं,मेरे गांव के लोग मुझे चुड़ैल बोलकर जलाने की सोच रहे थे।फादर ने मुझे अंग्रेज़ी में गिट पिट करते हुए चुड़ैल बोला था,मेरी पोती ने बताया था चुड़ैल बोल रहा है,उसका भी सर सिल बट्टे से खोल दिया,पर वो बच गया,तेरी कहानी सुनकर तो मुझे खुशी हो रही,कि मुझे यहां तेरे साथ बंद किया है,एक असली हिंदू वीरांगना देवी के साथ,तू चिंता न कर,सुबह तक सब सही हो जाएगा,तेरा सच सुनकर लोग तेरे लिए ज़रूर लड़ेंगे, मैं बता रही हूं।”
“ठीक है अम्मा मुझे बस अपनी मां की चिंता है,वो कैसे रहेगी अब,उसकी सेवा कौन करेगा,रिश्तेदार भी बॉयकॉट कर चुके परिवार का,सच जानने के बावजूद,कोई रिश्ता रखना नहीं चाहता,ना पैसे से,ना ही साथ खड़ा रहकर,मैं कल मीडिया से बात करूंगी और प्रधानमंत्री जी से गुज़ारिश करूंगी कि मेरी मां का इलाज करवाने में सहायता करें या किसी को रखें उनकी सेवा के लिए,मैंने समाज की नजरों और कानून की नज़रों में ख़ून किया है,मेरी नज़र में ये एक राक्षस का वध ही था,पर मैं कानूनी दंड भुगतने को तैयार हूं”
“तू देवी है मेरी बच्ची,सच की देवी है,आ मेरी गोद में सो जा,सुबह बहुत बड़ा काम करना है तुझे”
“ब्रेकिंग न्यूज़!!!
सरफराज़ की हत्यारी देवी चतुर्वेदी से जुड़ी एक्सक्लूसिव न्यूज़ सबसे पहले हमारे चैनल पर,जोधपुर कोर्ट ले जाने से पूर्व ही देवी की हत्या कर दी गई!हमारे सहयोगी ने अपडेट दिया है कि पुलिस का इस मामले में कहना है कि,सुबह 4 बजे भोर में,देवी चतुर्वेदी की हत्या उसके सेल में मौजूद दुर्गावती राजपूत ने ही करी है,सेल नंबर 163 में,आपसी लड़ाई में देवी और दुर्गावती घायल हो गईं और मौके पर ही देवी की गला किसी धारदार हथियार से रेतने के कारण मौत हो गई,दुर्गावती की मौत भी अस्पताल ले जाते समय हो गई।पुलिस का कहना है कि मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी देवी ने ही पहला वार किया और उसके बाद दुर्गावती ने जवाबी वार किया,अधिक रक्त बहने से दोनों की मौत हुई।
अब ये जांच का विषय है कि सेल में,धारदार हथियार आया कैसे और किस बात पर दुर्गावती और देवी चतुर्वेदी का विवाद शुरू हुआ।हालांकि अपने दर्शकों को बता दें कि ये दोनों महिलाएं खूंखार खूनी थीं,पर जैसा आप जानते हैं कि,देवी के कारण देश और दुनिया में बीते दिनों से दोनों समुदायों में नफ़रत और खौफ का माहौल बना हुआ था।नफ़रत का नफ़रत से अंत हुआ,देवी की मुस्लिम समाज के प्रति नफ़रत ने अंत में उसका एक हिंदू महिला द्वारा ही अंत करवाया जो ईसाइयों से नफ़रत करती थी,इसलिए हमारे बुद्धिजीवी कहते हैं हिंदू धर्म को शांति का मार्ग अपनाना चाहिए,अहिंसा परमो धर्म का मार्ग ही हर हिंदू का मार्ग होना चाहिए,देवी का खूनी किस्सा जिस शहर से शुरू हुआ था वहीं समाप्त हो गया,पर हिंदू आतंकवाद को हमें और आपको बढ़ने नहीं देना है,नहीं तो ना जाने कितने बेकसूर सरफराज़ मारे जाएंगे।बने रहिए हमारे साथ,जैसे ही हमारे सहयोगी ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचेंगे,हम इस न्यूज़ पर आपको नए अपडेट्स और डिटेल्स देते रहेंगे।एक छोटे से ब्रेक के उस पार तुरंत मिलते हैं,कहीं मत जाइए,हिंदू आतंकवादी देवी चतुर्वेदी की हत्या पर अभी और चर्चा करेंगे अपने पैनलिस्ट्स से।”
ये खबर देखते ही कल्याणी चतुर्वेदी के प्राण छूट गए..
और इसी के साथ देवी के सत्य ने भी संसार त्याग दिया.!
भारत में हिंदुओं को अपराधी और गैर हिंदुओं को विक्टिम दिखाने के नैरेटिव की जीत हुई,देवी और दुर्गावती के असली कातिलों को 25–25 लाख दोनों समुदायों के मौलवी और फादर ने दिया,मुस्लिम मोहल्लों में पटाखे छूटे जैसे 7अक्टूबर 2023 की रात इज़रायल पर हमास के किए हमले के बाद छूटे थे।सेक्युलर लेखकों ने अपने मुस्लिम पाठकों को बधाई दी,आतंक के अंत पर,कर्मों के न्याय पर लेख लिखे।सच ये है कि दो राक्षसों का वध तो हुआ,उससे कई बेटियां भी बचीं,कई परिवार भी उजड़ने से बचे,पर बड़ी जीत इस बार आसुरी शक्तियों की हुई,और हिंदू समाज ने अपनी ही देवियों का साथ न दे,
उन्हें एक प्रकार से हरा दिया।
अधर्म जीता..धर्म हारा..
मित्रों,ये एक काल्पनिक कथा है,जिसका सच्चाई से लेना देना है या नहीं,ये आप पर छोड़ता हूं।प्रयास कीजिए “देवी चतुर्वेदी” और “दुर्गावती राजपूत” की इस काल्पनिक कथा से सीख लेकर,इस नवरात्र से ही,आप आपकी देवियां,आपकी नवदुर्गाएं,आपकी भवानी,आपकी काली मां जैसी बेटियों,बहनों,माताओं का साथ देना आरंभ करेंगे,उन्हें सामर्थ्यवान बनाएंगे और आत्मरक्षा करना सिखाएंगे तथा हमारी आराध्य देवियों की भांति ही शस्त्र विद्या भी सिखाएंगे,ताकि अगली बार देवी की विजय हो,

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