*द कश्मीर फाईल्स* की जबरदस्त सफलता के कारण तमाम वामपंथी और इस्लामिस्ट्स बौखला गए हैं. आज तक खड़ा किया सारा विमर्श उन्हे बिखरता हुआ नजर आ रहा हैं. इसलिए राष्ट्रवाद के इस नए तूफान को भ्रमित करने, वे सोशल मीडिया…
प्रांजय कुमार
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मीडियाप्रांजय कुमारसाहित्य लेख
देश के लब्ध प्रतिष्ठित साप्ताहिक #पाञ्चजन्य के ताजा अंक में प्रकाशित लेख
by Pranjay Kumar 426 viewsदेश के लब्ध प्रतिष्ठित साप्ताहिक #पाञ्चजन्य के ताजा अंक में प्रकाशित लेख। आपकी सुविधा के लिए मूल लेख भी पोस्ट कर रहा हूँ।आप पढ़कर अपनी राय दें तो मुझ अकिंचन को विचारों का वैभव प्राप्त होगा। कर्नाटक के उडूपी से…
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साहित्य लेखनयाप्रांजय कुमार
रोजी-रोटी के चाक-चिक्य में से वक्त निकाल मैं….
by Pranjay Kumar 585 viewsरोजी-रोटी के चाक-चिक्य में से वक्त निकाल मैं भी यदा-कदा लिख लेता हूँ। लिख क्या लेता हूँ, कागज़ पर स्याही फैला लेता हूँ या कीबोर्ड पर उँगलियाँ फिरा लेता हूँ! एक लेखक अपने लेखन में निर्भीक, ईमानदार एवं पारदर्शी रहे…
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आपके बिना कैसे जियेंगे हम, आपके गीतों को गाए-गुनगुनाए बिना हमारी कोई भावना-संवेदना अभिव्यक्ति नहीं पाती थी, आपने न केवल हमारी हँसी-प्रेम-उमंग-उल्लास को स्वर दिया, बल्कि हमारे दुःख-दर्द को भी अपना स्वर देकर बाँटा, हल्का किया। बल्कि मैं तो यह…
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आप बीएसएनल के ऑफिस जाते हैं, लौट कर बीएसएनल के कर्मचारियों को गाली देते हैं. आप एसबीआई के ऑफिस जाते हैं और लौट कर एसबीआई के कर्मचारियों को गालियाँ देते हैं. आप सचिवालय जाते हैं और लौट के सचिवालय के…
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एक मित्र हैं, उनके बेटे का फ्लिपकार्ट कंपनी मे सिलेक्शन हुआ। उनके मुझसे प्रश्न थे कितनी बड़ी कंपनी है? कितना टर्न ओवर है? सालाना कितना फायदा बनाती है। घाटे मे है तो घाटे में क्यों है? उन्हें समझाया कि अभी…
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हो सके तो आत्मावलोकन करें। वैसे आपसे उसकी उम्मीद कम है, क्योंकि आपके आका ही सत्य कहने-लिखने वालों को सरेआम धमका चुके हैं। “सपा शासन का अर्थ अपराधियों का उदय है। याद कीजिए कि कैसे 2006 में सपा (समाजवादी पार्टी)…
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मैं जब-जब इस गीत को सुनता हूँ, आशा, उत्साह एवं सकारात्मकता से भर उठता हूँ। जिस तंत्र व व्यवस्था में मेरे आराध्य श्रीराम का ही ठौर नहीं था, उसमें मेरा क्या होता! ओह, आतताईयों और विधर्मियों ने मेरे राम को…
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यह मूलतः एक शोधपरक लेख है, जो लगभग 4-5 पृष्ठों में लिखा गया है। यह प्रमाणित होता आया है कि आर्य कहीं बाहर से नहीं आए बल्कि भारत के मूल निवासी थे। हर नवीनतम शोध व अनुसंधान भी यही निष्कर्ष…
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प्रांजय कुमारमुद्दाराजनीतिलेखक के विचारसामाजिक
श्री गुलाब कोठारी जी के नाम खुला #पत्र_02
by Pranjay Kumar 1,127 viewsआदरणीय गुलाब कोठारी जी! सादर नमस्कार। आपकी पत्रिका में “हिन्दू कौन?” शीर्षक से आपका सम्पादकीय लेख पढ़कर सहसा विश्वास नहीं हुआ कि एक विद्वान् और भारतीय शास्त्रों के ज्ञाता के रूप में प्रसिद्ध हुआ कोई सम्पादक–पत्रकार ऐसा तथ्यहीन और अतार्किक…