Home अमित सिंघल आढ़तियों के फर्जी आंदोलन को सरकार ने इतनी छूट क्यों दी हुई है? –2

आढ़तियों के फर्जी आंदोलन को सरकार ने इतनी छूट क्यों दी हुई है? –2

अमित सिंघल

by अमित सिंघल
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आज स्थिति क्या है?
प्रथम, फर्जी आढ़तियों के जमघट को कांग्रेस, आप पार्टी, अखिलेश, अकाली दल, कम्युनिस्ट इत्यादि का समर्थन प्राप्त है। कई राज्यों में गैर भाजपा या NDA सरकार है। कांग्रेस अपने मुख्य मंत्रियों को आंदोलन के लिए अन्य राज्यों में भेज रही है जिससे दो राज्यों में टकराव की स्थिति बनती जा रही है। समुदाय विशेष जो ऐसी स्थितियों में उदासीन रहता था – जब तक विषय जम्मू-कश्मीर, घुसपैठियों, या कार्टून का ना हो – वह भी अब खुलकर किसी भी मोदी विरोधी जमघट के सपोर्ट में खड़ा हो जाता हैं भले ही वह किसानी करे या ना करे। एक समय भाजपा से भी अधिक राष्ट्रवादी पार्टी – शिव सेना – अब सत्ता के लिए खुलकर बहुमत के हितो के विरोध में खड़ी है; पालघाट की हत्या पर चुप है। यहाँ तक कि कांग्रेस ने कहा कि अगर वह सत्ता में आ जाए तो 370 वापस ले आएगी। एक तरह से भाजपा अकेली है; क्योकि राष्ट्रवादी समर्थक एकजुट नहीं है।
द्वितीय, इन आढ़तियों के जमघट के नेताओ ने आधिकारिक रूप से अपनी मांग को संविधान के तहत बनाए रखा है। दूसरे शब्दों में, वे भारत से अलग होने की मांग नहीं कर रहे है; यद्यपि वे सक्रिय रूप से भिंडरावाला समर्थको को प्लेटफॉर्म दे रहे है; उनका समर्थन एवं धन ले रहे है। अतः, राजकीय हिंसा का प्रयोग कठिन है।
तृतीय, आज हर व्यक्ति एक सेल फ़ोन के साथ एक संवाददाता है। वह स्वयं न्यूज़ बनाता है और उसका उपभोग भी कर रहा है। दूसरे शब्दों में, किसी भी राजकीय हिंसा में कुछ या सैकड़ो मृत्यु की सम्भावना हो सकती है जिसका एक-एक पल रिकॉर्ड किया जा सकता है। अगर सरकार इंटरनेट बंद कर दे, तब भी कुछ दिन बाद वीडियो सामने आ जायेंगे। तब कोर्ट के निर्देश पर अधिकारियों पर कार्यवाई हो सकती है।
चतुर्थ, अब हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के जजों का चयन सरकार नहीं करती; सुप्रीम कोर्ट के जज स्वयं जजों का चयन करते है; सरकार केवल उन जजों की नियुक्ति करती है। मोदी सरकार ने संसद में सर्वसम्मति से जजों की नियुक्ति के लिए कानून बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया।
अंत में, प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी, GST, आधार, सब्सिडी का सीधे लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर, अनुच्छेद 370 के समापन के द्वारा पुराने अभिजात वर्ग का रचनात्मक विनाश कर रहे है; साथ ही, शौचालय, घर, कुकिंग गैस, घर में पाइप से जल की आपूर्ति, इत्यादि के द्वारा “निम्न मूल और निम्न जाति” एवं “भूखे-नंगे” वर्ग के नए अभिजात वर्ग का उदय कर रहे है। अतः, पुराना अभिजात अपने आस्तित्व को बनाये रखने को लेकर चिंतित है। इन्हे पता है कि वर्ष 2024 के चुनावो तक प्रधानमंत्री मोदी अपनी नीतियां और कार्यो से उनका सम्पूर्ण रचनात्मक विनाश (creative destruction) कर देंगे। इसलिए मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल की शुरुवात से ही हिंसा और प्रदर्शन के द्वारा प्रधानमंत्री की वैधता पर चोट करने का प्रयास किया। यह लोग प्रधानमंत्री मोदी से निपटने के लिए झूठ, छल और कपट का सहारा ले रहा था। अब उसने हिंसा को भी अपनी टूलकिट (कारीगरों के टूल का बक्सा) में जोड़ लिया है।
हाल के कुछ वर्षो ने जिन राष्ट्रों ने हिंसा से निपटने के लिए राजकीय हिंसा का सहारा लिया है, वे सब हिंसा की अग्नि में जल रहे है। उदाहरण के लिए, इथियोपिया, सीरिया, यमन, सोमालिया, माली, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, पाकिस्तान, म्यानमार इत्यादि राष्ट्र में अस्थिरता फ़ैली हुई है। विश्व बैंक के अनुसार किसी भी हिंसक अस्थिरता एवं अराजकता से निपटने में एक पीढ़ी खप जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि वह एवं उनकी सरकार राजनैतिक रूप से अलग-थलग है; केवल जनता के समर्थन एवं “आशीर्वाद” से उनको संबल मिलता है।
उनको यह भी पता है कि इस हिंसा एवं अराजकता से राजनीतिक तरीके से निपटा जाना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर के अराजक तत्वों से राजनीतिक तरीके से 370 हटाकर एवं राज्य का विभाजन करके निपटा गया है।
कारण यह है कि भारत के युवाओ एवं युवतियों को आगे बढ़ने का अवसर देना होगा, जिसके लिए पूँजी चाहिए, भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस चाहिए, नयी तकनीकी चाहिए, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, जो विदेशी निवेश से आएगा; एक्सपोर्ट से आएगा। प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि भारत अपनी एक पीढ़ी का भविष्य हिंसक अस्थिरता में नहीं झोंक सकता।
यही राह चीन ने चुनी थी। पहले राष्ट्र में स्थिरता, विकास एवं प्रगति; और बाद में उइघर में शिक्षा केंद्र जिसका सभी राष्ट्र समर्थन करते है।
बस, प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी टीम को जनता का समर्थन, विश्वास एवं “आशीर्वाद” मिलता रहना चाहिए।

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