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जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हो चुका था

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जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हो चुका था लेकिन उनकी जान खतरे में थी। उनके जन्म की सूचना मिलते ही उनका मामा कंस उनकी हत्या करने वाला था। कृष्ण की जान बचाने के लिए उनके पिता वासुदेव उन्हें कंस की जेल से चुपचाप लेकर गोकुल जाते हैं। गोकुल पहुचने के लिए वासुदेव को यमुना नदी पार करनी थी औऱ तेज बारिश की वजह से युमना अपने उफान पर थी।

 

सिर पर रखी टोकरी में नवजात कृष्ण को लेकर पिता वासुदेव यमुना में उतर गए। जैसे जैसे वासुदेव आगे बढ़ते जा रहे थे यमुना का जल स्तर बढ़ता जा रहा था। कमर से होते हुए जमुना का जलस्तर पिता वासुदेव की छाती तक जा पहुंचा औऱ कुछ ही देर में यमुना का जल वासुदेव के सर के ऊपर तक जा पहुंचा। लेकिन जैसे ही यमुना के जल का स्पर्श टोकरी से बाहर लटक रहे बाल कृष्ण के पैरों से हुआ, जलस्तर घटने लगा।

 

कुछ ही पलों में यमुना का जलस्तर इतना घट गया कि पिता पुत्र आसानी से नदी पार कर गोकुल सुरक्षित पहुँच गए है। ये अलग अलग आठ धातुओं से निर्मित ढाई सौ वर्ष पुराना एक कटोरा है। इस कटोरे के भीतर भगवान कृष्ण के बचपन की वो ही घटना चित्रित की गई है

 

जिसे हमने ऊपर पढा। इस कटोरे में पिता वासुदेव और बाल गोपाल की मूर्ति है। जब इस कटोरे में पानी भरा जाता है तो इससे एक बूंद पानी बाहर नहीं निकलता लेकिन जैसे ही जल ऊपर भगवान कृष्ण के पैरों को स्पर्श करता है, कटोरे के नीचे बने एक छेद से जल बाहर निकलने लगता है और जल की अंतिम बूंद तक उस छेद से बाहर आने तक निकलता रहता है।

 

 

इसमें कोई चमत्कार नहीं है, ये इंजीनियरिंग है जिसे आसानी से एक्सप्लेन किया जा सकता है। लेकिन ढाई सौ साल पहले हमारे पूर्वज ऐसी इंजीनियरिंग जानते थे ये चमत्कार है।

 

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