रोमन साम्राज्य (लगभग 2000 वर्ष पूर्व) के समय नई तकनीकि के सृजन और प्रसारण पे सरकार का एकाधिकार था। सम्राट टिबेरियस के शासन के समय एक व्यक्ति ने एक न टूटने वाले कांच का आविष्कार किया। वह सम्राट टिबेरियस की राजसभा में अपना नया उत्पाद इस आशा के साथ दिखने गया कि उसे पुरूस्कार मिलेगा।
उस व्यक्ति के अविष्कार को देखने के बाद टिबेरियस ने पूछा कि क्या उसने उस उत्पाद के बारे में किसी और को बताया है। जब उस व्यक्ति ने कहा कि “नहीं”, तब टिबेरियस ने उस व्यक्ति को तुरंत मार डालने का आदेश दिया। टिबेरियस ने अपने निर्णय के समर्थन में कहा कि अगर वह उस व्यक्ति को ना मारता, तो साम्राज्य के सोने का मूल्य कीचड़ के बराबर हो जाता।
यहाँ दो मुद्दों पे ध्यान देना आवश्यक है।
प्रथम, वह आविष्कारक पुरूस्कार की चाहत में सीधे सम्राट के पास अपना उत्पाद दिखाने गया, ना कि अपना उद्यम स्थापित करता और उत्पाद बेचकर लाभ कमाता। यह उदहारण तकनीकि पे रोमन साम्राज्य के आधिपत्य को दर्शाता है।
द्वितीय, टिबेरियस उस आविष्कार को नष्ट करना चाहता था क्योकि इस नए उत्पाद का उस समय की अर्थव्यवस्था पे नकारात्मक असर होता। अगर कांच टूटेगा नहीं तो जनता नया उत्पाद नहीं खरीदेगी।
रचनात्मक विनाश से होने वाले भय और संकट का यह उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसके विपरीत फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर द्वारा वर्ष 1965 में बनाये जाने वाले 95% इंटीग्रेटेड सर्किट को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय खरीद लेता था। लेकिन फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर के सह-संस्थापक बॉब नॉयस (जो बाद में इंटेल के भी सह-संस्थापक बने) ने रियलाइज़ किया कि उनके इंटीग्रेटेड सर्किट के लिए अधिक विशाल बाजार सरकार के बाहर अमेरिकी नागरिक एवं सिविल कंपनियां हो सकती है जहाँ चिप बेचकर नॉयस कहीं अधिक धन कमा सकते है। लेकिन उन्हें इस बाजार को क्रिएट करना होगा क्योकि 1960 के दशक में सरकारी तंत्र के बाहर अभी चिप की मांग नहीं थी।
अतः नॉयस ने मिलिट्री रिसर्च के कॉन्ट्रैक्ट को लेने से मना करने लगे जिससे वे फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर के उत्पादन को डिफेन्स से विमुख कर सके। उनका लॉजिक था कि डिफेन्स वाले रिसर्च के मामले में सिविलियन से पीछे रहते है। वे मानते थे कि सरकार के साथ काम करने का अर्थ है कि आप अपनी पूँजी को सेविंग्स अकाउंट में डाल दे जबकि शेयर मार्केट में कुछ रिस्क लेकर कहीं अधिक कमाया जा सकता है।
अब फेयरचाइल्ड ने चिप रिसर्च की दिशा मास मार्केट (व्यापक बाजार) की ओर मोड़ दी। देखते-देखते फेयरचाइल्ड चिप का दाम 20 डॉलर (जो रक्षा मंत्रालय को बेचा जाता था) से गिरकर 2 डॉलर रह गया। 1966 में फेयरचाइल्ड ने अकेले एक कंप्यूटर कंपनी को 2 करोड़ चिप बेच डाले। वर्ष 1968 में कंप्यूटर इंडस्ट्री और रक्षा मंत्रालय ने लगभग सामान मात्रा में चिप खरीदे।
1968 में ही बॉब नॉयस और गोर्डन मूर ने इंटेल की स्थापना की जिसने इंटीग्रेटेड चिप के निर्माण में क्रांति ला दी। मूर ने 1973 में घोषणा की कि विश्व के असली क्रांतिकारी वे दोनों है, ना कि लम्बी दाढ़ी एवं बाल वाले “बच्चे” (हिप्पी कल्चर) जो अपने स्कूल को जलाकर सोचते है कि उन्होंने क्रांति ला दी है।
रचनात्मक विनाश को अपनाकर, सरकार के भरोसे ना बैठकर, प्रगति करने का यह उत्कृष्ट उदाहरण है।
रोमन साम्राज्य के समय नई तकनीकि के सृजन और प्रसारण पे सरकार का एकाधिकार
अमित सिंघल
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