माइटोकॉंड्रिया शरीर के लिए मूलभूत-अतिमहत्वपूर्ण
माइटोकॉंड्रिया शरीर के लिए मूलभूत-अतिमहत्वपूर्ण होता है। शरीर की ऊर्जा का लगभग पूरा दारोमदार माइटोकॉंड्रिया पर होता है। शरीर की एक कोशिका में हजारों माइटोकॉंड्रिया हो सकते हैं। माइटोकॉंड्रिया मस्तिष्क, हृदय, लिवर व मांसपेशियों इत्यादि के लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
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जिनको फैटी लिवर है, मस्तिष्क की समस्याएं हैं, जोड़ों में दर्द है, हृदय की समस्याएं हैं, उन लोगों के लिए माइटोकॉंड्रिया की संख्या बढने संवर्धित होने परिष्कृत होने से लाभ होता है। यदि कोई व्यक्ति जिद्दी है इच्छाशक्ति का धनी है तो लिवर-सिरोसिस तक को भी रिवर्ट करने का प्रयास कर सकता है, दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने लिवर-सिरोसिस को रिवर्ट करते हुए अपने लिवर को स्वस्थ किया है।
शरीर की प्राकृतिक रूप से डिजाइन ऐसी की गई है कि गई से गई हालत में भी शरीर को प्रति महीने एक या अधिक बार कीटोसिस व ऑटोफजी की गहरी अवस्था में पहुंचना ही चाहिए। ऐसा होना शरीर की कोशिकाओं व माइटोकॉंड्रिया व इम्यून इत्यादि नेटवर्कों के लिए बहुत-बहुत-बहुत ही अधिक लाभकारी होता है। माइटोकॉंड्रिया की संख्या भी बढ़ती है, कोशिकाएं पुष्ट होती हैं, हड्डियां पुष्ट होती हैं, मांसपेशियां बेहतर होती हैं।
तीन सप्ताह हो चुके हैं अब प्रति सप्ताह 48 से 50 घंटे सादे पानी पर रहता हूं (वृहस्पतिवार से शनिवार)। एक महीने से ऊपर हो गए प्रतिदिन लगभग 16 घंटे बिना पानी के रहता हूं, बिना पानी वाले 12वें से 16वें घंटों में ही लगभग चार घंटे साइकिलिंग, डंबल व आसन करता हूं। साढ़े-तीन महीने से अधिक हो चुके हैं 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही खाता हूं शेष केवल सादे-पानी पर रहता हूं। एक वर्ष से अधिक हो चुका है किसी भी प्रकार का मीठा छोड़े हुए (फल, सब्जी, अनाज में जो कार्बोहाइड्रेट होता है उसको छोड़, कुछ अपवाद घटनाओं को भी छोड़)।
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प्रति सप्ताह वृहस्पतिवार से शनिवार 48 घंटे सादे पानी पर रहने के बावजूद प्रतिदिन लगभग चार घंटे साइकिलिंग, डंबल, आसन करता हूं। इसके अलावा प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चलता हूं तथा दिनभर शारीरिक व मानसिक रूप से सक्रिय रहता हूं।
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24 घंटे में सिर्फ एक बार खाने व शेष लगभग 23 घंटे केवल सादे पानी पर रहने के कारण समय के साथ क्रमशः मेरा शरीर ऐसी अवस्था में आ चुका है कि प्रतिदिन कीटोसिस व ऑटोफजी की अवस्थाओं में पहुंचता है। प्रति सप्ताह 48-50 घंटे केवल सादे पानी पर रहने से कीटोसिस व ऑटोफजी की गहरी अवस्थाओं में हर सप्ताह पहुंचता है, समय के साथ क्रमशः यह अवस्था समृद्ध व परिष्कृत होती जाएगी।
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